वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो चुनाव जीत तो गए हैं, लेकिन उनका देश अपने इतिहास के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है. भुखमरी और हिंसा के चलते बड़े पैमाने पर लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं.
विज्ञापन
वेनेजुएला गंभीर संकट में फंसा है जिससे बाहर निकलने का किसी को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा. महंगाई छत फाड़ रही है और सुपर बाजार के रैक खाली पड़े हैं, लाखों लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. लेकिन सरकार में किसी बदलाव के आसार नहीं. धांधली के आरोपों के बीच हुए चुनाव में समाजवादी राष्ट्रपति मादुरो ने जीत का दावा करते हुए कहा है, "शांति और लोकतंत्र की जीत हुई है."
विवादित चुनाव
विपक्ष इस जीत को नहीं मानता. विपक्ष ने चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया था. मतदान में सिर्फ 46 प्रतिशत लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें से 68 प्रतिशत मादुरो के पक्ष में आए. चुनाव में मादुरो का विरोध करने वाले हेनरी फाल्कॉन ने कहा, "हम इस चुनाव को नहीं मानते और इसे अवैध करार देते हैं." सोशलिस्ट पार्टी के पूर्व समर्थकों का भी धैर्य टूट रहा है. राजधानी काराकस के छोर पर बसा पेतारे दक्षिण अमेरिका का सबसे बड़ा स्लम है. यहां रहने वाले मारिया खुस्तो कहते हैं, "मैं इसलिए मतदान करने गया कि ये शख्स हटे."
मादुरो अपने चुनाव को ऐतिाहसिक बता रहे हैं लेकिन 2013 के पिछले चुनाव के मुकाबले उन्हें 20 लाख कम वोट मिले हैं. फिर भी उनके कट्टर समर्थकों का बड़ा तबका अभी मौजूद हैं जिन्हें हूगो चावेज और उनके कार्यकाल में पहली बार सम्मान मिला है. उन्हें रहने के लिए मकान मिला, खाने के लिए सस्ता अनाज मिला और उनके बच्चे स्कूलों और कॉलेजों में जा पाए.
विपक्ष का आरोप है कि इसकी वजह से निर्भरताएं कायम हुई हैं, जिनका इस्तेमाल मादुरो कर रहे हैं. काराकस के केंद्र में रहने वाले कारोबारी फर्नांडो कार्वाखाल कहते हैं, "जनता भुखमरी का सामना कर रही है लेकिन वफादार है." आर्थिक संकट के लिए वे विदेशी ताकतों की साजिश को जिम्मेदार मानते हैं, "ये कई देशों की लड़ाई है जिसे हम रोकना चाहते हैं, ये अंतरराष्ट्रीय अति दक्षिणपंथी हैं."
संकट में देश
वेनेजुएला आपदा मोड में है. दुकान खाली पड़े हैं, कुछ खरीदने को नहीं है. अस्पतालों में दवाओं की कमी के कारण बच्चे मर रहे हैं. हिंसा और अपराध नियंत्रण से बाहर निकल गए हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार इस साल वेनेजुएला में मुद्रास्फीति में वृद्धि की दर 13,800 प्रतिशत रहेगी. सकल राष्ट्रीय उत्पादन में 15 प्रतिशत की कमी की आशंका है. वेनेजुएला विशेषज्ञ लुइस सालामांका का कहना है कि देश शासन के लायक नहीं रहा.
और सबसे बुरी बात ये है कि हालात में बदलाव के कोई संकेत नहीं हैं. राष्ट्रपति मादुरो की जीत के बाद 14 देशों वाले क्षेत्रीय लीमा ग्रुप ने चुनावों का विरोध करने के लिए अपने राजदूतों को सलाह मशविरे के लिए वापस बुला लिया है तो वेनेजुएला के राजदूतों को विदेश मंत्रालय में तलब किया है. मादुरो उनके लिए अछूत होते जा रहे हैं. वहीं मादुरो का कहना है कि उनके समाजवाद को गिराने की साजिश हो रही है. मानवीय सहायता के लिए विदेशी मदद लेने से वे साफ इंकार कर रहे हैं.
एमजे/एके (डीपीए)
क्यों घुटनों पर गिरा वेनेजुएला
तेल के अकूत भंडार पर बैठे देश वेनेजुएला में ऐसा क्या हो गया कि आज देश कई तरह के संकट से गुजर रहा है और पूरा तंत्र ध्वस्त होने की कगार पर है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Parra
विरोध प्रदर्शन
शुरुआत हुई मार्च के अंत में आए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से. विधायिका से सभी शक्तियां छीन लेने का फैसला आया था, जिसके जवाब में देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे. अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद राष्ट्रपति निकोलास मादुरो ने फैसला पलट दिया. लेकिन तब तक जनता सड़कों पर थी और रूकने को तैयार नहीं थी.
तस्वीर: Reuters/M. Bello
पैसों का नहीं रहा कोई मोल
मार्च से वेनेजुएला में मुद्रास्फीति दर 220 प्रतिशत को भी पार कर गयी है. देश का सबसे बड़े नोट, 100 बोलिवार, का मोल साल के अंत तक आते आते 0.04 डॉलर से भी कम हो गया था. घर की रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए भी बोरियों में भर कर पैसे ले जाने पड़ते.
तस्वीर: Reuters/U. Marcelino
बढ़ती भूखमरी
बीते साल करीब 80 फीसदी खान पान की चीजें और दूसरी जरूरी चीजों की भारी कमी रही. वेनेजुएला के लोग हर हफ्ते 30 घंटे से ज्यादा समय दुकानों से सामान खरीदने के लिए खड़े होने में बिताते हैं. राष्ट्रपति मादुरो इस कमी का दोष अमेरिका के सट्टेबाजी कारोबार पर डालते हैं. विपक्ष कहता है कि सरकार ठीक से प्रबंधन नहीं कर पायी.
तस्वीर: picture-alliance/AA/C. Becerra
स्वास्थ्य संकट 'युद्ध के हालात जैसा'
कोलंबिया में वेनेजुएलावासी मेडिकल सप्लाई इकट्ठी कर रहे हैं, ताकि उन्हें घर भेज सकें. पूरे देश के अस्पतालों में ऐसे हालात हैं जैसे युद्ध काल में होते हैं. मरीजों की मौत हो रही है, मलेरिया और डेंगू से लोग मारे जा रहे हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M.Duenas Castaneda
तेल भंडारों का क्या
बिजली खूब कटती है. ईंधन की कमी है. वेनेजुएला के जिन लोगों के पास तेल के इतने भंडार हैं, वे बेहाल हैं. 2014 में तेल की कीमतों में आयी 50-फीसदी तक की कमी से तेल पर निर्भर देश की हालत चरमरा गयी. 2013 में तेल से 80 अरब डॉलर आय हुई थी. वहीं 2016 में केवल 20 अरब डॉलर.
तस्वीर: Reuters/C. G. Rawlins
आर्थिक संकट की जड़ें
2013 में गुजरे हूगो चावेज ने एक ऐसा देश छोड़ा था जहां गरीबी दर कम थी. शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहतर था और आर्थिक वृद्धि हो रही थी. लेकिन उन्हीं की सोशलिस्ट परंपरा का एक असर कुप्रबंधन भी था. ना केवल उनके कदमों से देश की तेल कंपनियों पर नियंत्रण काफी नहीं था, बल्कि वे 2006 से ही तेल उत्पादन घटने के बावजूद इस पर काफी खर्च करते गये.
तस्वीर: Reuters/J. Silva
मादुरो ने भी आगे बढ़ाया
चावेज के चुने हुए उत्तराधिकारी मादुरो को भी सत्ता में चार साल हो गए और दो और साल बाकी हैं. विपक्ष उनसे कुर्सी खाली करने की मांग करता रहता है और उन्हें आर्थिक बर्बादी का जिम्मेदार बताता है. मादुरो पर विपक्ष अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाता है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/AA/C. Becerra
सरकार विपक्ष के पीछे पड़ी
इसी साल अप्रैल में मादुरो ने विपक्ष के नेता हेनरिक कैपरिलेस को चुप कराने के लिए उन्हें 15 साल के लिए किसी सरकारी पद को संभालने के लिए अयोग्य घोषित करवा दिया. उन पर "प्रशासनिक गड़बड़ियों" का आरोप लगाया गया. कैपरिलेस के नेतृत्व में मादुरो के नाम पर जनमत संग्रह कराने का आंदोलन चल रहा था. इससे प्रदर्शनकारी और भड़क उठे.
तस्वीर: Reuters/C.-G. Rawlins
विपक्ष और विद्रोही हुआ
विरोध प्रदर्शनों के अलावा, विपक्ष ने करीब 20 लाख लोगों के हस्ताक्षर इकट्ठा किए हैं. इनकी मांग मादुरो के नाम पर रेफरेंडम कराए जाने की है. यह अनिवार्य संख्या से करीब 10 गुना ज्यादा है. सुप्रीम कोर्ट विरोधी की एक कार्रवाई में विपक्ष ने मादुरो के खिलाफ एक सांकेतिक सुनवाई भी करवायी.
तस्वीर: Reuters/C.-G. Rawlins
सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन
पिछले सितंबर में 10 लाख से भी अधिक नागरिक काराकस में सड़कों पर उतरे थे. विपक्ष ने 19 अप्रैल को फिर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. इसे वे "मदर ऑफ ऑल प्रोटेस्ट्स" बता रहे हैं और इसी दिन मादुरो के सत्ता में आने के चार साल पूरे होंगे. (कैथलीन शुस्टर/आरपी)