फ्रांसीसी फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष ने फ्रांक रिबेरी से अपील की है कि वह अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास के बारे में एक बार और विचार करें.
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संघ के अध्यक्ष ले ग्राय ने फ्रांस फुटबॉल फेडेरेशन की वेबसाइट पर लिखा है, "इस तरह का फैसला, वह इतने अच्छे खिलाड़ी के लिए, किसी एक व्यक्ति के विश्लेषण का फल नहीं हो सकता और इसे अंतिम भी नहीं मान सकते. ये फैसला फ्रांसीसी टीम के गार्डियन और कोच का भी है."
बुधवार को रिबेरी ने एलान किया कि वह फ्रांस के लिए अब नहीं खेलेंगे क्योंकि वह अपना ध्यान अपने परिवार और बायर्न म्यूनिख पर लगाना चाहते हैं. ले ग्राय ने कहा, "फ्रांस अपने बेस्ट खिलाड़ियों से कैसे अलग हो सकता है? फ्रांक फ्रांसीसी टीम और ब्लू जर्सी से प्यार करते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि वह अपने फैसले पर फिर से सोचेंगे."
31 साल के रिबेरी ने फ्रांस के लिए 81 मैच खेलें हैं और 16 गोल किए हैं. इस साल वर्ल्ड कप के दौरान कमर में समस्या के कारण वह नहीं खेल सके. हाल ही में घुटने की चोट से भी वह परेशान रहे.
2006 में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले रिबेरी ने कहा कि इंटरनेशनल फुटबॉल से संन्यास लेने का यह सही समय है. और कि ऐसा लगता है कि फ्रांस उनके बगैर भी मजबूत है. जर्मन फुटबॉल मैग्जीन किकर को उन्होंने कहा, "मैं छोड़ रहा हूं. मैंने तय किया है कि अब वह समय आ गया है. आपको पता होना चाहिए कि निकलने का सही समय कब है."
बायर्न म्यूनिख के लिए विंगर के तौर पर खेलने वाले खिलाड़ी ने कहा, "समय है कि दूसरे आगे आएं. वर्ल्ड कप में आप देख सकते थे कि फ्रांस के भविष्य के बारे में चिंतिंत होने की जरूरत नहीं है."
2013 में वर्ल्ड प्लेयर ऑफ द ईयर में रिबेरी तीसरे रहे और यूएफा 2012-13 में यूरोपीयन प्लेयर ऑफ द सीजन रहे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय करियर से संन्यास लेने के निजी कारण बताए, "मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहता हूं और बायर्न की नौकरी पर अपना ध्यान लगाना चाहता हूं. और राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह को बढ़िया युवा खिलाड़ियों के लिए खाली करना चाहता हूं. काफी उतार चढ़ाव थे लेकिन अब जीवन में नए अध्याय का समय आ गया है.
रिबेरी के चेहरे पर अभी भी बचपन के कार क्रैश की चोटें देखी जा सकती है. उन्हें फ्रांस के खिलाड़ी सिनेदिन सिदान ने फ्रांसीसी फुटबॉल का गहना बताया था. 2006 में जर्मनी में हुए फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान उनका कौशल देखा जा सकता था. उस साल फ्रांस फाइनल में पहुंचा था और इटली के हाथों हारा था.
चार साल बाद दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्ड कप में टीम बुरी तरह नाकाम रही. उस समय ट्रेनर रेमों डोमेनिच के विरोध में रिबेरी और अन्य खिलाड़ियों ट्रेनिंग सेशन का बहिष्कार कर दिया था. इसकी वजह से उन्हें दंड का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं करीम बेंजेमा और रिबेरी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने किशोर सेक्स कर्मियों के साथ यौन संबंध बनाए. चार साल की जांच के बाद उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया.
यूरोप का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर
विश्व कप के फौरन बाद यूरोपीय लीग फुटबॉल में खेलने वाले 10 खिलाड़ियों को छांटा गया है. इनमें से कोई एक होगा 2014 में फ्रांक रिबेरी का उत्तराधिकारी. रिबेरी ने पिछले साल यह खिताब जीता था.
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डिएगो कोस्टा (चेल्सी)
स्पेन के 25 साल के कोस्टा ने पुर्तगाल के एक क्लब से अपने सफर की शुरुआत की. लेकिन जल्द ही चोटी की तरफ बढ़ने लगे. स्पेनी टीम के नियमित स्ट्राइकर ने अटलेटिको मैड्रिड के लिए इस साल 27 गोल किए. अब वह चेल्सी पहुंच गए हैं.
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आंखेल डी मारिया (रियाल मैड्रिड)
अर्जेंटीना फुटबॉल टीम में मेसी के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी डी मारिया यूरोप में मेसी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी टीम रियाल मैड्रिड से खेलते हैं. 26 साल के डी मारिया कभी आक्रामक मिडफील्डर तो कभी विंगर के तौर पर मैदान में दौड़ते हैं.
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क्रिस्टियानो रोनाल्डो (रियाल मैड्रिड)
पुर्तगाल का यह करिश्माई खिलाड़ी मौजूदा वक्त में दुनिया का सबसे बड़ा फुटबॉलर है. लेकिन विश्व कप में उसकी टीम को पहले ही दौर में बाहर होना पड़ा. फिर भी रोनाल्डो यूरोपीय चैंपियन रियाल के हिस्सा तो हैं ही.
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खामेस रोड्रिगेस (मोनाको)
ब्राजील के फुटबॉल विश्व कप ने अगर किसी खिलाड़ी को सबसे बड़ी पहचान दी, तो वह हैं 23 साल के कोलंबियाई सितारे रोड्रिगेस. उनकी टीम भले ही क्वार्टर फाइनल में हार गई हो लेकिन तब तक उन्होंने छह गोल करके गोल्डन बूट जीत लिया.
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फिलिप लाम (बायर्न म्यूनिख)
जर्मनी की राष्ट्रीय और सबसे लोकप्रिय टीम बायर्न म्यूनिख के कप्तान 30 साल के फिलिप लाम लगभग एक दशक से दोनों टीमों के सबसे बड़े डिफेंडर हैं. वैसे मौका पड़ने पर विपक्षी खेमे में घुस कर गोल दागने में भी उनका जवाब नहीं.
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मानुएल नॉयर (बायर्न म्यूनिख)
बर्लिन की दीवार के नाम से मशहूर जर्मनी और बायर्न के गोलकीपर नॉयर के नाम से एक युग लिखा जा सकता है. 28 साल के नॉयर को इस विश्व कप में गोल्डन ग्लव्स का खिताब भी मिला है.
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थोमस मुलर (बायर्न म्यूनिख)
लगातार दो वर्ल्ड कप में 10 गोल करने वाले मुलर हाल के दिनों में जर्मन लीग टीम के भी प्रमुख स्तंभ बन गए हैं. 24 साल के मुलर ने पिछले वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट और इस बार सिल्वर बूट जीता है. बायर्न में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है.
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आर्यन रोबेन (बायर्न म्यूनिख)
जर्मन क्लब से खेलने वाले नीदरलैंड्स के रोबेन ने लगातार दो बार अपनी टीम को वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचाया. 30 साल के रोबेन पिछले 10 साल से हर साल कोई न कोई खिताब जीतते आ रहे हैं.
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लुइस सुआरेस (बार्सिलोना)
उरुग्वे के स्ट्राइकर 27 साल के सुआरेस अपनी फुटबॉल से ज्यादा दांत काटने की हरकत के लिए मशहूर हैं. लेकिन इस साल उन्होंने इंग्लिश प्रीमियर लीग में ताबड़तोड़ गोल किए हैं. अब वह मेसी के साथ खेलने बार्सिलोना जा रहे हैं.
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लियोनेल मेसी (बार्सिलोना)
अर्जेंटीना के महान डिएगो माराडोना के उत्तराधिकारी समझे जाने वाले मेसी ने 27 साल में वह सब कुछ पा लिया है, जो कई फुटबॉलरों को पूरे करियर में नहीं मिलता.