संसद के मॉनसून अधिवेशन में बुधवार को पहली बार डिबेट हुई. एक तरफ आरोपों पर सोनिया गांधी की नाराजगी दिखी, तो दूसरी ओर ललित मोदी मामले पर सुषमा स्वराज का गुस्सा. ट्विटर पर लोगों की चर्चा जारी.
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कॉरपोरेट जगत की भारी आलोचना के बाद कांग्रेस को संसद में सुषमा स्वराज के इस्तीफे के बिना बहस के लिए तैयार तो होना पड़ा लेकिन आरोपों प्रत्यारोपों के बीच हुई बहस में एक बीजेपी सांसद की टिप्पणी पर नाराज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विरोध जताने के लिए वेल में पहुंच गईं. ऐसा पहली बार हुआ है जब सोनिया गांधी लोक सभा में इतनी नाराज नजर आईं. अलीगढ़ के बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने कहा कि सोनिया की बहन ललित मोदी से मिली हैं.
वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनमें संसद का सामना करने की हिम्मत नहीं है और इसीलिए वे ललित मोदी प्रकरण पर स्थगन प्रस्ताव पर न तो चर्चा के दौरान सदन में मौजूद हैं और न ही इस पर कुछ बोलने को तैयार हैं. राहुल गांधी ने मोदी पर चुटकी लेते हुए कहा कि बापू के तीन बंदरों का बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो और बुरा मत बोलो वाला चरित्र मोदी के शासनकाल में सच मत देखो, सच मत सुनो और सच मत बोलो का हो गया है.
ललित मोदी कांड में आरोपों का जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने भी काफी तीखे अंदाज में कहा कि उनकी बेटी को ललित मोदी मामले में एक रुपया भी नहीं मिला है. स्वराज ने कहा कि ग्यारह वकीलों की टीम में उनकी बेटी का नाम नौवें स्थान पर है और एक जूनियर वकील होने के नाते उसे कुछ भी नहीं दिया गया था. उन्होंने क्वात्रोची मामले को भी एक बार फिर उठाया और कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस का इतिहास पढ़ना चाहिए.
ट्विटर पर चर्चा
एक ओर संसद में सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टियों के बीच लगातार बढ़ता वाक्युद्ध, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थकों के बीच बहस. ट्विटर पर हर दिन कांग्रेस और बीजेपी समर्थक नए नए हैशटैग लाते हैं, जो समर्थकों की टिप्पणियों के बाद ट्रेंड करने लगता है. कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने लिखा है कि सुषमा स्वराज ने बीजेपी के लिए एक शर्मनाक पिटारा खोल दिया है. उन्होंने डाओ केमिकल्स से भी पैसे लिए, अभी ऐसे और भी खुलासे होने बाकी हैं.
एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि सुषमा स्वराज ने जिस तरह से गांधी परिवार पर हमला किया है, उससे पता चलता है कि मोदी सरकार अटल सरकार नहीं है, आगे दिलचस्प दिन आने वाले हैं.
सुषमा स्वराज की स्पीच पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है. एक ट्विटर यूजर ने स्वराज की तारीफ करते हुए लिखा है कि उनकी स्पीच कांग्रेस की धज्जियां उड़ाती है. तो एक अन्य यूजर ने लिखा है कि खुद पर लगे इल्जामों से ध्यान हटाने के लिए वे 80 के दशक के मुद्दे उठा रही हैं.
इसी तरह एक और ट्वीट कहता है कि सुषमा स्वराज का रवैया यह है कि क्या हुआ अगर मैंने कुछ किया तो, तुम्हारे मंत्रियों ने भी तो यही किया है. अभिजीत भंडारकर ने स्वराज की प्रशंसा में कहा है कि वे सिर से पैर तक गांधी परिवार का नकाब उतार रही हैं और उनके अतीत का पर्दाफाश कर रही हैं.
भारतीय राजनीति के प्रमुख खिलाड़ी
भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार लोक सभा में बहुमत के बावजूद संसद में अपने कानूनों को पास करवाने में मुश्किल झेल रही है. विपक्ष को राजी करवाने में विफलता ने बीजेपी सरकार की प्रतिष्ठा और प्रधानमंत्री के रुतबे को कम किया है.
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नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की मुख्य चुनौती चुनाव में किए गए अपने वादों को पूरा करना है. वे देश को विकास के रास्ते पर लाने के लिए अपनी नीतियों के लिए संसद की मंजूरी चाहते हैं.
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सोनिया गांधी
संसद में बीजेपी को पर्याप्त बहुमत नहीं है. लोक सभा में उसे बहुमत पाने में कामयाबी मिली लेकिन प्रातों में मजबूत नहीं होने के कारण राज्य सभा में कांग्रेस अभी भी उसे रोक सकने की हालत में है.
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राहुल गांधी
कांग्रेस पार्टी अपनी इसी शक्ति का इस्तेमाल राज्य सभा में विधेयकों को रोकने में कर रही है. लोक सभा में सिर्फ 44 सांसदों वाली कांग्रेस बाधा डालने की रणनीति अपना रही है. बीजेपी भी पहले ऐसा कर चुकी है.
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सुषमा स्वराज
विदेश मंत्री भ्रष्टाचार कांडों में देश से भागे क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी के लिए ब्रिटेन की सरकार को पत्र लिखकर फंस गई हैं. कांग्रेस संसद को चलने देने के लिए उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ी है.
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अरुण जेटली
प्रधानमंत्री के विपरीत केंद्रीय वित्त मंत्री दिल्ली के हैं और सत्ता प्रतिष्ठान को जानते हैं. राज्य सभा के नेता होने के नाते वे सरकार और विपक्ष के बीच सुलह में अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन अब तक नाकाम रहे हैं.
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मुलायम सिंह यादव
समाजवादी पार्टी के नेता उत्तर प्रदेश में बीजेपी का विरोध कर सत्ता में आए हैं लेकिन केंद्र की सरकार की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते. उन्होंने सदन में चर्चा का पक्ष लिया है और मोदी की तारीफ पाई है.
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ममता बनर्जी
कम्युनिस्टों को कमजोर करने के बाद बंगाल के मुख्यमंत्री की चुनौती बीजेपी है जो प्रदेश में अपना आधार बढ़ाने में लगी है. केंद्र सरकार ने वित्तीय घोटाले में उसके सांसदों और विधायकों पर नकेल कस रखी है.
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जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में काफी समय जेल में रही हैं. हाईकोर्ट से राहत पाकर वे फिर से सत्ता में अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं. केंद्र सरकार से वे कोई पंगा लेने की हालत में नहीं हैं.
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लालू यादव
मुख्यमंत्री के रूप में आरजेडी नेता ने बीजेपी के धार्मिक अभियान को रोकने की हिम्मत दिखाई थी और अल्पसंख्यकों का भरोसा जीता था. बिहार चुनाव जीतने के लिए वे बीजेपी विरोध की अपनी छवि भुना रहे हैं.
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नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मोदी की हरेक बात का विरोध कर रहे हैं. बिहार में इस साल विधान सभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें उनकी कुर्सी और राजनीतिक भविष्य, तो प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.
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वेंकैया नायडू
संसदीय कार्य मंत्री की भूमिका संसद में सभी दलों के बीच सुलह कराने की होती है. लेकिन उन्होंने दबाव की नीति के तहत विपक्ष पर आरोपों की झड़ी लगाकर सुलह की संभावना को कम ही किया है.