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संबंधों पर भारी पड़ते दो नौसैनिक

१२ मार्च २०१३

भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के नौसैनिक मुकदमे की सुनवाई के लिए भारत नहीं लौटेंगे. इटली के इस इनकार से भारतीय नेता बिफर गए हैं, इसे विश्वासघात कहा जा रहा है. दोनों देशों के संबंधों पर इसका असर पड़ सकता है.

तस्वीर: AFP/Getty Images

इसी साल फरवरी में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इटली के दो नौसैनिकों को कुछ दिनों के लिए अपने देश जाने की विशेष अनुमति दी. दो भारतीय मछुआरों की गैर इरादन हत्या के आरोपी नौसैनिकों मासिमिलानो लाटोरे और सल्वाटोरे गिरोने ने संसदीय चुनाव के लिए वोट डालने और ईस्टर का त्योहार मनाने के लिए देश लौटने की इजाजत मांगी थी. नौसैनिकों ने बीते साल दिसंबर में भी क्रिसमस के दौरान ऐसी ही छुट्टी मांगी थी, तब वे छुट्टियों के बाद वापस लौट आए थे. लेकिन इस बार इटली ने नौसैनिकों को वापस भेजने से इनकार कर दिया है.

इटली के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, "दो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय विवाद को लेकर औपचारिक कदम उठाते हुए इटली ने भारत सरकार को यह सूचना दे दी है कि नौसैनिक मासिमिलानो लाटोरे और सल्वाटोरे गिरोने घर पर अपनी छुट्टियां खत्म होने के बाद भी भारत नहीं लौटेंगे." इटली सरकार ने इस बाबत एक चिट्ठी भी नई दिल्ली भेजी है.

इटली का आरोप है कि भारत ने इस मामले का कूटनीतिक हल निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. मतभेदों की वजह से मामला अब संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि के तहत आधिकारिक विवाद बन गया है.

इस जहाज पर तैनात थे इतालवी नौसैनिकतस्वीर: dapd

भारत में राजनीति गर्म

नौसैनिकों के न लौटने की खबर मिलते ही भारत में राजनीतिक हंगामा शुरू हो गया है. मंगलवार को विपक्षी दलों से सरकार से कहा है कि वह नौसैनिकों को वापस लाने की योजनाओं के बारे में सफाई दे. सरकार का कहना है कि इस अंतरराष्ट्रीय विवाद में आगे के कदमों पर विचार किया जा रहा है. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इटली के कदम को 'अस्वीकार्य' बताया. मनमोहन सिंह ने केरल के नेताओं को भरोसा दिया है कि वे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से इस संबंध में बात करेंगे. वहीं सलमान खुर्शीद का कहना है, "हम इटली के निर्णय के असर का आकलन कर रहे हैं. हम इटली से बातचीत के बाद सोच समझकर फैसला लेंगे."

विपक्षी पार्टी बीजेपी ने विदेश मंत्री के बयान को बहुत हल्का करार दिया है. बीजेपी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कहा, "यह इटली सरकार की धोखेबाजी है. दो संप्रभु देशों के बीच यह विश्वासघात है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है."

इटली के विदेश मंत्री गिउलियो टेर्जीतस्वीर: Reuters

विवाद की जड़

इटली के जहाज पर तैनात नौसैनिकों मासिमिलानो और सल्वाटोरे पर भारत के समुद्री क्षेत्र में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप हैं. 15 फरवरी 2012 में नौसैनिकों ने हिंद महासागर में निहत्थे मछुआरों पर गोलियां चलाईं. नौसैनिकों के मुताबिक उन्होंने मछुआरों को गलती से समुद्री डाकू समझा और फायरिंग की. भारतीय अधिकारियों के मुताबिक समुद्री डाकुओं का संदेह होने पर जहाज ने न तो आपातकालीन संदेश भेजे, न ही ऐसी परिस्थितियों में उठाए जाने वाले अन्य कदमों का पालन किया. चेतावनी देने के लिए वॉर्निंग फायर भी नहीं किया. मछुआरों पर फायरिंग के बाद तेल से लदा जहाज घटनास्थल से 70 किलोमीटर आगे अपने रास्ते पर मिस्र की ओर बढ़ गया. इस दौरान भी घटना के बारे में कोई संदेश नहीं दिया गया. करीब तीन घंटे बाद जब भारतीय तटरक्षक बल ने जहाज का पता लगाया और उसे कोच्चि आने पर मजबूर किया तो चालक दल ने पहली बार घटना की रिपोर्ट की.

इटली का कहना है कि घटना अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुई, जबकि भारत का कहना है कि फायरिंग उसकी समुद्री सीमा में हुई. हालांकि इटली की पत्रकार फियोरेंजा सारजानिनी का दावा है कि जहाज भारत के बाहरी आर्थिक जोन में था. तट से 200 नॉटिकल मील दूरी तक के इलाके को बाहरी आर्थिक जोन कहा जाता है. इटली के मुताबिक मामले की सुनवाई रोम में होनी चाहिए, जबकि भारत ने साफ कहा है कि भारतीय मछुआरों की मौत हुई है और कार्रवाई भारतीय कानून के मुताबिक भारत में ही होगी.

रणनीतिक और सामरिक मामलों के विशेषज्ञ रिटायर्ड मेजर जनरल दीपांकर बनर्जी भी मानते है कि अपराध कहां हुआ यह साफ होना चाहिए. डॉयचे वेले से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह तय करना ही होगा कि अपराध किस जगह हुआ. लेकिन एक बात साफ है कि अपराध तो हुआ है, इसमें दो लोगों की जान गई है. इस पर कार्रवाई दो देशों में हो सकती है. भारत और इटली दोनों जगहों पर."

इटली का कदम अस्वीकार्य: मनमोहनतस्वीर: picture-alliance/dpa

संबंधों पर असर

भारत के पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह को पिछले साल तक यह उम्मीद थी कि दोनों देश इस मामले का कूटनीतिक हल निकाल लेंगे. इसी साल की शुरुआत में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी भारत सरकार को कूटनीतिक हल की तरफ बढ़ने का इशारा दिया. मामले के मूल्यांकन के बाद अदालत ने कहा कि समुद्री डाकुओं का खतरा बड़ा है, उसे देखते हुए ऐसे विवादों का कूटनीतिक हल निकाला जाना बेहतर होगा. लेकिन इटली के ताजा फैसले और उसके जबाव में भारत में हो रही राजनीतिक प्रतिक्रिया के बाद कूटनीतिक हल की संभावना कुछ कमजोर पड़ रही हैं.

दीपांकर बनर्जी कहते हैं, "कूटनीतिक हल निकाला जा सकता था, उस पर बातचीत आगे बढ़ाई जा सकती थी, लेकिन आपसी सहमति को तोड़ना और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार्य नहीं है. यह एक बड़ा साफ उल्लंघन है. इटली ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है. इटली ने एक शर्त स्वीकार की थी, उसके तहत मानवीय आधार पर एक छोटी छुट्टी के बाद दोनों नौसैनिकों को भारत वापस लौटना था, इस भरोसे को तोड़ा गया है."

दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर भी इसका असर पड़ सकता है. इटली आर्थिक संकट में फंसा है. वहीं भारत का बड़ा बाजार पश्चिमी देशों को लुभा रहा है. बीते साल इटली के विदेश मंत्री द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने के इरादे से भारत आए, लेकिन नौसैनिकों के मामले ने रंग जमने नहीं दिया. दीपांकर बनर्जी कहते हैं, "निश्चित तौर पर इससे भारत और इटली के संबंधों पर असर पडे़गा. आर्थिक हितों पर कितना असर पड़ेगा, इसका फिलहाल अनुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन अगर दो देशों के बीच संतोषजनक रिश्ते न हों तो उसके बुरे नतीजे दोनों देशों को भुगतने पड़ते हैं. अभी के हालात को देखते हुए लगता है कि इटली पर इसका ज्यादा बुरा असर पड़ेगा."

लेकिन अगर ज्यादा कड़वाहट फैली तो भारतीय जहाजों को भी यूरोप में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. स्वेज नहर के जरिए जल्द और बहुत कम खर्चे में यूरोप पहुंचने के लिए भारतीय जहाजों को इटली के समुद्री इलाके को पार करना पड़ता है.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी (एपी, रॉयटर्स)

संपादन: महेश झा

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