अफगान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग (एआईएचआरसी) ने कहा है कि देश में युद्ध और हिंसा के कारण पिछले साल 8,500 नागरिक मारे गए. अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता चल रही है.
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एआईएचआरसी के मुताबिक साल 2020 में देश में युद्ध और हिंसा के कारण 8,500 नागरिक हताहत हुए. वार्षिक रिपोर्ट में 2,958 मौतों का जिक्र है. साल 2019 में मरने वालों की संख्या 2,817 थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि के दौरान तालिबान के हमले में 4,568 नागरिकों की मौत हई या वे घायल हुए.
जबकि अज्ञात समूह के हमले में मरने वालों की और घायल हुए लोगों की कुल संख्या 2,107 है. वहीं सुरक्षा बलों को 1,188 लोगों की मौत और घायल होने का दोषी ठहराया गया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन ने कहा, "हाल के दिनों में तालिबान ने जिम्मेदारी लिए बिना बड़े अपराध किए हैं. तालिबान ने हमारे हजारों नागरिक को मारा है."
अफगानिस्तान सरकार की तालिबान के साथ शांति वार्ता चल रही है और इस दौरान हिंसा में कोई कमी नहीं हुई. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शांति के लिए दबाव बनाया जा रहा है. पिछले साल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सरकारी कर्मचारियों और पत्रकारों की हत्या हुई थी. यही नहीं आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था. मई के महीने में प्रसूति वार्ड में भी नई मांओं को मौत के घाट उतार दिया गया था.
एआईएचआरसी ने इन निष्कर्षों पर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है. उसके मुताबिक आधी से अधिक मौतें तालिबान के कारण हुईं, 15 प्रतिशत सरकारी सुरक्षाबलों और उनके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की कार्रवाई में मौतें हुई, जबकि बाकी मौतों का कारण अज्ञात संगठनों जैसे कि इस्लामिक स्टेट है.
राजनयिक चिंता जता रहे हैं कि तालिबान द्वारा हिंसा खास तौर से सफल शांति वार्ता के लिए जरूरी विश्वास को कम कर रही है. कई महीनों की देरी के बाद पिछले साल सितंबर में दोहा में शांति वार्ता की शुरूआत हुई थी. अमेरिका भी देश से धीरे-धीरे अपनी सैनिकों की संख्या कम कर रहा है और मई तक पूरी तरह से देश से सैनिकों को वापस बुला लेगा.
अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन कह चुके हैं कि उनका प्रशासन व्यवस्थाओं की समीक्षा करेगा. अधिकांश राजनयिकों और विश्लेषकों को वार्ता जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि अमेरिकी सैनिकों की वापसी को पीछे किया जा सकता है. तालिबान के एक प्रवक्ता ने एएचआईआरसी के निष्कर्षों को खारिज करते हुए कहा है कि वे केवल सैन्य ठिकानों पर हमले करते हैं.
सरकार का कहना है कि तालिबान नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार है. एरियन के मुताबिक, "हाल के महीनों में तालिबान ने जिम्मेदारी लिए बिना कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है. जिनमें हजारों लोग मारे गए हैं."
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वार्षिक वर्ल्ड टेररिज्म इंडेक्स में अफगानिस्तान को धरती पर सबसे अधिक आतंक से प्रभावित देश बताया है. इस सूची में एशिया और अफ्रीका के भी कई देश शामिल हैं.
तस्वीर: Mohammad Jan Aria/Xinhua/Imago Images
अफगानिस्तान
ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (2020) में अफगानिस्तान को पहले पायदान पर रखा है. धरती पर सबसे अधिक आतंक प्रभावित देश अफगानिस्तान को 9.59 अंक दिए गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/H. Sabawoon
इराक
इराक भी आतंक से प्रभावित देशों में दूसरे स्थान पर है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने इराक को 10 में से 8.68 अंक दिए हैं.
तस्वीर: Reuters/G. Tomasevic
नाइजीरिया
तीसरे स्थान पर पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया है. यहां पिछले कुछ महीनों में जिहादी गुटों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष तेज हुआ है. आतंक से प्रभावित नाइजीरिया को 10 में से 8.31 अंक मिले हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सीरिया
7.77 अंक के साथ सीरिया चौथे स्थान पर हैं. सीरिया में बशर अल असद के खिलाफ कई ऐसे गुटे भी लड़ रहे हैं जिनके रिश्ते इस्लामिक संगठनों से हैं या वे जिहादी संगठन हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Anha
सोमालिया
पांचवें स्थान पर पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालिया है. विश्व आतंकवाद सूचकांक में इसे 7.64 अंक मिले हैं. यहां पर अल शबाब आतंकी संगठन के आतंकियों का सुरक्षा बलों के साथ लंबे समय से संघर्ष जारी है. सोमालिया में 700 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और अमेरिका वहां से सैन्य कटौती की योजना बना रहा है.
मध्य-पूर्वी देश यमन में शांति दूर-दूर तक नजर नहीं आती है. हूथी विद्रोहियों के साथ ही देश अकाल से भी जूझ रहा है. सूचकांक में इसे 7.58 अंक मिले हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Arhab
पाकिस्तान
एशियाई देश पाकिस्तान आतंकवाद से प्रभावित देशों की सूची में सातवें स्थान पर है. पाकिस्तान को संस्था ने 10 में से 7.54 अंक दिए हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Raza
भारत
आतंकवाद से प्रभावित देश के रूप में भारत आठवें स्थान पर है. भारत को 10 में से 7.35 अंक दिए गए हैं. भारत का जम्मू-कश्मीर क्षेत्र आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
नौवें स्थान पर डीआरसी कांगो है. संस्था ने इसे 7.17 अंक दिए हैं. डीआरसी कांगो की अस्थिरता का एक लंबा इतिहास है और यह भी आतंक से प्रभावित देशों में से एक है.
एशियाई देश फिलीपींस को इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने आतंक से प्रभावित देश की सूची में 10वें स्थान पर रखा है. फिलीपींस को 7 अंक मिले हैं. स्रोत:ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस