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संन्यास के मूड में नहीं हैं सचिन

१७ मार्च २०१२

सचिन तेंदुलकर ने भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगा लिए हों लेकिन वह संन्यास के बारे में नहीं सोच रहे हैं. उनका कहना है कि शीर्ष पर रहते हुए क्रिकेट छोड़ना एक स्वार्थी कदम होगा.

तस्वीर: AP

दो दशक के दौरान सचिन तेंदुलकर ने पूरे क्रिकेट की किताब बदल दी. रिकॉर्ड नए सिरे से लिखे गए, बल्लेबाजी के नए आयाम बने. दुनिया के लिए सचिन ही मानक बन गए. लेकिन खुद 38 साल के सचिन का दिल अभी नहीं भरा है. उनका कहना है, "मेरा मानना है कि अगर मैं महसूस करूं कि मेरा योगदान है और मैं मानसिक तौर पर उस जगह पर हूं, जहां से टीम की मदद की जा सकती है, तो मुझे खेलना चाहिए. यह बहुत ही स्वार्थी ख्याल होगा अगर आप सोचें कि आप टॉप पर हैं और आपको रिटायर हो जाना चाहिए."

बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाने के बाद उन्होंने भारत के एक समाचार चैनल से इंटरव्यू में कहा, "जब आप शीर्ष पर होते हैं तो आपको देश की सेवा करनी चाहिए. जब मुझे लगेगा कि मानसिक तौर पर मैं देश की सेवा करने लायक नहीं हूं, मैं तभी रिटायरमेंट लूंगा, किसी के कहने पर मैं ऐसा नहीं करूंगा. यह बयान भी स्वार्थी है कि जब आप शीर्ष पर हों तो संन्यास ले लें."

मीलों आगे सचिन

सचिन ने 16 मार्च को ढाका के मीरपुर स्टेडियम में अपने शतकों की संख्या बढ़ा कर तीन अंकों में कर दी है. अब उनके नाम वनडे में 49 और टेस्ट मैचों में 51 शतक हैं. उनके सौ अंतरराष्ट्रीय शतक के बाद दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग हैं, जिनके शतकों की संख्या 71 है. यानी सचिन से 29 कम.

सचिन ने हालांकि इस बात को माना कि वह सौवें शतक के लिए जबरदस्त दबाव में थे और खास तौर पर तब जबकि इसके लिए इंतजार इतना लंबा खिंचा, "मैंने पिछले साल वर्ल्ड कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना 99वां शतक बनाया था और मुझे इस बात की राहत है कि तब मीडिया ने मुझ पर 100वें शतक का दबाव नहीं बनाया था. इसके बाद मैं वेस्ट इंडीज के दौरे पर नहीं गया. तभी कयास लगाए जाने लगे कि मैं इंग्लैंड में अपना सौवां शतक बनाना चाहता हूं. लेकिन ऐसा नहीं होता कि आप जब चाहें, तब यह काम कर सकते हैं."

तस्वीर: AP

सबसे मुश्किल साल

तेंदुलकर ने पिछले एक साल को अपने करियर का सबसे मुश्किल साल बताया, "पिछले एक साल में मैंने ठीक ठाक बल्लेबाजी की लेकिन साथ में कुछ नाकामियां भी आईं. शायद पिछला एक साल मेरे करियर का सबसे मुश्किल साल रहा." सचिन ने 16 साल की उम्र में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ 1989 में खेला था.

हाल के दिनों में आरोप लगते रहे हैं कि सचिन सिर्फ अपने लिए खेलते हैं. इस बाबत खुद सचिन का सोचना है, "कुछ लोगों की मैं इज्जत करता हूं, कुछ की इज्जत नहीं करता हूं. इसलिए जिनकी मैं इज्जत नहीं करता, उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होता. यह उनकी निजी राय है और उन्हें अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है. मुझे उनकी परवाह नहीं. उन्हें जो कहना है, कहें. मेरे पास उससे बड़ी जिम्मेदारी है कि मुझे भारत के लिए खेलना है. रन बनाने हैं और भारत के लिए मैच जीतने हैं. मैं अपने काम पर ज्यादा फोकस रखना चाहता हूं न कि उनके बयानों पर."

सबसे बड़ा राष्ट्र

सचिन से जब पूछा गया कि वह खुद अपने सौवें सैकड़े के बारे में कितना सोच रहे थे. सचिन ने कहा, "पहले कभी भी मेरे दिमाग में सौवें शतक की बात नहीं थी. मैं वर्ल्ड कप पर ध्यान देना चाह रहा था. मेरा सपना था कि मैं वर्ल्ड कप को उठाऊं और उससे बड़ी बात हो ही नहीं सकती है कि कोई खिलाड़ी वर्ल्ड कप को अपने घर लाए. वह मेरी जिन्दगी का सबसे अहम लम्हा था. उससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता है. जब आप बड़े लक्ष्य के लिए खेलते हैं, तो छोटी और निजी उपलब्धियां मिलती जाती हैं. और बड़ा लक्ष्य देश के लिए खेलना है."

वैसे इस कामयाबी को हासिल करने के बाद वह बहुत तनावमुक्त महसूस कर रहे हैं, "मुझे लग रहा है कि मेरी बाजुओं से बहुत बड़ा बोझ उतर गया है. मैंने कल कहा था कि मैं अपना वजन 50 किलो कम महसूस कर रहा हूं. लेकिन पीछे मुड़ कर देखने से लगता है कि यह उससे भी बड़ा है. कई बार आप खुद से सवाल पूछते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है. मैं अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था. आउट होने की कोई खास वजह नहीं होती थी. लेकिन ऐसा हो जाता था. कभी कभी आपको ईश्वर के फैसले को स्वीकार करना होता है. मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश जारी रखूंगा."

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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