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शिंजो आबे की फिर भारी जीत

२२ जुलाई २०१३

जापान में संसद के ऊपरी सदन में जीत के साथ प्रधानमंत्री शिंजो आबे की सत्ता का आधार मजबूत हुआ है. अब वे अपनी राष्ट्रवादी और आर्थिक लक्ष्यों पर अमल कर सकते हैं, लेकिन उन्हें लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा.

तस्वीर: Reuters

चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के वादे के साथ लोगों का आभार जताया और उन्हें राष्ट्रीय एजेंडे पर ध्यान लगाने को कहा. रविवार को संसद के ऊपरी सदन में जीत ने सत्ता पर आबे की पकड़ को मजबूत कर दिया है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सुधार के उनके फॉर्मूले पर अमल के लिए ज्यादा ताकत दे दी है. हालांकि इस जीत से शिंजो आबे की लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी के उन सांसदों को भी थोड़ी ताकत मिल गई है जो जरूरी लेकिन तकलीफ से भरे सुधार नहीं चाहते.

सोमवार को न्यूज कांफ्रेंस में शिंजो आबे ने कहा, "अगर हम सुधारों से पीछे हट कर पुरानी लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी बने तो लोगों का भरोसा खो देंगे." उन्होंने साफ किया कि उनकी प्राथमिकता आर्थिक कार्यक्रमों की रहेगी. इसमें आसान मौद्रिक नीति, सरकारी खर्चे में कमी और आर्थिक सुधार शामिल है. आबे ने कहा, "15 साल के डिफ्लेशन को पार पाना आसान नहीं है. यह एक ऐतिहासिक परियोजना है, हम उसी पर ध्यान देंगे. मजबूत अर्थव्यवस्था के बगैर हम सामाजिक सुरक्षा के लिए वित्तीय आधार को मजबूत नहीं कर पाएंगे. यह बात सुरक्षा और कूटनीति पर भी लागू होती है."

तस्वीर: Reuters

आबे की एलडीपी और उसके गठबंधन सहयोगी न्यू कोमितो ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें 76 उनके हिस्से में आई हैं. ऊपरी सदन की कुल 242 सीटों में 135 पर अब इसी गठबंधन का कब्जा है. 2006 में सुधारवादी प्रधानमंत्री जूनीचीरो कोइजूमी की पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद इस जीत ने आबे के लिए प्रधानमंत्री के रूप में लंबे कार्यकाल की उम्मीद भी मजबूत कर दी है.

दिसंबर में निचले सदन के चुनावों में बड़ी जीत के बाद सत्ता में शिंजो आबे की वापसी के बाद से ही जापानी कारोबारियों के साथ ही कुछ और लोग भी इस चिंता में हैं कि आबे अपने रुढ़िवादी एजेंडे को लागू कर देंगे जो उनकी विचारधारा के केंद्र में रही है. इस एजेंडे में जंग के बाद तैयार हुए शांति समर्थक संविधान में संशोधन, जापान के रक्षा पक्ष को मजबूत करने और जापान के युद्धकालीन इतिहास पर माफी वाले रवैये में बदलाव शामिल है.

तस्वीर: Reuters

शिंजो आबे ने चुनाव में बड़ी जीत तो हासिल की है लेकिन मतदान में कमी आई है. वैध मतदाताओं में से महज 52.61 फीसदी लोग ही वोट देने आए. 2010 के चुनाव की तुलना में वोटों का यह आंकड़ा करीब पांच फीसदी कम है.

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जापान के अध्यक्ष सिनिशी किताओका का कहना है, "मेरी समझ से आबे के तीन चेहरे हैं, दक्षिणपंथी आबे, व्यावहारिक आबे और आर्थिक सुधारक आबे. अब तक वो अपना तीसरा चेहरा दिखाते रहे हैं और चुनावों के बाद बाकी बचे चेहरे दिखाएंगे."

एनआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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