यूरोप में चल रहे शरणार्थी संकट को ले कर जर्मनी की नीति बिलकुल साफ है, बिना किसी अगर मगर के. डॉयचे वेले की डागमार एंगल का कहना है कि अंगेला मैर्केल को सही समय चुनने की जरूरत है.
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बर्लिन में चांसलर की वार्षिक प्रेस कांफ्रेंस में अंगेला मैर्केल ने शरणार्थी नीति से जुड़े सवालों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने अपना साफ रुख रखा.
1. राजनीतिक शरण, युद्ध और उत्पीड़न से बचाव के मौलिक अधिकार का सम्मान किया जाएगा.
2. लोग किसी भी मूल के हों, उनका शरण लेने का इरादा हो या ना हो, हर हाल में उनकी मानव गरिमा की सुरक्षा के मौलिक अधिकार का सम्मान किया जाएगा.
3. जो भी व्यक्ति इन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा, जो भी जर्मनी आने वालों का उत्पीड़न करेगा, शरणार्थी शिविरों में आगजनी करेगा, उसे कानून के अंतर्गत कड़ी सजा दी जाएगी.
मैर्केल ने उग्र दक्षिणपंथियों के विचारों का बचाव करने की कोई कोशिश नहीं की क्योंकि कोई भी दलील शरणार्थियों और विस्थापितों के खिलाफ घृणित कार्रवाई को सही नहीं ठहरा सकती. विदेशियों से नफरत करने वालों से चांसलर बात नहीं कर रहीं. उनका बस चलता, तो वे उनके बारे में भी बात नहीं करतीं. चांसलर का किसी भी रूप में उनके बारे में बात करना, केवल उन्हें बढ़ावा ही देगा. "उनसे दूर रहिए", यह कह कर मैर्केल ने ना केवल अपनी जनता को चेतावनी दी, बल्कि साथ ही एक नया सकारात्मक रास्ता भी अपनाया. मैर्केल ने उन लोगों का आभार व्यक्त किया जो शरणार्थियों की मदद के लिए आगे आए हैं. उनका कहना है कि उन्हें इस बात पर नाज है कि मदद करने वाले नागरिकों की संख्या नफरत फैलाने वाले तत्वों से काफी ज्यादा है. उन्होंने शरणार्थी संकट पर रिपोर्टिंग के लिए जर्मन मीडिया की भी तारीफ की.
लेकिन यहां मुद्दा है उनकी टाइमिंग का. काश कि ये शब्द एक सप्ताह पहले कहे गए होते. या फिर उससे भी पहले. फ्रायटाल में बनने वाले शरणार्थी शिविर के खिलाफ मोर्चे कई हफ्ते पहले निकाले गए. उसके बाद हाइडेनाउ में भी ऐसे कई प्रदर्शन हुए. शायद इन्हें तब ही रोका जा सकता था. "जब भी कोई अहम मुद्दा उठे, तो हमें उस पर बहस करनी चाहिए", यह बात भी अंगेला मैर्केल ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही. लेकिन जब बात मौलिक अधिकारों की होती है, तो उन पर किसी बहस की जरूरत नहीं होती, बल्कि केवल सही वक्त पर सही रुख दिखाने की जरूरत होती है.
मदद के हाथ
जर्मनी में हर रोज कहीं न कहीं से शरणार्थियों के हॉस्टलों में आगजनी की खबर आ रही है लेकिन दूसरी ओर हजारों ऐसे लोग भी हैं जो शरणार्थियों की हर तरह से मदद कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Schmidt
लोगों से अपील
चांसलर अंगेला मैर्केल ने नस्लवादियों और उग्रदक्षिणपंथियों को चेतावनी दी है कि शरणार्थियों पर हमले की स्थिति में सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि उन लोगों के प्रति कोई सहिष्णुता नहीं दिखाई जाएगी जो मानव मर्यादा पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस तरह की रैलियां निकालने वालों का साथ न दें.
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वेलकम चैलेंज
हैशटैग #WelcomeChallenge के साथ वोलंटीयर यूट्यूब और फेसबुक पर लोगों से शरणार्थियों की मदद का आह्वान कर रहे हैं. जो मदद कर रहा है वह उसकी तस्वीर पोस्ट करता है. स्टार कुक सैरा वीनर से भी मदद करने की अपील की गई. वे बर्लिन के शरणार्थियों के लिए खाना लेकर आईं.
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वेलकम यूनाइटेड 03
लॉक पोट्सडम के हेनिंग आइष वेलकम यूनाइटेड 03 के खिलाड़ियों का स्वागत कर रहे हैं. यह जर्मनी की पहली सिर्फ शरणार्थियों वाली टीम है. लीग के अपने पहले मैच में पोट्सडम की टीम ने लॉक पोट्सडम को 3-0 से हरा दिया. 40 सदस्यों वाली टीम की कोर्डिनेटर मान्या थीमे का कहना है कि फुटबॉल जोड़ता है.
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रोजमर्रा के लिए जर्मन
कार्ल लंडहैर बवेरिया प्रांत के टानहाउजेन में शरणार्थियों को जर्मन सिखाते हैं. पेंशनयाफ्ता प्रिंसिपल लंडहैर ने अपने साथियों के साथ मिलकर शरणार्थियों के लिए जर्मन भाषा नाम की किताब भी लिखी है. उनका कहना है कि यह किताब जर्मनी में नवागंतुकों को शुरुआती दिनों में होने वाली जरूरतों के बारे में बताती है.
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स्वागत उत्सव
शरणार्थी और उनकी मदद करने वाले स्वागत समारोह में एक साथ नृत्य कर रहे हैं. हाइडेनाऊ के 600 शरणार्थी इससे पहले वहां से बाहर निकलने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. उन्हें एक पूर्व डीआईवाई बाजार में पुलिस सुरक्षा में ठहराया गया है. उग्र दक्षिणपंथियों ने कई दिनों तक उनके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किया था.
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साइकिल का तोहफा
टोबियास फ्लाइटर टोगो के एक शरणार्थी के लिए साइकिल की टायर में हवा पंप कर रहे हैं. दो स्वयंसेवकों ने पांच साइकिलों की मदद से बाइक्स विदाउट बोर्डर्स नाम की परियोजना शुरू की है. अब उनकी टीम में 15 वोलंटीयर हैं. इस बीच उन्होंने 200 साइकिलों की मरम्मत कर उन्हें कार्ल्सरूहे में शरणार्थियों को देना शुरू किया है.
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कपड़ों का बंटवारा
बर्लिन में शरणार्थी हॉस्टलों में सारी जगहें भरी हुई हैं. हाल ही में तीन नए हॉस्टल बनाए गए हैं. उनमें से एक शोएनेबर्ग इलाके में खाली पड़े टेस्के स्कूल में है. यहां 200 लोगों को ठहराया जा सकता है. तमाया सोशल सर्विस के कर्मचारी उनकी मदद कर रहे हैं. वोलंटीयर्स भी कपड़ों के बंटवारे में हाथ बटाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka
सिल्ट पर स्वागत
योआखिम लेबर (बीच में) सीरिया के इस परिवार की देखभाल कर रहे हैं. वे विदेशियों के घुलने मिलने में मदद देने वाली संस्था इंटिग्रात्स्योन्सहिल्फे सिल्ट के सदस्य हैं. वोलंटीयर्स द्वीप पर रह रहे 120 शरणार्थियों को जर्मन सिखाते हैं और उनके लिए वैकल्पिक परिवार की तरह हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Marks
भूमध्यसागर में रक्षा
भूमध्यसागर में डूबने से बचाए गए लोगों को जर्मन सैनिक स्पीड बोट की मदद से अपने जहाजों पर लाते हैं. मई 2015 के बाद से जर्मन नौसैनिकों ने 7500 लोगों की समुद्र में जान बचाई है. उनमें 33 वर्षीया गर्भवती रहमान अली (बैंगनी ड्रेस में) भी हैं. सोमालिया की रहमान अली पांच महीनों से घर से निकली हुई हैं.
जर्मनी में पैदा हुई बच्ची का नाम सोफिया है. रहमान अली की बेटी 49 सेंटीमीटर की है और उसका वजन 3000 ग्राम है. वह पहली बच्ची है जो जर्मन नौसेना के जहाज श्लेसविष होल्श्टाइन पर पैदा हुई है. एक सैनिक कहता है, "ऐसे मौकों पर लगता है कि आप कुछ काम का कर रहे हैं."
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सुरक्षित सफर
भाषा का नहीं जानना शुरू में शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्या होती है. कहीं कैसे जाएं, टिकट कैसे खरीदें, निशानों का मतलब क्या है, इस सब के बारे में हाले शहर में सीरिया के शरणार्थियों को मेन स्टेशन पर बताया जा रहा है. एक पुलिसकर्मी यह भी बता रही है कि स्टेशन पर उन्हें सफेद लाइन के पीछे रहना है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Schmidt
शरणार्थियों की तैराकी
दक्षिण जर्मनी में श्वेबिया के ग्मुंड शहर में शरणार्थी तैराकी सीख सकते हैं. लुडविष मायोर तैराकी का प्रशिक्षण देते हैं. हाल ही में बने तैराकी संघ का मकसद विदेशियों को समाज में घुलाना मिलाना है. वोलंटीयर रोलांड वेंडेल कहते हैं कि तैराक एक दूसरे की मदद करते हैं.