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संविधान दिवस पर संसद के बाहर विपक्ष का अनूठा विरोध 

चारु कार्तिकेय
२६ नवम्बर २०१९

महाराष्ट्र में सत्ता की खींच-तान के बीच क्यों विपक्ष ने किया संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार. अनूठे तरीके से संसद के बाहर किया विरोध प्रदर्शन.

Indien Neu Delhi | Demonstration der Opposition
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

मंगलवार को संसद में भारत के संविधान के लागू होने की 70वीं वर्षगांठ को सरकार और विपक्ष ने अपनी अपनी तरह से मनाया. संसद के केंद्रीय कक्ष में लोक सभा और राज्य सभा की एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्बोधित किया. 

तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

विपक्ष ने इस पूरे कार्यक्रम का बहिष्कार किया और संसद के बाहर एक अनूठे तरीके से विरोध जताने में लगे रहे. कई विपक्षी पार्टियों ने संसद के बाहर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के नीचे खड़े होकर "लोकतंत्र की हत्या बंद करो" के नारे लगाए और संविधान का पाठ किया. 

इस अनोखे विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भी हिस्सा लिया.

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने संविधान की प्रस्तावना को सबके सामने पढ़ा.


विरोध में कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, आरजेडी, एनसीपी और शिव सेना ने भी हिस्सा लिया.   
  

उधर संसद में राष्ट्रपति कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को सम्बोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान, हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि संविधान निर्माताओं के सुनिश्चित किए समान अवसर के बल पर ही, आज उन्हें, राष्ट्रपति के रूप में, संसद की इस ऐतिहासिक बैठक को संबोधित करने का अवसर मिला है.

विपक्ष का कहना यह था कि महाराष्ट्र में जिस तरह से धोखे से बीजेपी ने अचानक सरकार बना ली उस से संविधान पर हमला हुआ है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा कि आज सत्ता में बैठे लोग संविधान के मूल्यों को दरकिनार करने का प्रयास कर रहे हैं.

ये विरोध मुख्यतः महाराष्ट्र में संदिग्ध हालत में बीजेपी के सरकार बना लेने को लक्षित था. राज्य में राष्ट्रपति शासन के बीच 23 नवम्बर को अचानक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. इस फैसले को शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. तीन दिनों की सुनवाई के बाद मंगलवार को अदालत ने फडणवीस को विधान सभा में बहुमत परिक्षण का सामना करने का आदेश दिया जिसके कुछ ही घंटों बाद फडणवीस ने पद से इस्तीफा दे दिया.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

बीते डेढ़ साल में यह दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट के बहुमत परिक्षण के आदेश के बाद बीजेपी के किसी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है. मई 2018 में कर्नाटक में बीजेपी नेता बी एस येद्दियुरप्पा को भी इसी तरह मजबूर हो कर मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. 

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