जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि वर्तमान शरणार्थी संकट की जड़ पर ध्यान देकर समस्या का निपटारा करने के लिए यूरोपीय संघ को अमेरिका, रूस और मध्यपूर्व के दूसरे देशों के समर्थन की जरूरत है.
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मैर्केल ने जर्मन संसद को संबोधित करते हुए बताया कि शरणार्थियों की समस्या से तभी ठीक तरीके से निपटा जा सकता है जब उनके देश छोड़ने के कारणों को देखा जाए. मैर्केल ने कहा, "यह तभी हो सकेगा जब हमारे ट्रांसएटलांटिक पार्टनर, अमेरिका, रूस और मध्यपूर्व के देश सीरिया की विकट स्थिति को संभालने में मदद करें."
ब्रसेल्स में हुई आपातकालीन बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, "जिन देशों से ये लोग आ रहे हैं, हमें उन देशों में स्थायित्व लाने के लिए और प्रयास करने होंगे."
कई महीनों की बहस के बाद यूरोपीय संघ के नेताओं में ईयू की बाहरी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने और मध्यपूर्व में रह रहे सीरियाई शरणार्थियों के भरण पोषण और उन्हें आगे यूरोप की ओर आने के लिए हतोत्साहित करने के लिए और ज्यादा आर्थिक मदद देने पर सहमति बन गई है.
28 देशों के ब्लॉक ईयू में इस साल अब तक मध्यपूर्व और अफ्रीका के संकटग्रस्त इलाकों से भाग कर आने वालों की संख्या पांच लाख तक पहुंच गई है. नवंबर तक ग्रीस और इटली में हॉटस्पॉट केंद्रों में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए ईयू के विशेष अधिकारियों के दस्ते भी तैनात कर दिए जाएंगे.
सभी यूरोपीय नेताओं ने तुर्की के साथ बातचीत बढ़ाने पर सहमति बनाई, जिसने करीब 20 लाख रिफ्यूजियों को पनाह दी है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के 5 अक्टूबर को ब्रसेल्स आने की उम्मीद है.
इसके अतिरिक्त ईयू सम्मेलन में सीरिया में युद्ध खत्म करवाने के लिए "यूएन की अगुआई में नए अंतरराष्ट्रीय प्रयास" करने की जरूरत पर बल दिया गया. इसी युद्ध की स्थिति के कारण वहां से अब तक 1.2 करोड़ लोग अपना घर छोड़कर भाग चुके हैं. इस पर चांसलर मैर्केल ने कहा कि सीरिया में शांति लाने के लिए राष्ट्रपति बशर अल असद समेत इस संकट से जुड़े सभी किरदारों से बातचीत करनी होगी.
ईयू अध्यक्ष और प्रधानमंत्रियों की 15-16 अक्टूबर को ब्रसेल्स में होने वाली अगली बैठक में इस पर फिर से चर्चा होगी. तब तक सभी सरकारें और ईयू संस्थाएं तत्कालित जरूरतों को पूरा करने के लिए तेज कदम उठाएंगी.
कोई सरहद ना इन्हें रोके!
शरणार्थियों को देश में आने से रोकने के लिए हंगरी अपनी सीमा पर तार बाड़ लगा रहा है. पहले सर्बिया से लगी सीमा पर ऐसा किया गया और अब क्रोएशिया की सरहद को भी सील किया जा रहा है.
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हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने शुक्रवार को सरकारी रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा, "रात में ही सरहद बंद करने का काम शुरू कर दिया गया था. ऐसा लगता है कि हम किसी से मदद की उम्मीद नहीं कर सकते." ओरबान का इशारा यूरोपीय संघ की ओर था, जो शरणार्थियों के आने पर रोक लगाने के खिलाफ है.
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ओरबान ने बहुत साफ शब्दों में कहा, "हम अपनी सरहदों की रक्षा करेंगे." उन्होंने कहा कि रात में 600 सिपाहियों को सरहद पर तैनात कर दिया गया था, शुक्रवार को 500 अन्य सैनिक पहुंचेंगे और वीकेंड के अंत तक करीब 1800 सैनिक और 600 पुलिसकर्मी सरहद पर पहरा दे रहे होंगे.
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हंगरी और क्रोएशिया के बीच 330 किलोमीटर लंबी सरहद है. इसमें से 41 किलोमीटर में बाड़ लगाई जा रही है. बाकी के इलाके में द्रावा नदी बहती है, जिसे पार करना वैसे भी मुश्किल है. पिछले हफ्ते सर्बिया की सीमा को सील करने के बाद 13,000 शरणार्थी क्रोएशिया के रास्ते हंगरी में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे हैं. इन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है.
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बहुत से लोग जेब में इस तरह के पर्चे ले कर अपने घर से निकले हैं. वे नहीं जानते कि मंजिल तक कैसे पहुंचना है. जहां बाकी साथियों को जाते देखा, उनके साथ चल दिए. बस, ट्रेन, नाव, और पैदल, हर तरह से वे यूरोप तक का रास्ता तय कर रहे हैं.
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सर्बिया की सीमा पर जब कुछ लोगों ने बाड़ तोड़ कर देश में प्रवेश करने की कोशिश की तो पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछार कर उन्हें रोका. पुलिस के बर्ताव से हंगरी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है. कुछ दिन पहले हंगरी की ही एक पत्रकार का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उसे शरणार्थियों को मारते हुए देखा गया.
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बाड़ तोड़ कर आए लोगों ने पुलिस के साथ मुठभेड़ में अपना बचाव करने के लिए पत्थरबाजी भी की. दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वाले हंगरी के प्रधानमंत्री ओरबान कह चुके हैं, "जो देश अपनी सरहद की रक्षा करना नहीं जानता, वह देश नहीं है."