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संसद से जीत कर निकला एफडीआई

७ दिसम्बर २०१२

मायावती का हाथी और मुलायम की साइकिल सरकार को मंझधार से पार निकालने की सटीक सवारियां साबित हुईं. राज्यसभा में एफडीआई जीत के साथ ही दबाव झेल रही सरकार को विदेशी रिटेल स्टोरों के लिए दरवाजे खोलने की आसानी हो गई.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

हालांकि राज्यसभा में वोटिंग पर जीत सिर्फ सांकेतिक थी और इसका सरकार के रहने या जाने से कोई लेना देना नहीं था. लेकिन यहां मिली जीत से सरकार के मजबूत होने के आसार बढ़े हैं क्योंकि राज्यसभा में उसके पास जरूरी नंबर नहीं थे. अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि इन कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और यहां निवेश के अवसर बढ़ेंगे.

तस्वीर: AP

सरकार को बुधवार को ही लोकसभा में हुई वोटिंग में जीत मिल चुकी है. इसके बाद वालमार्ट और टेस्को जैसी कंपनियां भारत में दुकानें खोल सकेंगी. भारत में करीब 450 अरब डॉलर का खुदरा बाजार है. हालांकि दोनों सदनों में वोटिंग के नतीजे सिर्फ सांकेतिक थे लेकिन यहां हार होने पर सरकार के लिए शर्मिंदगी बढ़ती. मुंबई के अर्थशास्त्री सुगाता भट्टाचार्य का कहना है, "कुल मिला कर यह एक अच्छा नतीजा रहा. किसी और बात से ज्यादा मुझे लगता है कि इससे आर्थिक बदलाव के लिए राजनीति इच्छाशक्ति दिखाने का मौका पैदा हुआ है."

मनमोहन सिंह सरकार को एक बार फिर बाहर से समर्थन का सहारा लेना पड़ा और बहुजन समाज पार्टी और समजवादी पार्टी ने इस मामले में सरकार का समर्थन दिया. मायावती की बीएसपी ने जहां खुल कर वोटिंग में सरकार का साथ दिया, वहीं मुलायम सिंह यादव की पार्टी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और बहिष्कार किया.

तस्वीर: UNI

सरकार को कुछ ही दिनों में आम चुनाव का सामना करना है और एफडीआई के मुद्दे पर जीत से उसकी स्थिति बेहतर साबित हो सकती है. हालांकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इससे भारत के घरेलू बाजार पर बुरा असर पड़ेगा. अब सरकार के पास 10 दिन का समय बचा है, जिसमें उसे इससे जुड़ा कानून पास कराने की चुनौती होगी.

शुक्रवार को राज्यसभा की वोटिंग में सरकार के पक्ष में 123 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 109 मत. बहस के दौरान तीखे आरोपों के बीच हंसी के पल भी आए. राजनीतिक विश्लेषक अमूल्या गांगुली का कहना है, "क्षेत्रीय पार्टियों ने कांग्रेस पार्टी को रिटेल के मामले में समर्थन दिया और हमें लगता है कि वे आगे भी ऐसा ही जारी रखेंगी क्योंकि वे बीजेपी को किसी तरह का फायदा नहीं पहुंचाना चाहती हैं."

भारत की अर्थव्यवस्था हाल के सालों में सबसे धीमी गति से बढ़ती दिख रही है. इस साल इसका विकास पांच फीसदी के आस पास ही आंका जा रहा है.

एजेए/एनआर (पीटीआई, रॉयटर्स)

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