शरद पवार को सुप्रीम कोर्ट की लताड़
३१ अगस्त २०१०
अदालत खाद्यान्न की बर्बादी से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई पर अदालत ने कहा था कि सरकार को गोदामों में अनाज को सड़ने के लिए छोड़ने के बजाए इसे गरीबों में बांट देना चाहिए. पवार ने इसे कोर्ट की सलाह बताते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्रीय मजबूरियों के कारण अनाज को मुफ्त में बांटना मुमकिन नहीं है.
न्यायाधीश दलवीर भंडारी और न्यायाधीश दीपक वर्मा की खंडपीठ ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से पवार के बयान को खारिज कर दिया. अदालत ने सरकारी वकील को कहा "मंत्री को बता दें कि उन्हें अनाज का मुफ्त वितरण करना होगा. यह सलाह नहीं आदेश था."
अदालत ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए सरकार को गरीबी रेखा से नीचे और इससे ऊपर रहने वालों का तथा अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों का नए सिरे से सर्वेक्षण कराने को कहा था ताकि इससे प्राप्त नए आंकड़ों की मदद से पांच साल के भीतर भारत को भूख मुक्त बनाया जा सके.
अदालत ने सरकार को इस दिशा में तत्काल कारगर कदम उठाने को कहा है ताकि खाद्यान्न की बर्बादी को रोका जा सके. खंडपीठ ने गरीबी रेखा से ऊपर रहने वालों को सब्सिडी पर अनाज देने की सरकार की नीति पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार अपनी योजना का दायरा बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही है, तब तो इसकी सीमा तीन लाख रुपये करनी चाहिए.
रिपोर्टः पीटीआई/निर्मल
संपादनः वी कुमार