दुनिया की मशहूर बाघिन 'मछली' की मौत हो गई है. टी16 या मछली के नाम से प्रसिद्ध इस बाघिन ने राजस्थान के राष्ट्रीय पार्क में आखिरी सांसें लीं. क्या आपको याद है कि मछली सबसे मशहूर बाघिन बनी कैसे थी, देखिए.
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रणथम्बौर के भीतर पुराने के किले अवशेषों पर बैठकर अपने इलाके के देखने वाली मछली अपने पीछे तीन पीढ़ियां छोड़कर विदा हुई. पिछले दो दशकों से राजस्थान के रणथम्बौर राष्ट्रीय पार्क ही बाघिन 'मछली' का घर था. एक बाघिन का नाम मछली रखा जाना अजीब लगता है लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी है. असल में इस बाघिन को ज्यादातर समय रणथम्बौर पार्क के भीतर पानी वाले इलाके में रहना ही पसंद था, इसी कारण उसे मछली कहा गया.
इसके अलावा भी इसके कई नाम थे. जैसे उसका नाम 'लेडी ऑफ दि लेक' तब पड़ा, जब पानी में बहादुरी से मगरमच्छ से लड़ने की बेहतरीन तस्वीरें दुनिया के सामने आईं. साल दर साल इस पार्क के सभी बाघों में मछली की सबसे ज्यादा तस्वीरें ली गईं. इस तरह वह कई किताबों और वृत्तचित्रों की मुख्य स्टार बन गई.
वन अधिकारी योगेश कुमार साहू ने बताया, "मछली बहुत बूढ़ी हो गई थी और पिछले कुछ समय से बीमार चल थी. चार दिन से वो जंगल में कुछ कुछ बेहोशी जैसी हालत में एक ही जगह बैठी थी."
राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर मछली की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि उसने कई दर्शकों को जीवन भर ना भूलने वाली कहानियां दीं थीं.
बाघिन टी16 को सबसे पहले सन 1997 में स्पॉट किया गया था. इसलिए उसकी उम्र कम से कम 20 साल तो थी ही, इससे ज्यादा भी हो सकती है. बाघ प्रजाति की औसत आयु 12 से 13 साल ही होती है. इस लिहाज से भी मछली दुनिया की सबसे बूढ़ी बाघिन खास साबित हुई. बीते कुछ सालों में उसके दांत टूट गए थे और वन अधिकारी उसे खुद खाना उपलब्ध कराकर उसका ख्याल रखते थे.
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Lomka
सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
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ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
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अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
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सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
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कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.