डॉर्टमुंड में एसपीडी के सम्मेलन में पार्टी प्रमुख मार्टिन शुल्त्स ने चांसलर मैर्केल को सीधी चुनौती पेश की. सितंबर में होने वाले जर्मन आम चुनावों से पहले देश में अब चुनाव प्रचार अभियान में काफी गर्माहट बढ़ती दिख रही है.
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जर्मन राजनीतिक दल सीपीडी के चांसलर पद के उम्मीदवार मार्टिन शुल्त्स ने अपनी पार्टी कान्फ्रेंस में चांसलर अंगेला मैर्केल पर आरोपों की बौछार कर दी. उन्होंने चांसलर मैर्केल पर "लोकतंत्र पर हमला" करने जैसे आरोप लगाये. शुल्त्स ने कहा कि आम तौर पर अपनी बेहद सुरक्षात्मक शैली के लिए मशहूर चांसलर मैर्केल ने वोटरों से संपर्क तोड़ लिया है क्योंकि वे अपनी राय व्यक्त नहीं करतीं या किसी बहस में नहीं पड़तीं. उन्होंने मैर्केल पर जानबूझ कर राजनीति को इतना ऊबाउ बनाने का आरोप लगाया कि विपक्षी मतदाताओं में जाकर वोट देने तक की इच्छा न रह जाये. शुल्त्स ने कहा, "मैं तो इसे लोकतंत्र पर हमला मानता हूं."
चांसलर अंगेला मैर्केल की वर्तमान जर्मन सरकार में शुल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी जूनियर पार्टनर है. लेकिन आने वाले चुनावों में मैर्केल के सामने चुनौती पेश करने जा रहे शुल्त्स ने मैर्केल को "घमंडी" कह डाला. उनके ऐसे कठोर बयानों ने जर्मनी में विरोध भड़का दिया है. मैर्केल के समर्थक शुल्त्स पर सीमा लांघने का आरोप लगा रहे हैं. मैर्केल की पार्टी क्रिस्टियन डेमोक्रैटिक यूनियन के महासचिव पेटर टाउबर ने ट्वीट किया, "भले ही शुल्त्स सर्वेक्षणों के कारण परेशान हों, लेकिन उन्हें नपा तुला बर्ताव करना चाहिये."
शुल्त्स देंगे चांसलर मैर्केल को चुनौती
जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल एसपीडी पिछले दिनों तक यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रहे मार्टिन शुल्त्स को चांसलर उम्मीदवार बनाएगी. पार्टी प्रमुख जिगमार गाब्रिएल ने उनके नाम का प्रस्ताव दिया है.
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औपचारिक एलान
चांसलर पद की उम्मीदवारी पार्टी अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है. मार्टिन शुल्त्स के नाम का प्रस्ताव देकर एसपीडी प्रमुख गाब्रिएल ने सबको भौचक्का कर दिया.
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सोचा समझा फैसला
चार साल अंगेला मैर्केल की सरकार में रहने के बाद उन्हें चुनाव में भरोसेमंद चुनौती देना गाब्रिएल के लिए आसान नहीं था. मार्टिन शुल्त्स के नाम का प्रस्ताव पार्टी हितों के सामने निजी हितों की बलि है.
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लोकप्रिय नेता
हालांकि एसपीडी की स्थिति जनमत सर्वेक्षणों में बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन श्टाइनमायर, शुल्त्स और गाब्रिएल की तिकड़ी पार्टी नेताओं की लोकप्रियता में आगे थी.
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भावी राष्ट्रपति
सारी कवायद विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर को गठबंधन द्वारा अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद शुरू हुई. चुनाव 12 फरवरी को होगा.
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नई अर्थनीति मंत्री
अखबारों ने कयास लगाया है कि एसपीडी प्रमुख गाब्रिएल के विदेश मंत्रालय में जाने की स्थिति में वाणिज्य राज्य मंत्री ब्रिगीटे सिप्रीस अर्थनीति मंत्री बन सकती हैं.
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उम्मीदवारी की घोषणा
चांसलर अंगेला मैर्केल सीडीयू की सहोदर पार्टी सीएसयू के हॉर्स्ट जेहोफर के साथ गहरे विवादों के बावजूद एक बार और चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं.
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असहज गठबंधन
इस समय चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू के अलावा हॉर्स्ट जेहोफर की सहोदर पार्टी सीएसयू और जिगमार गाब्रिएल की एसपीडी का गठबंधन है.
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टाउबर ने आगे लिखा कि "उनका उतावलापन इतना भी ना गहरा जाये कि डेमोक्रैट्स ही दूसरे डेमोक्रैट्स पर लोकतंत्र पर हमला करने का आरोप लगाने लगें." टाउबर ने अपनी पार्टी की ओर से हमेशा एक "उचित अभियान" चलाने की शपथ दोहरायी और "एसपीडी से भी ऐसी ही उम्मीद रखने" की बात कही.
मैर्केल समर्थकों को चाहे यह जितना भी अखरा हो लेकिन एसपीडी के संसदीय दल के प्रमुख थोमास ओपरमन ने शुल्त्स की तारीफ की है. ओपरमन ने एक इंटरव्यू में कहा, "चुनाव अभियान कोई तकिये की लड़ाई नहीं हैं, लोगों को स्पष्ट होना चाहिये. इस लिहाज से वे सफल रहे हैं."
जनवरी 2017 में पार्टी प्रमुख की कमान संभालने वाले शुल्त्स तबसे एसपीडी की लोकप्रियता को घटता देख रहे हैं. आम चुनाव के केवल तीन महीने पहले सामने आये सर्वेक्षणों में एसपीडी को मैर्केल की सीडीयू पार्टी से 15 प्रतिशत प्वाइंट्स पीछे बताया गया है. यह सर्वेक्षण जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले दैनिक 'बिल्ड आम जोनटाग' में प्रकाशित हुआ है. अखबार ने भी इस पर टिप्पणी की है कि "शुल्त्स का इस तरह चांसलर पर 'लोकतंत्र पर हमला करने' जैसे आरोप लगाने से उनकी घबराहट का पता चलता है." जर्मनी में 24 सितंबर को नई सरकार चुनने के लिए चुनाव होंगे.
आरपी/एके (एएफपी)
मजेदार नामों वाली जर्मनी की पार्टियां
चांसलर अंगेला मैर्केल की रूढ़िवादी सीडीयू और चुनावों में उन्हें चुनौती देने जा रहे मार्टिन शुल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी जैसे बड़े दल तो हैं ही, यहां जानिए अजीब नामों वाली कुछ छोटी जर्मन पार्टियों के बारे में.
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एनीमल प्रोटेक्शन पार्टी
जर्मनी में ऐसे पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं जो टोड मेंढकों को सड़क पार कराने के लिए पूरा हाइवे ब्लॉक कर चुके हैं. लेकिन पर्यावरण और पशु अधिकारों के एजेंडा पर काम करने वाली बड़ी ग्रीन पार्टी ऐसी कई छोटी पार्टियों की हवा निकाल चुकी है. तभी तो 2013 में एनीमल प्रोटेक्शन पार्टी को छह करोड़ से अधिक जर्मन वोटरों में से डेढ़ लाख से भी कम वोट मिले.
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द रिपब्लिकंस
जी हां, अमेरिका की ही तरह जर्मनी में भी एक रिपब्लिकन पार्टी है. इन्हें आरईपी कहते हैं और इनका डॉनल्ड ट्रंप की पार्टी से कोई सरोकार नहीं है. जर्मनी के रिपब्लिकंस असल में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी हैं जो खुद को "रूढ़िवादी देशभक्त" कहते हैं और "अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने" के लिए संघर्ष को अपना मकसद बताते हैं.
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द पार्टी
बहुत ही सीधे सादे तरीके से इस पार्टी ने अपना नाम ही पार्टी रखा. जर्मनी की व्यंग्य पत्रिका "टाइटेनिक" के संपादकों ने मिल कर 2004 में इसे स्थापित किया. इस पार्टी के प्रमुख मार्टिन जोनेबॉर्न (तस्वीर में) ने अपनी पार्टी को 2014 में यूरोपीय संसद में एक सीट भी जितायी. आने वाले बुंडेसटाग चुनावों में इन्हें बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. पिछले चुनाव में तो 80 हजार से भी कम वोट मिले.
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रेफरेंडम पार्टी
इस पार्टी के लिए स्विट्जरलैंड बहुत बड़ा आदर्श है. पार्टी का नारा है "रेफरेंडम के द्वारा लोकतंत्र" लाना. इनके नेता चाहते हैं कि देश के सभी राजनीतिक फैसले सीधे जनता ही ले. वे मानते हैं कि इसी तरह देश में असली लोकतंत्र की स्थापना होगी और "राजनीतिक दलों के राज" से आगे बढ़ कर सीधे वोटरों के मतलब की नीतियां बनायी जा सकेंगी.
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मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट पार्टी ऑफ जर्मनी (एमएलपीडी)
भले ही एक समय पर आधा जर्मनी कम्युनिस्ट राज में रहा, लेकिन एमएलपीडी एक बहुत छोटी पार्टी है. सन 1949 से 1989 तक पूर्वी जर्मनी पर सोशलिस्ट युनिटी पार्टी का राज चला. लेकिन आज अति वामपंथी एमएलपीडी की जर्मन राजनीति में कोई भूमिका नहीं है. पिछले बुंडेसटाग चुनाव में उन्हें केवल 24 हजार वोट मिले.
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क्रिस्चियंस फॉर जर्मनी
"एलायंस सी - क्रिस्चियंस फॉर जर्मनी" नाम के अनुसार ही एक ईसाई दल है, जो 2015 में तब बनी जब दो दल क्रिस्चियन-फंडामेंटलिस्ट पार्टी ऑफ बाइबल अबाइडिंग क्रिस्चियंस और पार्टी ऑफ लेबर, एनवायर्नमेंट एंट फैमिली मिल गयीं. पार्टी बाइबल के मूल्यों का समर्थन करती है. जैसे नागरिकों की आजादी, कानून, शादी, परिवार और ईश्वर की रचनाओं का संरक्षण.
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द पेंशनर्स
2017 के बुंडेसटाग चुनाव में यह पार्टी बैटल पेपर पर नहीं दिखेगी. जर्मन पेंशनर्स पार्टी अब रिटायर हो चुकी है. 2013 चुनाव में इन्हें केवल 25 हजार वोट मिले और 2016 में पार्टी ने खुद को भंग करने का फैसला कर लिया. (कार्ला ब्लाइकर/आरपी)