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डगमग उम्मीद के साथ वार्ता

१२ फ़रवरी २०१४

सीरिया शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे लखदर ब्राहिमी का कहना है कि वार्ता के दूसरे चरण में कुछ उम्मीद बंधी है. सीरिया की सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत का पहला चरण आरोप प्रत्यारोप पर खत्म हुआ था.

तस्वीर: reuters

इस हफ्ते सोमवार को दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दूसरा चरण शुरू हुआ. ब्राहिमी ने कहा, "इस हफ्ते की शुरुआत उतनी ही मुश्किल थी जितनी कि पहले थी." हालांकि उन्होंने माना कि बात ज्यादा कुछ बन नहीं रही है.

बातचीत का पहला दिन मुश्किल रहा और लग रहा था कि मंगलवार को जब दोनों पक्ष एक दूसरे के आमने सामने आएंगे तो मुश्किलें और बढ़ेंगी. और हुआ भी यही मंगलवार को वार्ता तीन घंटे में ही सिमट गई. ब्राहिमी ने बताया कि वह रूस और अमेरिका के अधिकारियों से शुक्रवार को जेनेवा में मिलने वाले हैं. उन्होंने कहा अगले कुछ हफ्तों में वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और सुरक्षा परिषद के सामने रिपोर्ट पेश करेंगे.

होम्स तक पहुंचने में छह महीने लग गएतस्वीर: Reuters

दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों का कहना है कि सत्र एजेंडा पर सहमति बनाने में असफल रहा. विपक्ष का कहना है कि सीरिया में तीन साल से जारी संघर्ष को रोकने के लिए अंतरिम सरकार ही एक विकल्प है जिसमें राष्ट्रपति बशर अल असद का कोई दखल न हो. वहीं असद सरकार के प्रतिनिधियों का कहना है कि बातचीत देश में आतंकवाद के अंत पर होनी चाहिए. असद के भविष्य पर चर्चा का कोई सवाल ही नहीं है.

निराशा

विपक्ष के प्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि उन्हें अभी तक वार्ता में किसी तरह का फायदा होता नहीं दिखाई दे रहा. उनके प्रवक्ता लोए साफी ने कहा कि विपक्ष ने वार्ता की रफ्तार बढ़ाने की मांग की थी लेकिन सरकारी प्रतिनिधि उसमें लगातार बाधा डाल रहे हैं.

उन्होंने कहा, "यहां पर कई लोग राजनीतिक हल निकालने नहीं आए हैं. उनका मकसद है एक आदमी की तानाशाही बनाए रखने के लिए सीरिया में लोगों को मारना." उन्होंने आगे कहा, "हम सीरिया के लोगों को बताना चाहते हैं कि हम यहां हमेशा नहीं रहेंगे. बहुत जल्द यह साफ हो जाएगा कि सरकार इसका कोई हल चाहती ही नहीं है. और फिर हम इस मुद्दे का हल निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर नैतिक दबाव डालेंगे."

सोमवार को विपक्ष के प्रतिनिधियों ने कहा था कि अगर मौजूदा सत्र किसी समझौते पर नहीं पहुंचा तो हम बातचीत के तीसरे चरण में नहीं जाएंगे. साफी ने कहा, "अगर अब तक कोई हल नहीं निकला है तो मेरी नजर में तीसरे चरण में जाना समय की बर्बादी होगी."

खींचतान

24 से 31 जनवरी तक चले बातचीत के पहले चरण में जो एक ही अच्छा परिणाम सामने आया था वह था होम्स से नागरिकों को निकाले जाने पर सहमति. ब्राहिमी ने कहा, "होम्स को कामयाबी माना जा सकता है, लेकिन इसे होने में ही छह महीने लग गए. 800 लोगों को बाहर निकालने और खाना पहुंचाने में छह महीने."

सीरिया को दी जा रही मदद बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इस प्रस्ताव में सीरिया में खतरनाक इलाकों में रह रहे लोगों की अबाधित मदद की बात की गई है. अगर 15 दिनों में यह मदद नहीं पहुंचाई गई तो इसमें अड़ंगा डालने वालों पर असैनिक प्रतिबंध लागू करने की बात की जा रही है. रूस ने कहा है कि अगर यह प्रस्ताव जस का तस लागू किया जाता है, तो वह वीटो कर देगा.

इस प्रस्ताव में सीरिया में तीन साल से जारी हिंसा पर भारी गुस्सा जताया गया है. 2011 से अब तक सीरिया में अब तक एक लाख छत्तीस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं जिनमें ग्यारह हजार से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं.

एसएफ/एएम (एएफपी, डीपीए)

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