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शहाबुद्दीन पाकिस्तान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

२१ जून २०१२

पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने औपचारिक तौर पर कपड़ा मंत्री मकदूम शहाबुद्दीन को प्रधानमंत्री के लिए नामांकित कर दिया है. पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने पद के अयोग्य घोषित किया था.

तस्वीर: dapd

मकदूम शहाबुद्दीन ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. शहाबुद्दीन पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पीपीपी के वफादार सदस्य माने जाते हैं और पीपीपी के गठबंधन के पास संसद में बहुमत है. पार्टी को शहाबुद्दीन के चुने जाने की पूरी उम्मीद है. शहाबुद्दीन 65 साल के हैं और मध्य पाकिस्तान जिला रहीम यार खान के रहने वाले हैं. उनके पिता दो बार पाकिस्तानी सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

मंगलवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को उनके पद के लिए अयोग्य घोषित किया था. पीपीपी ने उसके तुरंत बाद शहाबुद्दीन के नामांकन के लिए पैरवी शुरू कर दी थी. हालांकि इस बीच पाकिस्तान के टेलीविजन चैनलों का कहना है कि रावलपिंडी की एक अदालत ने शहाबुद्दीन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. कोर्ट के मुताबिक वह एक ऐसे नशीले पदार्थ के आयात में मदद कर रहे थे जिससे मेथेम्फेटामीन ड्रग बनाया जाता है. लेकिन शहाबुद्दीन ने एक बयान में कहा है कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन्हें कमजोर करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक ये आरोप शहाबुद्दीन के पद को अस्थिर कर सकते हैं.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने पड़ेंगे. विश्लेषकों का मानना है कि इससे पाकिस्तान सरकार और कोर्ट के बीच अनबन जारी रहेगी और राजनीतिक अस्थिरता 2013 फरवरी में चुनावों तक बनी रहेगी. इसके अलावा गिलानी की सरकार से भी लोग असंतुष्ट हैं क्योंकि देश में आर्थिक असुरक्षा को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

गिलानी के जाने से अटकलें चल रही हैं कि चुनाव अब अगले साल की जगह इसी साल नवंबर में करवाने के बारे में घोषणा की जाएगी. पाकिस्तानी कानून के मुताबिक चुनाव दिन के तीन महीने पहले सरकार को पद से हटना होगा और देश को अंतरिम सरकार संभालेगी. इसका मतलब है कि अगस्त तक वर्तमान सरकार सत्ता छोड़ सकती है, जिससे देश में आर्थिक हालात और खराब हो सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय नजरिए से देखा जाए तो पाकिस्तान की स्थिरता और अहम हो जाती है क्योंकि 2014 में अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय सेना को वापस लेने की योजना बनाई जा रही है. अफगान पाकिस्तान सरहद पर आतंकवाद को देखते हुए पाकिस्तान में राजनीतिक हालात ही इस बदलाव को तय कर सकेंगे.

एमजी/एएम (एपी, एएफपी)

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