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संविधान विरोध के बीच हंगरी की मुद्रा दबाव में

५ जनवरी २०१२

हंगरी की सरकार अपनी कुछ नीतियों को बदलने के लिए तैयार है ताकि अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं के साथ कोई समझौता हो सके. मीडिया और संवैधानिक अदालत पर लगाम कसने की व्यापक आलोचना हो रही है.

हंगरी में विरोधतस्वीर: REUTERS

2010 में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की कंजरवेटिव फिदेश पार्टी ने मीडिया और संवैधानिक अदालत के अधिकारों पर अंकुश लगा दिया है, गैर सरकारी पेंशन कोष को सरकारी नियंत्रण में ले लिया है और बजट पर निगरानी रखने वाली स्वतंत्र संस्था को खत्म कर दिया है.

केंद्रीय बैंक की आजादी को कम करने वाले कानून के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपीय संघ भी उस पर नाराज है. इसकी वजह से वित्तीय मदद की वार्ताओं पर संकट है और निवेशकों को डर लग रहा है कि हंगरी में वित्तीय संकट टालना मुश्किल हो जाएगा.

रियायत को तैयार

हंगरी के प्रमुख अधिकारियों ने बुधवार को माना है कि आर्थिक मदद पर समझौता जरूरी है और उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि कुछ मुद्दों पर वे रियायत देने को तैयार हैं. हंगरी सरकार के मंत्री तामास फेलेगी ने एक साप्ताहिक से कहा, "हम बिना किसी शर्त पर बातचीत के लिए तैयार हैं, हर मुद्दे को मेज पर रखा जा सकता है."

यूरोपीय संसद में विरोधतस्वीर: picture alliance / dpa

बातचीत करने वाले गुट के दूसरे सदस्य राज्य मंत्री जूला प्लेशिंगर ने कहा कि हंगरी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ कर्ज लेने और यूरोपीय संघ के सुरक्षा घेरा बनने पर समझौता करना चाहते हैं. प्लेशिंगर ने कहा, "हमने बाजार से कहा है कि हम मुद्रा कोष और ईयू के साथ समझौता करना चाहते हैं, यदि डील नहीं होती है तो इससे बाजारों को गलत संदेश जाएगा."

फोरिंट का रिकॉर्ड पतन

ये बयान हंगरी के बांड बदलने की प्रक्रिया रोके जाने के बाद आई है, क्योंकि कर्ज लेने का खर्च काफी ज्यादा हो गया है. हंगरी की मुद्रा फोरिंट का मोल काफी गिर गया है और पिछले सप्ताह केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला बिल पास होने के बाद हंगरी के कर्ज के बीमा का खर्च महंगा हो गया है. हंगरी की मुद्रा फोरिंट की कीमत बुधवार को प्रति यूरो 320.18 फोरिंट के रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंच गई.

सरकार के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों के बीच सोमवार को 30,000 लोगों ने प्रधानमंत्री ओरबान की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर कर रही है और पार्टी की ताकत बढ़ा रही है.

ओरबान और बारोसोतस्वीर: AP

ईयू से पंगा

इस बीत यूरोपीय संघ ने हंगरी के विवादास्पद कानूनों पर अपनी चिंता फिर से दोहराई है. यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता ओलिवियर बेली ने ब्रसेल्स में कहा है कि आयोग की चिंता तब तक बनी रहेगी जब तक यूरोपीय संधियों के साथ इन कानूनों के अनुकूल होने की जांच पूरी नहीं हो जाती. उन्होंने कहा कि कानूनों के यूरोपीय कानूनों के अनुकूल नहीं होने पर हंगरी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी.

साल के शुरू में हंगरी में नया विवादास्पद संविधान लागू हुआ है. इसके अलावा साल के अंत में संसद ने कई नए कानून पास किए हैं जिनमें केंद्रीय बैंक में सुधार वाला कानून भी शामिल है. इन कानूनों के विरोध में अंतरारष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपीय संघ ने हंगरी का एक तय दौरा रद्द कर दिया था, जिसमें 20 अरब डॉलर की मदद पर बातचीत होनी थी.

इधर जर्मन सरकार ने हंगरी की सरकार से यूरोपीय मौलिक अधिकारों और मूल्यों के पालन की मांग की है. संविधान में विवादास्पद संशोधनों की ओर इशारा करते हुए सरकार के उप प्रवक्ता गियॉर्ग श्ट्राइटर ने कहा कि संसद में दो तिहाई बहुमत होना बड़ी जिम्मेदारी और विशेष संवेदनशीलता की मांग करता है. उन्होंने कहा कि जर्मन सरकार इस बात का स्वागत करती है कि यूरोपीय आयोग हंगरी के नए संविधान की यूरोपीय नियमों के साथ अनुकूलता की जांच कर रहा है.

रिपोर्टः रॉयटर्स, डीपीए/महेश झा

संपादनः एन रंजन

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