देश भर में किसी ना किसी मुद्दे पर विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन चल रहे हैं. जेएनयू हो या बीएचयू, सब जगह पढ़ाई पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.
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वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू में मामूली विवाद को लेकर छात्रों में झड़प हुई जो कुछ ही देर में हिंसा, आगजनी, तोड़-फोड़ और फिर धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गई. विश्वविद्यालय को 28 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया लेकिन छात्र अभी भी आंदोलित हैं.
इलाहाबाद में बड़ी संख्या में छात्र करीब दो हफ्ते से विश्वविद्यालय परिसर में जगह-जगह कुलपति के खिलाफ लगातार नारेबाजी, प्रदर्शन और उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. वाइस चांसलर प्रोफेसर रतनलाल हांगलू के खिलाफ इससे पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शन हुए हैं लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है.
इससे पहले दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में चुनावी सरगर्मियां और उनसे उपजे विवाद चर्चा का विषय रहे. उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भी अकसर पठन-पाठन के लिए कम, विवादों के लिए ज्यादा जाना जाता है.
यह तो बात है उत्तर भारत के कुछ नामचीन विश्वविद्यालयों की, जबकि हालात ये हैं कि ज्यादातर विश्वविद्यालयों में स्थितियां ऐसी ही हैं या फिर इससे भी बदतर. रायपुर स्थित विधि विश्वविद्यालय में लगभग सभी छात्र पिछले कई दिनों से विश्वविद्यालय के कुलपति के इस्तीफे की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं.
विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के खिलाफ छात्रों में आक्रोश बढ़ता दिख रहा है. ऐसा नहीं है कि यह स्थिति पहले कभी नहीं थी लेकिन जिन वजहों से संस्था के इन शीर्ष अधिकारियों पर उंगलियां उठ रही हैं, वे जरूर हैरान करने वाली हैं.
इलाहाबाद में वीसी प्रोफेसर रतनलाल हांगलू की एक महिला के साथ कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक बातचीत वायरल होने और फिर इन खबरों के मीडिया में आने के बाद छात्र सड़कों पर उतर आए हैं.
वायरल हुए ऑडियो टेप में कुलपति एक महिला के साथ अपने अंतरंग रिश्तों की बात तो कर ही रहे हैं, महिला को अपने पद का लाभ पहुंचाने का भरोसा भी दे रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन इन सभी बातचीत को फर्जी बता रहा है लेकिन अब तक खुद कुलपति ने न तो इस बारे में अपनी कोई सफाई दी है और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की है.
हां, विश्वविद्यालय प्रशासन ने जरूर उस छात्र के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई है जिसने इस पूरे मामले को सबसे पहले सार्वजनिक किया था. ऑडियो टेप्स के सार्वजनिक होने के बाद से ही छात्रों का आक्रोश सड़कों पर दिखने लगा और देखते-देखते सभी छात्र संगठनों से जुड़े लोगों ने वीसी हांगलू के खिलाफ एक साथ मोर्चा खोल दिया.
विश्वविद्यालय प्रशासन शुरुआत में तो इसे वीसी के खिलाफ साज़िश बताता रहा था लेकिन मामला गंभीर होने के बाद कार्यवाहक कुलपति ने रिटायर्ड जज अरुण टंडन की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित कर दी.
छात्र न सिर्फ इस कमेटी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि कमेटी की वैधानिकता को भी संदेह की नजर से देख रहे हैं. विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह कहती हैं, "जिस विश्वविद्यालय में कुलपति ही नैतिक आचरण को लेकर संदेह के घेरे में हो, वहां लड़कियां खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेंगी? कुलपति इससे पहले भी जहां थे वहां भी इनके खिलाफ ऐसी शिकायतें थीं लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई."
वहीं विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी चितरंजन कुमार ने मीडिया में जारी बयान में कहा है कि कुलपति खुद इस प्रकरण से आहत हैं और उन्होंने कहा है कि जब तक जांच कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक वो कैंपस में नहीं आएंगे.
जर्मनी के ये खास विश्वविद्यालय
ताजा रैंकिंग में दुनिया के 100 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में जर्मनी के ये छह विश्वविद्यालय हैं. चोटी पर अमेरिका के हार्वर्ड, एमआईटी और स्टैनफर्ड हैं.
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एलएमयू, म्यूनिख
म्यूनिख की एलएमयू जर्मन विश्वविद्यलयों में पहले नंबर पर है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में उसका स्थान 42वां है. यह देश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटियों में एक है.
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हाइडेलबर्ग
जर्मन विश्वविद्यालयों में दूसरे नंबर पर हाइडेलबर्ग की यूनिवर्सिटी है. यह जर्मनी की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है और भारत विद्या के लिए भी जानी जाती है. विश्व रैंकिंग में 51.
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हुम्बोल्ट, बर्लिन
तीसरे नंबर पर बर्लिन की हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी है. युद्ध और साम्यवादी शासन जैसे कई उतार चढ़ाव देख चुकी इस यूनिवर्सिटी को अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में 60वां स्थान मिला है.
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फ्री यूनिवर्सिटी, बर्लिन
जर्मन राजधानी बर्लिन की एक और यूनिवर्सिटी फ्री यूनिवर्सिटी को भी दुनिया की चोटी के 70 विश्वविद्यालयों में जगह बनाने में कामयाबी मिली है.
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टीयू, म्यूनिख
म्यूनिख की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने चोटी के 70 यूनिवर्सिटी में अपनी जगह बनाये रखी है. हालांकि एक साल पहले वह 51-60 के ग्रुप में थी. इस साल वह पीछे खिसकी है.
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आरडब्ल्यूटीएच, आखेन
दुनिया के 100 सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों में अपनी जगह बनाने वाली जर्मनी की आखिरी यूनिवर्सिटी आखेन की तकनीकी यूनिवर्सिटी है. यह इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध है.
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दूसरी ओर, बीएचयू एक बार फिर विवादों और हिंसक गतिविधियों के चलते सुर्खियों में है. ठीक एक साल पहले छात्राओं के साथ कथित छेड़खानी को लेकर हफ्तों आंदोलन, प्रदर्शन और टकराव का गवाह रहा परिसर फिर अशांत हो गया है.
बीएचयू स्थित सरसुंदरलाल अस्पताल में किसी मरीज की एक बेड की मांग से डॉक्टरों के साथ शुरू हुआ विवाद मार-पीट, हिंसा, तोड़-फोड़, आगजनी और फिर धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गया. विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से पांच हॉस्टल खाली करा लिए और छात्र चीफ प्रॉक्टर रोयाना सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. विश्वविद्यालय में पढ़ाई-लिखाई का काम फिलहाल बंद कर दिया गया है. सोमवार से उम्मीद है कि शायद पढ़ाई शुरू हो जाए.
किसी मरीज के साथ बीएचयू परिसर स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में आए उनके परिजनों ने जूनियर डॉक्टरों के साथ कथित तौर पर मारपीट की. यही नहीं, मेडिकल छात्रों के साथ बाहर से आए कुछ लोगों ने धन्वंतरि छात्रावास में घुसकर मारपीट की. इस घटना के बाद रेजीडेंट डॉक्टरों ने परिसर में तोड़फोड़ और अगजनी की. पूरा परिसर फिलहाल एक छावनी में तब्दील हो चुका है, बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात हैं.
मेडिकल छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के भीतर भी उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिली है और लोग आए दिन उनके साथ मारपीट करते हैं, दूसरी ओर छात्रों पर ही प्रशासन कार्रवाई भी कर रहा है. विश्वविद्यालय के एक मेडिकल छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बात की शिकायत अकसर की जाती है लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इनोवेशन ही इनकी यूएसपी...
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रिसर्च संस्थान क्लैरिवेट के साथ मिलकर लगातार दूसरे साल यूरोप के 100 सबसे रचनात्मक विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है. एक नजर यूरोप के टॉप 10 इनोवेटिव संस्थानों पर.
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केयू लोयवन यूनिवर्सिटी, बेल्जियम
लगातार दूसरे साल बेल्जियम की इस यूनिवर्सिटी को यूरोप की सबसे रचनात्मक यूनिवर्सिटी का खिताब हासिल हुआ है. 600 साल पुराना यह संस्थान आज भी दुनिया का सबसे बड़ा शोध और विकास केंद्र बना हुआ है.
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इंपीरियल कॉलेज, ब्रिटेन
लंदन के इस संस्थान के शोधार्थियों ने ही दुनिया को पेंसिलिन की जानकारी दी थी. होलोग्राफी को भी यहीं विकसित किया गया और फाइबर ऑप्टिक्स का भी अविष्कार इसी संस्थान में हुआ.
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केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन
सूची में तीसरा स्थान पाने वाली लंदन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का इतिहास तकरीबन 800 साल पुराना है. इस यूनिवर्सिटी से दुनिया के 91 नोबेल पुरस्कार विजेता निकल चुके हैं.
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टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जर्मनी
म्यूनिख का यह संस्थान जर्मनी के सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी संस्थानों के संगठन टीयू-9 का सदस्य है. इस संस्थान से 19 नोबेल विजेता और तमाम सफल कारोबारी निकले हैं.
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फेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल ऑफ लोजान, स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड के लोजान में स्थित यह विश्वविद्यालय एक ऐसा शोध संस्थान है, जो भौतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग में माहिर माना जाता है.
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यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरलांगेन, जर्मनी
जर्मनी के बवेरिया प्रांत के न्यूरेमबर्ग में स्थित यह यूनिवर्सिटी पारंपरिक रूप से एक आर्ट यूनिवर्सिटी है, इसके बावजूद यहां का इंजीनियरिंग संकाय भी बहुत प्रतिष्ठित है.
पियरे ऐंड मेरी क्यूरी यूनिवर्सिटी, फ्रांस
पियरे ऐंड मेरी क्यूरी विश्वविद्यालय को पेरिस विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. इस अनुसंधान केंद्र को साल 1971 में पेरिस विश्वविद्यालय के विभाजन के बाद स्थापित किया गया.
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डेल्फट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, नीदरलैंड
टीयू डेल्फ्ट के नाम से मशहूर नीदरलैंड का यह सबसे पुराना और बड़ा सरकारी तकनीकी विश्वविद्यालय है. इस संस्थान को सन 1842 में नीदरलैंड के राजा विलियम द्वितीय ने स्थापित किया था.
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ज्यूरिख यूनिवर्सटी, स्विट्जरलैंड
2,600 से भी अधिक छात्रों वाला ज्यूरिख विश्वविद्यालय स्विट्जरलैंड का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना सन 1833 में की गयी थी. वर्तमान में यहां सात संकाय हैं.
ऑक्सफोर्ड में स्थित इस विश्वविद्यालय की स्थापना की सटीक तारीख बताने वाले कोई सबूत नहीं मिलते लेकिन उपलब्ध तथ्यों से कयास लगाये गये हैं कि इसे साल 1096 में स्थापित किया गया होगा.
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इससे पहले दिल्ली स्थित जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय और जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय में भी छात्र संघ चुनाव को लेकर काफी विवाद हुआ, विवाद के चलते हिंसा भी हुई. वहीं गोरखपुर विश्वविद्यालय में पिछले दिनों एक दलित शोध छात्र ने इसलिए आत्महत्या की कोशिश की क्योंकि उसके विभागाध्यक्ष और गाइड कथित तौर पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करके उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते थे.
जानकारों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में बढ़ रही इस अराजकता और अनुशासनहीनता के लिए सिर्फ छात्र या अध्यापक या फिर कुछेक लोग ही नहीं, बल्कि पूरा तंत्र दोषी है. वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र कहते हैं कि सरकार के एजेंडे में शिक्षा और विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता प्रमुख होनी चाहिए, लेकिन ऐसा दिखता नहीं है.
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्राध्यापक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि जब तक विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप, दिलचस्पी और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहेगा, उनके कार्यों में ईमानदारी की कल्पना करना बेमानी होगा.
इनके मुताबिक, "विश्वविद्यालों में कुलपतियों की नियुक्ति पूरी तरह से राजनीतिक होने लगी है. ऐसे में कुलपति राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति में लगे रहते हैं, तो दूसरी ओर छात्रों की समस्याओं की अनदेखी करते हैं. ऐसे में छात्रों में आक्रोश होना स्वाभाविक है. अलग-अलग संगठनों के छात्र जब एक साथ कुलपति का विरोध कर रहे हों, तो इससे ये तो साफ है कि कहीं न कहीं कुलपति में कमी जरूर है.”
हालांकि कुछ लोग विश्वविद्यालों में छात्र राजनीति और छात्र संघ होने को भी इस तरह के विवादों से जोड़ते हैं लेकिन छात्र संघों के इतिहास और छात्र हित में उनकी अनिवार्यता को इंगित करते हुए ऐसे तर्कों का खंडन करने वालों की भी कमी नहीं है.
ऐसे पूरा करें यूरोप में पढ़ने का सपना
भारत जैसे यूरोपीय संघ के बाहर के देशों के स्टूडेंट भी यूरोप के तमाम कालेजों में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप पा सकते हैं. जानिए ईयू देशों की सरकारों और विश्वविद्यालयों के कुछ छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के बारे में.
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ब्रिटिश शिवनिंग स्कॉलरशिप (यूके)
ब्रिटेन की सरकार की ओर से मिलने वाली इस स्कॉलरशिप के लिए हर साल भारतीय छात्र आवेदन कर सकते हैं. आमतौर पर ये एक साल की मास्टर्स डिग्री के लिए मिलता है. इस स्कॉलरशिप में पढ़ाई की फीस, यूके में रहने का खर्च, भारत से आने जाने का हवाई किराया तो मिलता ही है, पढ़ाई से जुड़ी कुछ अन्य जरूरतों के लिए भी अतिरिक्त ग्रांट भी मिल सकते हैं. (www.chevening.org/india)
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आइफेल एक्सेलेंस स्कॉलरशिप (फ्रांस)
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने देश के उच्चशिक्षा संस्थानों की ओर विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए इस स्कॉलरशिप को विकसित किया था. मास्टर्स और पीएचडी स्तर की पढ़ाई के लिए भारत के चुने हुए प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स का आने जाने का विमान किराया, महीने का खर्च, स्वास्थ्य बीमा वगैरह मिलता है, लेकिन पढ़ाई की फीस नहीं. (www.scholars4dev.com)
डच शिक्षा, संस्कृति और विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रायोजित इस स्कॉलरशिप के लिए भी भारतीय छात्र आवेदन कर सकते हैं. नीदरलैंड्स के 48 से भी अधिक शिक्षण संस्थानों में बैचलर या मास्टर्स स्तर की डिग्री लेने के लिए 5,000 यूरो की छात्रवृत्ति मिलती है. (www.international.hu.nl)
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डेनिश गवर्नमेंट स्कॉलरशिप (डेनमार्क)
डेनमार्क का शिक्षा मंत्रालय हर साल उच्च शिक्षा प्राप्त प्रातिभाशाली अंतरराष्ट्रीय छात्रों को डेनिश युनिवर्सिटी से डिग्री लेने के लिए छात्रवृत्ति देता है. इसमें पढ़ाई की फीस का पूरा या आंशिक खर्च उठाया जाता है और डेनमार्क में रहने का खर्च भी अतिरिक्त ग्रांट के जरिए पाया जा सकता है. (www.ucnorth.dk)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T.Stroyer
एडिनबरा ग्लोबल मास्टर्स स्कॉलरशिप (यूके)
कई विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को स्कॉलरशिप देते हैं. जैसे ब्रिटेन की एडिनबरा युनिवर्सिटी में किसी भी विषय में फुलटाइम पोस्टग्रेजुएट मास्टर्स डिग्री लेने के लिए एक भारतीय छात्र को 3,000 पाउंड की छात्रवृत्ति मिल सकती है. (www.ed.ac.uk/student-funding)
यूके के इस विश्वविद्यालय में फुलटाइम पोस्टग्रेजुएट कोर्सों के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप में पूरी फीस तक माफ हो सकती है. वहीं अंडरग्रेजुएट कोर्स में हर साल की फीस में 50 फीसदी तक की छूट मिल सकती है. (www.shu.ac.uk/international/scholarships-bursaries/transform)
लाइडेन युनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री लेने के लिए भारतीय छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं. फीस में से 10,000 से लेकर 15,000 यूरो तक की मदद मिल जाती जाती है. (www.universiteitleiden.nl/en) इसके अलावा युनिवर्सिटी ऑफ मास्ट्रिष्ट की 'हाई पोटेंशियल स्कॉलरशिप' में ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, वीसा और बीमा के पैसे भी मिलते हैं.