शांति के लिए खतरा बन रहा है जलवायु परिवर्तन
२६ जून २०१९![Somalia, Tabda: Soldaten aus Kenia](https://static.dw.com/image/49356938_800.webp)
स्वीडन के स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान (सिपरी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दस में से आठ देश, जहां सबसे बड़े शांति मिशन चल रहे हैं, वे जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में स्थित हैं.
सिपरी में जलवायु परिवर्तन पर शोध करने वाले रिसर्चर फ्लोरियान क्रैंप ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "जलवायु परिवर्तन एक जटिल और मिश्रित प्रक्रिया है. ऐसे में कोई भी रणनीति जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान नहीं रखा जाएगा, वह शांति प्रक्रिया की सफलता को प्रभावित करेगा."
क्रैंप ने कहा, "यह लगभग वैसा ही है कि जैसे कि आप नाव के एक हिस्से में मरम्मत कर रहे हैं और दूसरी ओर पांच और छेद निकल आएं." उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई सारे मामलों का हल नहीं है. क्रैंप के मुताबिक, "जलवायु परिवर्तन बड़ी सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर रहा है और हमारे पास कोई ठोस सुरक्षा समाधान नहीं है."
रिसर्च स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ाता है. सूखे प्रभावित इलाकों में होने वाले आपसी विवाद इसका एक उदाहरण माना जा सकता है.
सिपरी ने ऐसे देशों की पहचान की है जहां जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक पड़ रहा है. इसमें सोमालिया, दक्षिणी सूडान, अफगानिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो प्रमुख हैं. इन देशों में बहुपक्षीय शांति मिशन चलाए जा रहे हैं.
संस्थान की ओर से कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन सीधे तौर पर मौजूदा विवादों को हवा दे रहा है और हिंसक संघर्ष की संभावना को बढ़ा रहा है. इसके साथ ही बहुपक्षीय शांति प्रयासों को चुनौती दे रहा है.
सिपरी के मुताबिक शांति प्रक्रियाएं "कमजोर" हैं वहीं जलवायु परिवर्तन का प्रभाव साफ तौर पर नजर आ रहा है.
क्रैंप ने कहा, "अगर वाकई हमारा लक्ष्य शांति स्थापित करना है तो इन जटिल परिस्थितियों में हमें शांति प्रक्रियाओं को लेकर अपनाए जाने वाले तरीकों को बदलने की जरूरत है, खासकर तब जब शांति से हमारा मतलब हिंसा को खत्म करने से अधिक है."
लेवीस सेंडर्स/एए
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