जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने शरणार्थी मुद्दे पर सीएसयू के बाद अब एसपीडी के साथ भी समझौता कर लिया है. मैर्केल की सीडीयू पार्टी एसपीडी के साथ गठबंधन में है. शरणार्थी मुद्दे पर पार्टियों में मतभेद खुलकर नजर आ रहे हैं.
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जर्मन सरकार का गठबंधन टूटने से बच गया है. चासंलर अंगेला मैर्केल ने सरकार में शामिल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के साथ भी शरणार्थी मुद्दे पर समझौता कर लिया है. इसके पहले मैर्केल ने सरकार में गृह मंत्री और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) के नेता हॉर्स्ट जेहोफर के साथ भी ऐसा ही एक समझौता किया था. इसके तहत गैरकानूनी आप्रवासन पर लगाम कसने के लिए जर्मनी की सीमाओं पर कड़ा रुख अपनाने की बात कही गई थी. वहीं अब एसपीडी ने भी सरकार के सामने इस मसले पर अपनी चिंताए साफ कर दी है.
किन मुद्दों पर बनी सहमति
1. एसपीडी की चैयरमेन आंद्रेया नालेस ने कहा कि आप्रवासन के मुद्दे पर कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं होगी. शरणार्थियों के आवेदन पर फैसला लेने की प्रक्रिया तेज होगी, साथ ही इसमें डबलिन समझौते को ही आधार माना जाएगा. डबलिन समझौता यूरोपीय संघ में शरणार्थी नीति को तय करने के लिए बनाया गया था.
2. सीएसयू नेता जेहोफर ने कहा कि नेताओं के बीच शरणार्थियों ने ट्रांजिट सेंटर के विचार को खारिज कर दिया है. लेकिन इसकी जगह शरणार्थियों को पुलिस केंद्रों में ट्रांजिट-प्रक्रिया से गुजरना होगा.
3. सरकार ने कहा कि अगर म्यूनिख हवाई अड्डे पर शरणार्थियों को "ट्रांजिट एकोमोडेशन एरिया" में नहीं ले जाया जा सकता है, तो जर्मन पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी.
नेताओं में समझौता
नालेस ने कहा कि सभी राजनीतिक दल शरणार्थी नीति के पुनर्गठन और नए उपायों पर सहमत हो गए हैं, जो एक "अच्छा समाधान" है. वहीं जेहोफर भी बैठक के बाद काफी संतुष्ट नजर आए. उन्होंने मीडिया से कहा, "आप एक बहुत ही खुश गृहमंत्री को देख रहे हैं." नेताओं के मौजूदा रुख से साफ है कि मैर्केल ने सरकार गिरने के खतरे को न सिर्फ खत्म किया है, बल्कि शरणार्थी मुद्दे पर एक नए सिरे से सहमति बनाई है.
शरणार्थी मुद्दे पर गंभीर मतभेद
शरणार्थी विवाद पर यूरोपीय संघ की शिखर भेंट से पहले 28 सदस्य देशों के नेताओं के बीच गहरे मतभेद बने हुए हैं.
तस्वीर: Reuters/D.Z. Lupi
अंगेला मैर्केल,
चांसलर, जर्मनी
अंगेला मैर्केल ने यूरोपीय साथी देशों से शरणार्थी विवाद निपटाने के लिए साझा प्रयायों की अपील की. जर्मन संसद में बोलते हुए उन्होंने राष्ट्रीय कदमों को ठुकरा दिया, “यूरोप के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं, लेकिन रिफ्यूजी समस्या भविष्य का सवाल बन सकता है."
तस्वीर: Reuters/C. Mang
आंद्रे बाबिस,
प्रधानमंत्री, चेक गणतंत्र
आंद्रे बाबिस ने भूमध्य सागर के शरणार्थियों पर साझा जिम्मेदारी से इंकार किया और कहा, “हम पूरे ग्रह को नहीं बचा सकते.” उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की दक्षिणी सीमा को बचाने की जिम्मेदारी इटली, ग्रीस, स्पेन और माल्टा की है. शरणार्थी वाली नावों को उत्तर अफ्रीका में ही रोका जाना चाहिए.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/P. David Josek
अलेक्सिस सिप्रास,
प्रधानमंत्री, ग्रीस
अलेक्सिस सिप्रास ने कहा है कि वे जर्मन चांसलर के साथ शरणार्थी मुद्दे पर विशेष संधि के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, “ये उचित नहीं है कि ये लोग जर्मनी जाएं, यदि हम मानते हैं कि ये एक यूरोपीय समस्या है.” उन्होंने कहा कि बोझ के बंटवारे के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों की संरचना खोजी जानी चाहिए.
तस्वीर: Reuters/A. Konstantinidis
फिलिपो ग्रांडी,
प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन
संयुक्त राष्ट्र ने यूरोपीय शिखर सम्मेलन से पहले शरणार्थियों को बचाने वाले जहाजों को रोकने के लिए माल्टा और इटली के फैसलों की आलोचना की है. शरणार्थी संगठन के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने कहा, “बचाव कार्य को नकारना या शरण की जिम्मेदारी कहीं और थोपना अस्वीकार्य है.”
तस्वीर: Reuters/D. Balibouse
जुसेप कोंते,
प्रधानमंत्री, इटली
इटली के प्रधानमंत्री कोंते ने इटली की मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में शरणार्थी समस्या पर यूरोपीय संघ के नेताओं के नियोजित फैसलों पर वीटो लगाने की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि वे "उससे नतीजे निकालने" को तैयार हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZumaPress
एडी रामा,
प्रधानमंत्री, अल्बानिया
यूरोपीय शरणार्थी नीति में सुधारों पर बहस के बीच अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा ने कहा है कि बाल्कान देश अपने यहां शरणार्थियों के लिए रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए जाने को अस्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा, “हम कभी भी ऐसे शरणार्थी कैंप स्वीकार नहीं करेंगे.”
तस्वीर: DW
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जर्मनी की शरणार्थी नीति
साल 2015 के दौरान पैदा हुए शरणार्थी संकट के चलते जर्मनी ने गैर-यूरोपीय देशों के तकरीबन दस लाख शरणार्थियों को देश में जगह दी थी जिसके चलते देश के भीतर मैर्केल की लोकप्रियता कम हुई और धुर-राष्ट्रवादी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) की जमीन बढ़ी. नतीजतन, साल 2017 के आम चुनाव में एएफडी को करीब 13 फीसदी वोट भी मिला. लेकिन 2015 के बाद जर्मनी में आने वाले शरणार्थियों की संख्या घटी है. 2016 में महज 2.80 लाख शरणार्थी ही जर्मनी में दाखिल हुए. इस मुद्दे ने न सिर्फ देश के भीतर मैर्केल की लोकप्रियता कम की, बल्कि सीडीयू की सहोदर पार्टी सीएसयू के नेता जेहोफर के साथ भी चांसलर अंगेला मैर्केल के मतभेद खुलकर सामने आ गए.
जर्मनी-ऑस्ट्रिया के बीच
गुरुवार को जेहोफर ने ऑस्ट्रियाई चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स के साथ शरणार्थी मुद्दे पर बात की. दोनों नेताओं ने भूमध्य सागर के रास्ते, उत्तरी यूरोप में दाखिल होने वाले रिफ्यूजी और शरणार्थियों पर नियंत्रण के लिए "दक्षिणी मार्ग" कहे जाने वाले रास्ते को बंद करने की इच्छा जताई. इसके पहले ऑस्ट्रियाई चांसलर जेहोफर के सीमाओं पर ट्रांजिट सेंटर बनाए जाने के प्रस्ताव पर सवाल उठा चुके हैं. उनका तर्क था कि ऐसे ट्रांजिट सेंटर की वजह से ऑस्ट्रिया में शरणार्थियों का आना बढ़ सकता है.
मैर्केल और ओरबान
वहीं बर्लिन में मैर्केल और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के बीच मुलाकात भी कम विवादास्पद नहीं रही. मैर्केल ने ओरबान के रुख को शरणार्थी संकट के लिए एक "समस्या" कहा. मैर्केल ने कहा कि शरणार्थी दर्जा मांग रहे इन लोगों के साथ मानवीयता का रुख रहना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम ये नहीं भूल सकते कि ये मसला इंसानों से जुड़ा है." इसके उलट ओरबान ने कहा कि यह अधिक मानवीय होता अगर यूरोप आने को प्रोत्साहित न करते हुए यूरोप की सीमाएं बंद कर जाती.
अब सवाल है कि इसका यूरोपीय संघ के लिए क्या मतलब होगा. क्या मैर्केल का एसपीडी और सीएसयू नेताओं के साथ हुआ यह समझौता उन्हें यूरोपीय संघ के अन्य सदस्यों से तालमेल बिठाने में मदद करेगा?
कहां से आ रहे हैं शरणार्थी
यूरोप को अप्रत्याशित संख्या में आ रहे शरणार्थियों के व्यवस्थित पंजीकरण में कामयाबी नहीं मिली है. जर्मनी द्वारा सितबंर में शरणार्थियों के लिए सीमा खोलने से पहले अगस्त तक करीब छह लाख लोगों ने ईयू में शरण का आवेदन दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V.Shevchenko
1. सीरिया
यूरोपीय सांख्यिकी दफ्तर के अनुसार सबसे ज्यादा शरणार्थी सीरिया से हैं. इस साल सीरिया के करीब सवा लाख लोगों ने शरण का आवेदन दिया है जो कुल आवेदन का 20 फीसदी है.
तस्वीर: Getty Images/AP Photo/D. Vranic
2. कोसोवो
दूसरे नंबर पर सर्बिया से अलग होकर देश बनने वाला कोसोवो हैं जहां से करीब 66 हजार लोगों ने शरण का आवेदन दिया है. वे आर्थिक मुश्किलों की वजह से यूरोपीय देशों में बसना चाहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Plesch
3. अफगानिस्तान
पिछले साल पश्चिमी सेनाओं की वापसी के बाद अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ी है और शरणार्थियों की संख्या बढ़ी है. इस साल करीब 63 हजार लोग यूरोप में शरण का आवेदन दे चुके हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Kohsar
4. अलबानिया
यूरोपीय देशों में शरण चाहने वालों में चौथे नंबर पर अलबानिया के लोग हैं जहां के करीब 43 हडार लोगों ने आवेदन दिया है. अलबानिया के लोग भी आर्थिक मुश्किलों से भाग रहे हैं.
तस्वीर: Getty Images/T. Lohnes
5. इराक
जिन देशों के लोगों को शरण मिलने की सबसे ज्यादा संभावना है उनमें सीरिया और एरिट्रिया के अलावा इराक भी है. इराक के करीब 34 हजार लोगों ने शरण के लिए आवेदन दिया है.
तस्वीर: Reuters/A. Saad
6. एरिट्रिया
अफ्रीकी देश एरिट्रिया के करीब 27 हजार लोग यूरोपीय संघ के देशों में शरण लेना चाहते हैं. वे बेहतर जिंदगी की चाह में भूमध्य सागर के रास्ते जान की बाजी लगाकर यूरोप पहुंचने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: DW/Yohannes G/Egziabher
7. सर्बिया
कभी सर्बिया की वजह से शरणार्थी यूरोप आ रहे थे. अब सर्बिया के लोग भी ईयू में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं. और रास्ता नहीं होने के कारण करीब 22 हजार लोगों ने शरण पाने के लिए आवेदन दिया है.
तस्वीर: DW/L. Scholtyssyk
8. पाकिस्तान
आतंकवाद और पिछड़ेपन में उलझे पाकिस्तान के बहुत से लोगों के लिए भी देश से भागना बेहतर जिंदगी का एकमात्र रास्ता है. शरण के आवेदकों में करीब 20 हजार पाकिस्तान से हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Ali
9. सोमालिया
यूरोप आने वाले शरणार्थियों में चोटी के दस देशों में सोमालिया भी शामिल है. सोमालिया जहां सरकार का तंत्र पूरी तरह खत्म हो चुका है, वहां से 13 हजार लोगों ने शरण पाने के लिए आवेदन दिया है.
तस्वीर: Reuters/F. Oma
10. यूक्रेन
यूरोप में गृहयुद्ध झेल रहा यूक्रेन भी लोगों के भागने की समस्या से जूझ रहा है. वहां से भी करीब 13 हजार लोगों ने यूरोपीय संघ में शरण पाने की इच्छा जताई है.