लंदन के चिड़ियाघर ने अनोखे तरीकों से छुट्टियां मनाने के शौकीनों को लुभाने का नया तरीका निकाला है. नए सफारी लॉज की बुकिंग भी शुरू हो गई है.
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इस सफारी लॉज की आकर्षक बात यह है कि परिसर में आपके अलावा शेर भी मौजूद होंगे. इसे एशियाई शेरों की खतरे में पड़ी प्रजातियों को बढ़ाने के मकसद से तैयार किया जा रहा है. सैलानियों के लिए खास इलाका 'रूम विद अ जू' इसी इलाके में स्थित होगा. यहां आने वाले इस लॉज में रात बिता सकेंगे. एक रात का किराया दो व्यक्तियों के लिए करीब 750 यूरो होगा. इसमें सुबह का नाश्ता, रात का खाना, ड्रिंक, रात में रुकने का इंतजाम और चिड़ियाघर का एक टुअर शामिल होगा.
जर्मनी के चिड़ियाघरों में नए मेहमान
जर्मनी में इस साल गर्मियों में कई नए जानवरों ने आंखें खोली हैं. इनमें से कई ऐसे हैं जो पहली ही नजर में आपका दिल जीत लेंगे.
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फर वाली सील
तीन महीने का नॉर्दर्न फर सील बुड अपनी मां डोना के साथ. सील के बच्चे अपनी मां को आवाज से पहचानते हैं. जाहिर है जब से ये दोनों हनोवर के चिड़ियाघर में आए हैं तभी से काफी हलचल है.
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बेटा, खाना खा लो!
मां अपने बच्चे को फल छीलकर हाथ में थमाती हुई. खाएगा नहीं तो बड़ा कैसे होगा? पिंटो का जन्म जून के अंत में म्यूनिख के हेलाब्रुन एनिमल पार्क में हुआ था. चिड़ियाघरों में इन्हें और इनके साथियों को काफी पसंद किया जाता है, क्योंकि इनकी उछल कूद बंद ही नहीं होती.
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कहां से आया है ये दोस्त
हैम्बर्ग के हागेनबेख चिड़ियाघर में यशोदा अपनी बच्ची की हिफाजत का पूरा ख्याल रखती है. 688 दिन गर्भ में रखने के बाद यशोदा की यह पांचवी संतान जुलाई के मध्य में दुनिया में आई. इसके नामकरण के लिए ऑनलाइन वोटिंग हुई और 7,700 लोगों ने अंजली नाम चुना.
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मां, मुझे प्यार करो
छोटी प्यारी सील काजा का जन्म जुलाई में वुपरटाल में हुआ था. पानी के जानवरों में कैलिफोर्निया के सील को सबसे सुडौल माना जाता है. शिशु खुद से तैर नहीं पाते हैं, इन्हें मां से ढेर सारा प्यार और प्रशिक्षण चाहिए होता है.
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नन्हा फ्लावियो
एंटईटर फ्लावियो का जन्म समय से तीन हफ्ते पहले ही मई में हो गया. इसीलिए शुरुआत में उसे खास देखरेख की जरूरत थी. चिड़ियाघर के निदेशक डेनिस मुलर कहते हैं कि उन्हें फ्लावियो पर फक्र है कि उसने कठिन समय को पार कर लिया.
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दुनिया की सबसे अच्छी मां
बोनोबो चिम्पैंजी का यह बच्चा अपनी मां कूटू के पेट पर आराम करना बेहद पसंद करता है और ज्यादातर समय ऐसे ही बिताता है. यह फ्रैंकफर्ट के चिड़ियाघर में आने वालों के लिए बेहद मोहक मंजर होता है.
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मुझे खिलवाड़ पसंद नहीं
कात्या अपनी नन्ही मुन्नी यूले का बेहद नर्म अंदाज में ख्याल रखना पसंद करती है. ये डुइसबुर्ग के चिड़ियाघर में जून में पैदा हुए तीन सीलों में से एक है. कात्या जिस तरह अपनी बच्ची का ख्याल रखती है उससे खुद चिड़ियाघर के कर्मचारी भी हैरान हैं.
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बड़े बच्चे
नन्दू, यानि दक्षिण अमेरिका से आई चिड़िया, उड़ती नहीं है. बच्चों का ख्याल आमतौर पर पिता को रखना होता है. लेकिन यहां इनके मामले में पिता इस काम के लिए शायद तैयार नहीं था. मां बच्चों की देखरेख में लगी रहती है. बच्चे तेजी से लंबे हो रहे हैं.
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चिड़ियाघर की प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रमुख एमा टेलर के मुताबिक, "शानदार एशियाई शेर के करीब सोना, यह दूसरे से अलग जबरदस्त अनुभव होगा." यहां आने वाले मेहमान गिर लायन लॉज में ठहराए जाएंगे जो कि नौ लकड़ी के बने केबिन हैं. ये शेरों से सुरक्षित दूरी पर होंगे और इनके इर्द गिर्द सुरक्षित बाड़ का बंदोबस्त होगा. ठहरने के कमरों का डिजायन एशिया के गिर जंगल के पास बने गेस्ट हाउसों के प्रेरित है. गिर जंगल पश्चिमी भारत का सुरक्षित सफारी ठिकाना है. यह एशिया का एकमात्र इलाका रह गया है जहां एशियाई शेर जंगलों में पाए जाते हैं.
एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों के मुकाबले छोटे होते हैं. इनकी संख्या बड़े स्तर पर शिकार के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई है. अब ये मात्र 500 ही बचे हैं और विलुप्ति के खतरे में हैं. लंदन के चिड़ियाघर को उम्मीद है कि उनकी इस पहल से भारतीय शेरों के संरक्षण में मदद मिलेगी. वे भारत में भी इनकी रखवाली की पहल करने की योजना बना रहे हैं. वे स्थानीय स्टाफ और इलाके के लोगों को इस बारे में शिक्षित करना चाहते हैं.
एसएफ/एमजे (एएफपी)
दुनिया के बदसूरत जानवर
जीवविज्ञानी सिमोन वॉट्स ने बदसूरत पशु संरक्षण सोसायटी की स्थापना की, मकसद सौंदर्यता की दृष्टि से पिछड़े जानवरों की प्रोफाइल को बढ़ाना है. मिलिए दुनिया के बदसूरत जानवरों की प्रतियोगिता के विजेता से..
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द ब्लॉब फिश
पिछले साल वोटिंग के जरिए ब्लॉब फिश को बदसूरत जानवरों के समाज का शुभंकर चुना गया था. यह मछली मुश्किल से ही चल पाती है क्योंकि इसमें मांसपेशियां नहीं हैं और उसे खाने के आने का इंतजार करना पड़ता है.
तस्वीर: cc-by-nd/James Joel
न्यूजीलैंड का मशहूर ककापो
ककापो दूसरे स्थान पर आया क्योंकि न्यूजीलैंड के लोगों ने बदसूरत जानवरों की प्रतियोगिता में इसका खूब समर्थन किया. बदसूरत पशु संरक्षण सोसायटी के संस्थापक सिमोन वॉट्स लुप्त होते जानवरों के प्रति जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं जो मुश्किल से चिड़ियाघरों में दिखाई पड़ते हैं.
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एक्सोलोट्ल
बदसूरत पशु संरक्षण सोसायटी अलग अलग इलाकों का सफर करती और कॉमेडी करके जागरुकता बढ़ाती है. सोसायटी के शो के खत्म होने के बाद स्थानीय दर्शक इलाके के शुभंकर यानि मैसकॉट के लिए मतदान करते हैं. एक्सोलोट्ल को मैक्सिकन वॉकिंग फिश या मैक्सिकन सालामैंडर भी कहा जाता है. बदसूरत जानवरों की अनोखी प्रतियोगिता में यह तीसरे नंबर पर आई.
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तितिकाका अंडकोश मेंढक
सिमोन वॉट्स के मुताबिक करीब 250 प्रजातियां हर दिन विलुप्त होने जा रही हैं. वॉट्स और उनके साथी कॉमेडियन अपने शो में इस उदास विषय को हल्का करने की कोशिश करते हैं और इसके साथ ही कोशिश होती है कि संरक्षण पर भी बात हो जाए. अंडकोश मेंढक प्रतियोगिता में चौथे नंबर पर आया और यह विंचेस्टर इलाके का शुभंकर भी है.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE
सूंड वाला बंदर
बदसूरत जानवरों को शायद ही कभी चिड़ियाघरों में पेश किया जाता है. ना ही लोग इनके बारे में जानते हैं या फिर इन पर शोध होता है. इन प्राणियों में से कई अभी तक वर्गीकृत नहीं हुए हैं. सूंड वाला बंदर इस प्रतियोगिता में पांचवें स्थान पर आया और यह हैमरस्मिथ इलाके का शुभंकर है.
तस्वीर: AP
डुगोंग
सिमोन वॉट्स बदसूरत जानवरों को भी चिड़ियाघर में रखने की वकालत करते हैं. लेकिन वे मानते हैं कि केंद्रबिंदू जंगल और ठिकानों के संरक्षण पर होना चाहिए. डुगोंग समुद्री स्तनपायी है जो भारतीय प्रशांत महासागर में रहते है. इसे न्यूकासल के मैसकॉट के तौर पर चुना गया.