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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत को दिखाया चीन का डर

२ दिसम्बर २०१९

श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भारत और पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि अगर वे उनके देश में निवेश नहीं करेंगे तो उसे चीन से आर्थिक मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

Indien Neu Delhi | Sri Lankas Präsident Gotabaya Rajapaksa auf Staatsbesuch in Indien
हाल में ही श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की.तस्वीर: Reuters/A. Hussain

हाल में भारत का दौरा करने वाले श्रीलंकाई राष्ट्रपति का एक इंटरव्यू 'द हिंदू' अखबार में प्रकाशित हुआ है. इसमें उन्होंने कहा कि अगर श्रीलंका समेत एशियाई देशों के पास कोई विकल्प नहीं होगा तो वे चीन की विशाल 'वन वेल्ट वन रोड' परियोजना में शामिल होंगे. श्रीलंका पारंपरिक तौर पर भारत का सहयोगी रहा है. लेकिन 2005 से 2015 तक जब राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भाई महिंदा राजपक्षे देश के राष्ट्रपति थे तो श्रीलंका चीन के करीब गया. चीन ने श्रीलंका को कर्ज और निवेश के रूप में सात अरब डॉलर की राशि मुहैया कराई.

गोटबाया राजपक्षे ने पिछले दिनों राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज कर श्रीलंका की सत्ता संभाली है. अपने पहले विदेश दौरे के लिए उन्होंने भारत को ही चुना, जहां नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्होंने मुलाकात की. द हिंदू को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं भारत, जापान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों से कहना चाहता हूं कि आइए और हमारे यहां निवेश करिए. इन देशों को अपनी कंपनियों से श्रीलंका में निवेश करने के लिए कहना चाहिए और आगे बढ़ने में हमारी मदद करनी चाहिए, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो फिर सिर्फ श्रीलंका ही नहीं, बल्कि अन्य देशों की भी यही समस्या होगी. अगर दूसरे विकल्प मुहैया नहीं कराए जाएंगे तो फिर चीनी लोग बेल्ट और रोड पहल को सब जगह ले जाएंगे."

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जो देश चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का विरोध कर रहे हैं, भारत उनमें सबसे आगे है. उसे आशंका है कि इसके जरिए भारतीय प्रशांत क्षेत्र में चीन का सैन्य और रणनीतिक दबदबा बढ़ेगा जो भारत के लिए ठीक नहीं होगा. इस परियोजना के तहत चीन ने एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बंदरगाहों, रेलवे और सड़क नेटवर्क और औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए कई सौ अरब डॉलर आवंटित किए हैं. भारत के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने पिछले दिनों जापान के विदेश और रक्षा मंत्रियों से मुलाकात की और आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की.

गोटाबाया राजपक्षे ने इस बात की पुष्टि की कि वह कोलंबो के दक्षिण में हम्बनटोटा बंदरगाह को लेकर चीन के साथ हुए समझौते पर फिर से वार्ता करेंगे. यूरोप और एशिया के बीच कई अहम जलमार्ग इस बंदरगाह को इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा, "मैं मानता हूं कि हम्बनटोटा जैसी रणनीतिक महत्व की सभी परियोजनाएं श्रीलंका सरकार के नियंत्रण में होनी चाहिए. वरना आने वाली पीढ़ी मौजूदा पीढ़ी को कोसेगी कि हमने ऐसी अहम पूजियों को दूसरों के हवाले कर दिया."

गोटबाया राजपक्षे ने अपने भाई और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को श्रीलंका का प्रधानमंत्री नियुक्त किया हैतस्वीर: Reuters/D. Liyanawatte

श्रीलंका की सरकार जब 2017 में चीन का कर्ज नहीं उतार पाई तो सरकार को मजबूरन हम्बनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल की लीज पर देना पड़ा. भारत और कई पश्चिमी देश इन चिंताओं को उठाते रहे हैं कि वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन के कर्जों को ना चुका पाने वाले देश उसके जाल में फंस सकते हैं.  राजपक्षे ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत श्रीलंका और चीन के सबंधों को लेकर अपनी चिंताओं को पीछे छोड़ेगा. उन्होंने कहा, "उनके कुछ संदेह चीन के साथ हमारे संबंधों को लेकर थे. लेकिन वह एक गलतफहमी थी. चीन के साथ हमारा समझौता पूरी तरह से व्यावसायिक था."

एके/एमजे (एएफपी)

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