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संकट कोष के लिए उभरते देशों पर नजर

२० अप्रैल २०१२

वाशिंगटन में जी-20 देशों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारियों की बैठक हो रही है जिसमें वित्तीय संकटों से निबटने के लिए 400 अरब डॉलर का कोष बनाने पर फैसला लिया जाएगा. चीन और ब्रिक्स के दूसरे देश विरोध कर सकते हैं.

तस्वीर: dapd

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के यूरो मुद्रा वाले देशों और दूसरे यूरोपीय देशों के अलावा जापान और मुद्रा कोष ने वित्तीय संकट में फंसे देशों के लिए और कर्ज का आश्वासन दिया है, अमेरिका अब तक इसका विरोध कर रहा है. चीन, भारत और ब्राजील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने अब तक इस पर खुला रुख नहीं अपनाया है. लेकिन बैठक में वे अपनी ताकत दिखा सकते हैं. पहले यूरोपीय देशों की मदद के लिए मुद्रा कोष ने 500 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा था, जिसे घटाकर 400 अरब कर दिया गया है, लेकिन बैठक से पहले अभी भी 80 अरब डॉलर की कमी है.

संकट कोष की उम्मीद

यह बैठक इन चिंताओं के बीच हो रही है कि स्पेन बेल आउट की जरूरत वाला यूरो जोन का चौथा देश बन सकता है. मुद्रा कोष की फ्रांसीसी प्रमुख क्रिस्टीन लागार्द ने कहा है कि उन्हें संस्था के हस्तक्षेप की क्षमता में वृद्धि होने का विश्वास है. "इस बैठक के नतीजों में हमें उम्मीद है कि हमारी मारक क्षमता बढ़ेगी." उन्होंने कोई आंकड़ा नहीं बताया लेकिन कहा कि संकट के काले बादल अभी भी मंडरा रहे हैं और यूरोप में यदि ज्यादा उथल पुथल होती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी उसका असर होगा.

आजूमी और अमेरिकी वित्त मंत्रीतस्वीर: picture-alliance/dpa

शुक्रवार की बैठक से पहले सदस्य देशों ने 320 अरब डॉलर की राशि देने का आश्वासन दिया है, लेकिन मुद्रा कोष के ताजा आकलन के अनुसार बाजार की उथल पुथल को शांत करने के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं होगी. जापान ने इस कोष में 60 अरब डॉलर का अनुदान देने का आश्वासन दिया है. जापानी वित्त मंत्री जून आजूमी ने कहा है कि उन्हें लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है. "मैं समझता हूं कि 400 अरब डॉलर के आसपास की राशि इकट्ठा हो जाना बहुत संभव है. "

उभरते देशों का महत्व

यूरोपीय देशों ने बेल आउट कोष के लिए 200 अरब डॉलर देने का आश्वासन दिया है. स्कैंडेनेवियन देशों, स्विट्जरलैंड और पोलैंड ने 60 अरब देने का वायदा किया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सबसे बड़े शेयरहोल्डर अमेरिका ने संकट कोष में कोई भी राशि देने से मना कर दिया है. इसके बाद उभरती अर्थव्यवस्थाएं एकमात्र स्रोत बच जाती है. वे पैसा देने की हालत में भी हैं, लेकिन इसके लिए मुद्रा कोष के फैसलों में अधिक अधिकार की मांग करेंगी.

प्रणब मुखर्जीतस्वीर: AP

ग्रीस, पुर्तगाल और आयरलैंड को वित्तीय संकट से उबारने के लिए भारी कर्ज देने के बाद विकासशील देश यूरो जोन में मुद्रा कोष की सक्रियता की आलोचना कर रहे हैं. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अब तक इस मुद्दे पर चुप है लेकिन दूसरे देशों ने चिंता व्यक्त की है कि उनके अनुदान को तीन दूसरे बेल आउट पैकेज में जोड़ा जा सकता है. भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने देश और ब्रिक्स सहित 24 अन्य देशों की ओर से बोलते हुए संकट कोष में अपने अनुदान को मुद्रा कोष में अपने अधिकारों से जोड़ने से मना कर दिया है. लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा है कि जी-24 के देश मुद्रा कोष पर वोटिंग अधिकारों के सुधार की प्रक्रिया को पूरा करने और बड़े सुधार शुरू करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कोटा सुधारों में देर नहीं होनी चाहिए और आर्थिक सत्ता के ब्रिक्स की ओर झुकने की जमीनी हकीकत को स्वीकार किया जाना चाहिए.

क्रिस्टीन लागार्द के साथ हुई बैठकों के बाद 24 बड़े विकासशील देशों के ग्रुप जी-24 ने एक बयान में कहा, "हम मानते हैं कि अंतिम लक्ष्य वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती भूमिका को बेहतर प्रतिबिंबित होना चाहिए."

एमजे/एएम (एएफपी)

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