संयुक्त राष्ट्र आमसभा से पहले चीनी विदेश मंत्री रूस गये
१८ सितम्बर २०२३चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक रूस यात्रा से पहले दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कई उच्चस्तरीय मुलाकातें और टेलिफोन पर बातें हुई हैं. अब इसमें नई कड़ी के तहत चीनी विदेश मंत्री रूस में हैं. चीनऔर रूस रणनीतिक साझीदार तो हैं दोनों देश अकसर अपने संबंधों को "सीमारहित" बताते हैं और आर्थिक तथा सैन्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोनों देश और करीब आए हैं. चीन ने इस हमले की निंदा करने से साफ मना कर दिया है.
सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वांग चीन की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव के निमंत्रण पर रुस में सुरक्षा मामलों पर बातचीत में शामिल होंगे.
बाद में मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह एक नियमित दौरा है जिसका मकसद आपसी संबंधों का विकास और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सुरक्षा हितों समेत दूसरे अहम मुद्दों पर गहरी बातचीत है.
क्या चीन के रक्षा मंत्री की भी विदाई होगी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग
रूसी विदेश मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि वांग अपने रूसी समकक्ष सर्गेइ लावरोव से मिलेंगे. दोनों नेताओं ने "अंतरराष्ट्रीय पटल पर संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिशों पर ध्यान देने की योजना बनाई है." मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "यूक्रेन में समाधान और एशिया प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से बातचीत होगी."
विश्लेषकों का मानना है कि रूसी विदेश मंत्री का यह दौरा संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के सहयोग को बढ़ाने के लिहाज से भी अहम है. संयुक्त राष्ट्र की आमसभा मंगलवार से शुरू हो रही है. बीते महीनों में कई बार यह चर्चा हुई कि यूक्रेन संकट में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका युद्ध को रोकने जैसे मुद्दों पर बिल्कुल बेअसर है.
आमसभा में यह मुद्दा तो उठेगा ही. मुमकिन है कि रूस और चीन इस मामले पर आपसी सहयोग को संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर भी ले जाना चाहते हों. हालांकि चीनी विदेश मंत्री के दौरे में ज्यादातर आपसी मुद्दों को ही ज्यादा महत्व दिया जा रहा है.
रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थ क्यों बनना चाहता है चीन
चीन ने यूक्रेन युद्ध के मामले में खुद को तटस्थ दिखाने की कोशिश की है. उसने रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अलगाव बढ़ने के बाद कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग दिया है.
हालांकि उसने रूस को घातक हथियार देने या फिर सैन्य दखलंदाजी से परहेज किया है. चीन के विदेश मंत्री ने पिछले महीने ही रूस और बेलारूस का दौरा किया और करीबी सैन्य सहयोग पर चर्चा की थी.
आपसी रिश्तों को मजबूत बना रहे हैं रूस और चीन
दोनों देशों ने बीते महीनों में कई संयुक्त समुद्री सैन्य अभ्यास और हवाई गश्त के अभ्यास किए हैं. इनकी वजह से दक्षिण कोरिया को अपने लड़ाकू विमान तैनात करने पड़े.
रूस और चीन के उच्चस्तरीय संबंध ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में और गहरे होंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई में कहा था कि वह इस साल अक्टूबर में चीन जाने की योजना बना रहे हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मार्च में मॉस्को की यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के संबंध एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं.
व्लादिवोस्तोवक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की एक बैठक में पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने चीन के उप प्रधानमंत्री झांग गुओकिंग से कहा था कि की रूस और चीन के संबंध "एकदम अभूतपूर्व ऐतिहासिक स्तर" पर पहुंच गए हैं.
एनआर/एए (एएफपी)