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शाकाहारियों के लिए अलग मेस

समरा फातिमा३ नवम्बर २०१४

भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में शाकाहारी और मांसाहारी खाने के लिए अलग मेस हो सकती हैं. मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के मुताबिक देश के आईआईटी और आईआईएम को यह प्रस्ताव लगातार आ रही मांग के बाद भेजा गया है.

तस्वीर: DW/S. Waheed

मंत्रालय ने आईआईटी और आईआईएम संस्थानों के निदेशकों को प्रस्ताव भेजा है कि वे हॉस्टल की मेस में शाकाहारी और मांसाहारी खाने के लिए अलग व्यवस्था करें. 15 अक्टूबर को उपमंत्री एके सिंह ने इन संस्थानों को एक व्याख्या पत्र के साथ प्रस्ताव भेजा. हाल में मध्यप्रदेश निवासी शंकरलाल सतेंद्र कुमार जैन की ओर से मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी को एक पत्र लिखा गया. इसमें कहा गया था कि इन संस्थानों में मांसाहारी खाने के जरिए छात्रों को कुसंस्कार दिए जा रहे हैं.

भारतीय मूल्यों की दुहाई

पत्र में कहा गया, "वे छात्र जो हॉस्टल में मांसाहारी खाना खा रहे हैं वे अपनी परिवार वालों के साथ तामसिक व्यवहार दिखाते हैं. वे भारतीय मूल्यों से दूर हो रहे हैं क्योंकि खानपान का हमारी सोच से सीधा संबंध होता है." उन्होंने इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी भेजी. जैन खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य हैं और हिन्दू विचारधारा के समर्थक हैं.

मंत्रालय के मुताबिक उनके पास इससे पहले भी इस तरह के कम से कम 25 खत आ चुके हैं. मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने कोई आदेश नहीं भेजा है, बल्कि सिर्फ यह खत निदेशकों को भेज दिया है. यह संस्थानों पर निर्भर करता है कि वे अपनी सहूलियत के मुताबिक क्या फैसला लेते हैं.

आईआईटी दिल्ली के छात्र हितों के लिए जिम्मेदार विभाग के डीन एसके गुप्ता ने एनडीटीवी से कहा, "हमें देखना होगा कि अगर हम ऐसा नहीं कर सकते हैं तो दूसरा क्या रास्ता अपनाया जा सकता है." आईआईटी मद्रास में पहले से ही शाकाहारी और मांसाहारी खाने की अलग मेस हैं जबकि आीआईटी मुंबई में दोनों तरह के खाने पकने की अलग व्यवस्था है.

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