गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने को लेकर पैदा हुए विवाद का असर संसद में भी नजर आ सकता है. कांग्रेस इस मसले पर संसद में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश करेगी.
विज्ञापन
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के अन्य सांसदों के साथ मिलकर सदन में स्थगन प्रस्ताव पेश कर सकते हैं और इस मामले पर बहस की मांग कर सकते हैं. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के लिये कानून और नियम-कायदों के विरूद्ध जा रही है. कांग्रेस इन दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
गोवा में कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं तो वहीं भाजपा के पास 13, फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी के पास 3-3 विधायक, 1 विधायक एनसीपी के पास और 3 स्वतंत्र विधायक है. वहीं मणिपुर में 60 सीटों वाली एसेंबली में कांग्रेस के खाते में 28 सीटें आईं हैं जबकि भाजपा ने 21 सीटें जीती हैं. बाकी सीटें छोटे दलों के खाते में गई हैं.
लेकिन मणिपुर और गोवा दोनों ही राज्यों में भाजपा ने सरकार बनाने को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है. भाजपा ने 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. भाजपा के इस कदम की निंदा करते हुए कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बड़ी पार्टी होने के नाते दोनों ही राज्यों में राज्यपाल द्वारा कांग्रेस को सरकार बनाने के लिये बुलाया जाना चाहिए था.
दुनिया की कुछ प्रमुख संसदें
जन प्रतिनिधि सभाओं का आजकल के शासन में अहम स्थान है. कहीं इन्हें लोकतंत्र के मंदिर कहा जाता है तो कहीं इनके अधिकार खतरे में हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
चीन
चीन की राष्ट्रीय पीपुल्स कांग्रेस दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कमजोर संसद है. इसके करीब 3000 सदस्य हैं. हर पांच साल पर इसका चुनाव होता है. एक सदन वाली चीनी संसद को कानून बनाने, सरकार की गतिविधियों की निगरानी और प्रमुख अधिकारियों के चुनाव का अधिकार है. लेकिन असल में सारे फैसले देश कम्युनिस्ट पार्टी लेती है, जिसका चीन में एकछत्र राज है.
तस्वीर: Reuters/J. Lee
जर्मनी
जर्मन संसद बुंडेसटाग की 598 सीटों में आधे का चुनाव देश भर में बंटे चुनाव क्षेत्रों में होता है जबकि बाकी को पार्टियों को मिले मतों के अनुपात में बांटा जाता है ताकि उनकी सीटें वोट के अनुपात में हों. संसद में प्रतिनिधित्व पाने के लिए वोटों की न्यूनतम सीमा 5 प्रतिशत है. सरकार के मुकाबले संसद की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld
ब्रिटेन
ब्रिटेन की संसद दो सदनों वाली है. हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस. 650 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव हर पांच साल पर होता है. संसद के दूसरे सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में 804 सदस्य हैं जो लॉर्ड टेम्पोरल और लॉर्ड स्पीरिचुअल में बंटे हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/PA Wire
अमेरिका
कांग्रेस के नाम से जानी जाने वाली अमेरिकी संसद के भी दो सदन हैं. उपरी सदन सीनेट के 100 सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल छह साल का होता है. हर राज्य से दो सदस्य चुने जाते हैं. निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के 435 सदस्यों का चुनाव दो साल पर होता है.
तस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla
फ्रांस
फ्रांस की संसद के दो सदनों का नाम सीनेट और नेशनल एसेंबली है. सीनेट की 348 और नेशनल एसेंबली की 577 सीटें हैं. फ्रांस में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रियों को नियुक्त करता है और उस पर कोई दबाव नहीं है कि ये अधिकारी संसद में बहुमत की पार्टी के हों. नेशनल एसेंबली अविश्वस प्रस्ताव पास कर सरकार को गिरा जरूर सकती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Kovarik
भारत
ब्रिटेन की गुलामी में रहे भारत की संसद भी ब्रिटेन की संसद के नमूने पर बनी है, लेकिन यहां सम्राट के बदले राष्ट्रपति राज्य प्रमुख हैं. निचले सदन लोक सभा के 542 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए सीधे निर्वाचन से होता है, जबकि उपरी सदन राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभाओं के द्वारा छह साल के लिए होता है.
तस्वीर: AP
पाकिस्तान
दो सदनों वाली पाकिस्तान संसद में ऊपरी सदन का नाम सीनेट और निचले सदन क नाम नेशनल एसेंबली है. नेशनल एसेंबली के 342 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए वयस्क मतदान के आधार पर होता है. 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित हैं. सीनेट के सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
बांग्लादेश
बांग्लादेश की संसद का नाम जातीयो संसद है. 350 सदस्यों वाली संसद का कार्यकाल 5 वर्षों का है और 50 सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं, जिनकी नियुक्ति पार्टी द्वारा जीती गई सीटों पर होती है. बांग्लादेश में संसद में बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है और संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है.
नेपाल की वर्तमान संसद देश की दूसरी संविधान सभा है. देश के 2015 के संविधान के अनुसार नेपाली संसद के दो सदन हैं, निचला सदन प्रतिनिधि सभा है जिसके 275 सदस्यों का चुनाव सीधे मतदान से होता है. ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा के 59 सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Mathema
कनाडा
उत्तरी अमेरिका में बसे कनाडा की संसद के भी दो सदन हैं. निचले सदन के 338 सदस्य चुनाव क्षेत्रों में सीधे मतदान से चुने जाते हैं. उपरी सदन सीनेट के 105 सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर देश के गवर्नर जनरल एक एक को बुलाकर करते हैं. संसदीय कार्रवाई लगभग ब्रिटेन जैसी है.
तस्वीर: dapd
रूस
रूस की 616 सदस्यों वाली संसद के दो सदन हैं. निचले सदन का नाम स्टेट डूमा है और उसके 450 सदस्यों में आधा निर्वाचन क्षेत्रों से चुना जाता है और आधा पार्टी को मिले वोटों के आधार पर. संसद के ऊपरी सदन संघीय परिषद के लिए रूस की सभी 85 संघीय इकाईयां दो दो सदस्य भेजती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Kolesnikova
तुर्की
तुर्की की संसद का नाम 'ग्रैंड नेशनल एसेंबली ऑफ टर्की' है, लेकिन उसे मजलिस के नाम से पुकारा जाता है. 550 सदस्यों वाली संसद का चुनाव पार्टी सूची के आधार पर आनुपातिक पद्धति से होता है. संसद में पहुंचने के लिए पार्टियों को कम से कम 10 प्रतिशत मत पाना जरूरी है. संविधान में संशोधन के जरिये संसद के अधिकारों में भारी कटौती का प्रस्ताव है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/dpa/B. Ozbilici
यूरोपीय संसद
751 सदस्यों वाली यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ की सीधे निर्वाचित संस्था है. यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ की परिषद के साथ मिलकर वह यूरोपीय संघ की विधायिका वाली जिम्मेदारी को पूरा करती है. भारत के बाद यह दूसरी सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक मतदाताओं की प्रतिनिधि सभा है.
गोवा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस पहले ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी है. अब कांग्रेस पार्टी मणिपुर में भी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है.
सु्प्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की शिकायत पर सुनवाई करते हुए कहा, "यदि आपके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या थी तो आपको समर्थन करने वाले विधायकों का हलफनामा पेश करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. न्यायालय ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना विधायकों की संख्या से जुड़ा हुआ है. आपने राज्यपाल के समक्ष या अपनी याचिका में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि आपके पास जरूरी समर्थन है." इस मामले में अदालत ने गोवा में राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री नियुक्त किये गये मनोहर पर्रिकर को 16 मार्च को एसेंबली में विश्वास मत हासिल करने का आदेश दिया है.