1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

किसे बनाएंगे ईयू प्रमुख

२ जून २०१४

यूरोपीय संसद के चुनाव में अनुदारवादी यूरोपीय पीपुल्स पार्टी ईपीपी की जीत ने ईयू के सदस्य देशों को असमंजस में डाल दिया है. बहस यह है कि संसद में बहुमत से नेता चुना जाए या सदस्य देशों के नेता आयोग प्रमुख को नामांकित करें.

तस्वीर: DW/A. Noll

ईपीपी ने लक्जेमबुर्ग के पूर्व प्रधानमंत्री जां क्लोद युंकर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और उसे यूरोपीय संसद के चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली. लेकिन यूरोपीय संघ के कई देश नहीं चाहते कि युंकर यूरोपीय आयोग के प्रमुख बनें. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो उनका देश ईयू छोड़ भी सकता है. लेकिन ईयू की प्रमुखता तक का रास्ता अभी काफी लंबा है. युंकर या सबसे ज्यादा सांसदों को इकट्ठा करने वाले नेता को 28 सदस्य देशों के प्रमुखों से मशविरा करना होगा जिसके बाद तय होगा कि यूरोपीय आयोग का प्रमुख कौन बनेगा.

ब्रिटेन को दिक्कत

जर्मन पत्रिका के मुताबिक कैमरन ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित कई और यूरोपीय नेताओं से कहा कि युंकर को अगर यूरोपीय आयुक्त बनाया गया तो ब्रिटेन की सरकार अस्थिर हो जाएगी और यूरोपीय संघ में शामिल रहने के मुद्दे पर ब्रिटेन में जनमत संग्रह और पहले आयोजित करना होगा. ब्रिटेन में जनमत बहुत हद तक यूरोपीय संघ का हिस्सा रहने के खिलाफ हो रहा है. मई में हुए यूरोपीय संसद के चुनावों में दक्षिणपंथी यूके इंडेपेंडेंस पार्टी यूकिप को सबसे ज्यादा वोट मिले. यूकिप यूरोपीय संघ का विरोध करने के आधार पर बना है.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने भी कहा है कि चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि मतदाताओं का यूरोपीय संघ के संगठनों और सिद्धांतों पर विश्वास कम हो रहा है. ब्लेयर का कहना है कि इन नतीजों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. ब्रिटेन के अलावा हंगरी, स्वीडेन और नीदरलैंड्स की सरकारों ने युंकर की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं.

युंकर से आपत्ति

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन को युंकर से परेशानी हैतस्वीर: Reuters

यूरोपीय संसद ईयू के सदस्य देशों के लिए कानून प्रस्तावित करती है और इनके क्रियान्वयन पर नजर भी रखती है. सदस्य देश संसद के साथ मिलकर यूरोपीय संघ का प्रमुख चुनते हैं. इस बार चुनाव में यूरोपीय स्तर पर पार्टियों का अभियान चलाकर इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाने की कोशिश की गई है. चुनाव नतीजों के बावजूद सदस्य देशों की सरकारें आयोग के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर अपना फैसला सामने रख सकेंगी.

जां क्लोद युंकर आर्थिक संकट के दौरान सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों के समूह, यूरोग्रुप के प्रमुख रहे और उन्होंने पूरे संघ के लिए वित्तीय फैसले लिए. इस दौरान ग्रीस और स्पेन को बचाने के लिए राहत पैकेजों पर भी फैसले लिए गए. युंकर के बारे में कहा जाता है कि वह ब्रिटेन की ईयू सदस्यता को लेकर बहस में नहीं उलझना चाहेंगे और उनके कार्यकाल में फैसले केंद्र यानी ब्रसेल्स में होंगे जिनपर सदस्य देशों का कम प्रभाव रहेगा.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और युंकर, दोनों की पार्टियां ईयू स्तर पर ईपीपी की सदस्य हैं. इस विवाद में जर्मन चांसलर मैर्केल ने युंकर की उम्मीदवारी का समर्थन तो किया है लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि ईयू के कई देश युंकर को ईयू प्रमुख के तौर पर नहीं देखना चाहते. मैर्केल इस वजह से खुद आलोचना का पात्र बनी हैं. जर्मन मीडिया का कहना है कि अगर ईपीपी के बहुमत को नजरअंदाज किया जाता है और किसी और पार्टी से प्रमुख चुना जाता है, तो ईयू चुनावों का कोई फायदा नहीं. वहीं, युंकर की नियुक्ति का फैसला काफी हद तक ईयू सदस्य देशों की इच्छा और उनकी मांगों के बीच समझौते से तय होगा. फिलहाल यह बहस ईयू के लोकतांत्रिक ढांचे में अड़ंगा बनती दिख रही है.

एमजी/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें