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शुक्राणु रहित मच्छर रोकेंगे मलेरिया

९ अगस्त २०११

एक शोध से पता चला है कि मादा मच्छर उन नर मच्छरों की पहचान नहीं कर पाती हैं जो शुक्राणु रहित होते हैं. लंदन के वैज्ञानिकों ने मलेरिया रोकने के लिए शुक्राणु रहित मच्छर विकसित किए हैं.

मलेरिया रोकने की कोशिशतस्वीर: eye of science/Oliver Meckes

आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर या कहें शुक्राणु रहित नर मच्छर अगर तैयार किए जाते हैं तो मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में जानलेवा बीमारी के प्रकोप से बचने की संभावना बढ़ेगी. लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने नर मच्छरों को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया और उनके एक जीन को बदला गया जो शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक है. चूंकि मादा मच्छर ऐसे नर मच्छरों को नहीं पहचान पाती जो प्रजनन के लायक नहीं हैं इसलिए मच्छरों की संख्या अपने आप कम हो जाएगी.

तस्वीर: picture alliance/dpa

मादा मच्छरों को धोखा

मलेरिया की चपेट में सालाना तीस करोड़ लोग आते हैं और हर साल करीब 8 लाख लोग मारे जाते हैं.मलेरिया का सबसे ज्यादा खतरा अफ्रीका में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वहां हर 45 सेकेंड में एक बच्चा मलेरिया की वजह से मारा जाता है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मलेरिया के उन्मूलन की कोशिश में लगे हुए हैं. लेकिन प्रगति धीमी है. मलेरिया के खात्मे के लिए बेहतर और सस्ता उपाय पाने की कोशिशों की हमेशा से जरूरत है. लंदन के इंपीरियल कॉलेज की मुख्य शोधकर्ता फ्लेमिनिया कैटेरुचिया कहती हैं, "मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में बहुत से लोग आशा करते हैं कि मच्छरों पर अनुवांशिक रूप से नियंत्रण कर पाना हमारे लिए महत्वपूर्ण हथियार साबित होगा."

जीवन में एक बार संबंध

तस्वीर: action medeor/Birgit Betzelt

मादा मच्छर सिर्फ एक बार यौन संबंध बनाते हैं, इसके बाद मादा मच्छर के शरीर में कुछ बदलाव होते हैं. इसके बाद जब वह किसी मनुष्य को काटती है तो अंडे देती है. लेकिन ये अंडे निषेचित नहीं होते. वैज्ञानिकों ने 100 मच्छरों के वीर्यकोष के विकास को रोकने के लिए एक प्रोटीन का इंजेक्शन दिया. लेकिन इससे उनके दूसरे लक्षण या प्रजनन में और कोई बदलाव नहीं आए. इस इंजेक्शन के बावजूद मेटिंग के दौरान नर मच्छरों ने वीर्य पैदा किया. चूंकि मलेरिया फैलाने वाला मादा मच्छर एक ही बार प्रजनन के लिए नर मच्छर से संपर्क स्थापित करती है और जीवन भर अंडे देती है इसलिए इनमें तरीका कारगर साबित हो सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ आमिर अंसारी

संपादन: आभा एम

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