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संसद में बर्लुस्कोनी की अग्निपरीक्षा

८ नवम्बर २०११

इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी मंगलवार को वित्तीय मामलों पर संसद में विश्वास मत का सामना करेंगे. उनकी पार्टी में ज्यादा बागी सामने आए तो सरकार डूब सकती है. ग्रीस के बाद इटली कर्ज संकट का अगला शिकार हो सकता है.

बर्लुस्कोनी पर इस्तीफा देने का दबाव हैतस्वीर: dapd

वैसे बर्लुस्कोनी ने इन खबरों का खंडन किया है कि वह तुरंत इस्तीफा देने वाले हैं. हालांकि उन्हें अपने मध्य-दक्षिणपंथी गठबंधन को एकजुट रखने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. लेकिन इटली की राजनीतिक अस्थिरता से यूरोप की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, जिसकी वजह से सोमवार को विश्व बाजार में स्थिति डांवाडोल रही.

बर्लुस्कोनी के विश्वासमत हारने की संभावना कम हुई हैं क्योंकि मध्य-वामपंथी विपक्ष शायद प्रधानमंत्री के कम होते समर्थन का मुद्दा न उठाते हुए 2010 के बजट को हरी झंडी दे देगा. हालांकि इसके बाद विपक्ष एक अहम अविश्वास मत की तैयारी कर रहा है जो कुछ दिनों के भीतर लाया जा सकता है.

ग्रीस के बाद इटली भी यूरो जोन के कर्ज संकट में घिर सकता हैतस्वीर: dapd

इटली के 10 साल के बॉन्ड्स पर सोमवार को मुनाफा 1997 के बाद सबसे ज्यादा ऊंचे स्तर 6.67 प्रतिशत पर पहुंच गया लेकिन देश के विशाल कर्ज को देखते हुए इस स्तर को बनाए नहीं रखा जा सकता और यह नियंत्रण से बाहर हो सकता है.

समर्थन का जुगाड़

इटली यूरो जोन में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसका संकट में घिरना साझा मुद्रा यूरो वाले 17 देशों के समूह यूरो जोन के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है जो पहले ही ग्रीस और आयरलैंड जैसे देशों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए इधर उधर से राहत पैकेजों का जुगाड़ कर रहा है.

कर्ज संकट को टालने के लिए तेजी से सुधारों का रास्ता अपनाने में बर्लुस्कोनी की नाकामी की वजह से खुद उनकी पार्टी में असंतोष को हवा मिली. हालांकि यह अभी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सत्ताधारी गठबंधन के कितने सांसद मतदान की सूरत में पाला बदल सकते हैं.

75 साल के बर्लुस्कोनी ने अपना सप्ताहांत पर्याप्त सांसदों का समर्थन जुटाने में बिताया ताकि संसद में विश्वास मत के दौरान शर्मिंदी न उठानी पड़े. एक बार वह विश्वास मत हार चुके हैं. अगर फिर ऐसे हालात का सामना करना पड़ा तो बर्लुस्कोनी को या तो तुरंत इस्तीफा देना होगा या फिर राष्ट्रपति उन्हें विश्वास हासिल करने के लिए कहेंगे.

इस्तीफे की अटकलें

सोमवार को बर्लुस्कोनी ने कहा कि वह अपने पद पर बने रहेंगे. हालांकि उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि उनके पास अब बहुमत नहीं बचा है. इन लोगों में गृह मंत्री रॉबर्तो मारोनी भी शामिल हैं. सोमवार की शाम बर्लुस्कोनी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, "हम अपना काम जारी रखेंगे. हमें संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि वामपंथियों को मिला कर बनने वाली एक बिना चुनी हुई सरकार लोकतंत्र के विपरीत होगी."

बर्लुस्कोनी को समर्थन जुटाने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ रही हैतस्वीर: dapd

यूरोपीय शेयर बाजारों में सोमवार को इन अटकलों के चलते खासा नुकसान हुआ कि इटली के प्रधानमंत्री इस्तीफा दे रहे हैं. लेकिन अगर वह इस्तीफा देते हैं तो इस बात को लेकर अनिश्चितत्ता पैदा होगी कि इटली अपने संकट से कैसे निपटेगा. बर्लुस्कोनी और उनकी सहयोगी नॉर्दन लीग ने कहा है कि अब इकलौता रास्ता समय से पहले चुनाव कराना है ताकि सुधारों को आगे बढ़ाया जा सके. बर्लुस्कोनी और लीग के नेता किसी भी तरह की राष्ट्रीय एकता वाली या टेक्नोक्रेट सरकार का विरोध कर रहे हैं जबकि बाजार इसकी पैरवी करने वालों में है.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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