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संयुक्त राष्ट्र की हिरासत में पहुंचा म्लादिच

१ जून २०११

बोस्नियाई सर्ब सैनिक कमांडर रात्को म्लादिच को प्रत्यर्पण करके नीदरलैंड्स के द हेग भेज दिया गया है जहां उस पर संयुक्त राष्ट्र युद्ध अपराध ट्राइब्यूनल में मुकदमा चल रहा है. 16 साल तक भगोड़ा रहने के बाद म्लादिच हेग पहुंचा.

Mladic Dossier Bild 3

69 साल का म्लादिच सर्बिया के सरकारी विमान में मंगलवार शाम को रॉटरडैम पहुंचा. 90 मिनट तक उसे हवाई अड्डे पर ही रोका गया. हालांकि मीडिया को उसकी झलक तक पाने नहीं दी गई. उसके बाद उसे हेलीकॉप्टर से द हेग के नजदीक ट्राइब्यूनल के हिरासत केंद्र में भेज दिया गया.

अपील खारिज हुई

म्लादिच पर 1992 से 95 तक चली बोस्निया जंग के दौरान युद्ध अपराधों के आरोप हैं. इनमें से आठ हजार मुस्लिम पुरुषों के नरसंहार का भी मामला शामिल है. म्लादिच को गुरुवार को उत्तरी सर्बिया के एक फार्म हाउस से गिरफ्तार किया गया था. उसने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी लेकिन बेलग्रेड की एक अदालत ने मंगलवार को उसकी अपील खारिज कर दी. फैसले के फौरन बाद सर्बिया ने म्लादिच का प्रत्यर्पण कर दिया.

म्लादिच समर्थकों की रैलीतस्वीर: AP

बाद में यूगोस्लाविया युद्ध ट्राइब्यूनल ने एक बयान जारी कर म्लादिच की हिरासत केंद्र में पहुंचने की पुष्टि की. बयान में कहा गया कि अब जजों का एक पैनल नियुक्त किया जाएगा और म्लादिच को बिना किसी देरी के अदालत में पेश किया जाएगा. इसका मतलब आरोपी के पहुंचने के 12 से 24 घंटे का समय हो सकता है. हालांकि माना जा रहा है कि म्लादिच को गुरुवार या शुक्रवार को पहली बार कोर्ट में पेश किया जा सकता है.

स्वस्थ है म्लादिच

म्लादिच की गिरफ्तारी के बाद सर्बिया और बोस्निया में कट्टर राष्ट्रवादियों ने प्रदर्शन किए हैं. म्लादिच ने स्वास्थ्य को आधार बनाकर प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी. उसके वकील और परिवार ने दलील दी थी कि वह मानसिक रूप से बीमार है और प्रत्यर्पण के लिए पूरी तरह स्वस्थ नहीं है. लेकिन अपील खारिज कर दी गई.

नीदरलैंड्स में बोस्निया की राजदूत ने कहा कि उन्होंने केंद्र में म्लादिच को देखा है और वह पूरी तरह स्वस्थ नजर आया. राजदूत मिरांडा सिदरान-कामिसालिच ने एक टेलीविजन चैनल से कहा, "मैं उससे मिली और बोस्निया के दूतावास के बारे में बताया. मैंने उससे कहा कि उसे किसी भी तरह की मदद की जरूरत हो तो बताए. वह अच्छी हालत में नजर आ रहा था. वह केंद्रित था और पक्के तौर पर सब कुछ समझ गया."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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