2019 में सात महीनों के भीतर इंसान ने प्राकृतिक संसाधनों का साल भर का कोटा फूंक दिया है. इंसानी खपत ने वन, मिट्टी और पानी के संतुलन को बिगाड़ दिया है.
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कैलिफोर्निया में जारी की गई ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क की रिपोर्ट कहती है, "इस बार अर्थ ओवरशूट डे 29 जुलाई को पड़ा है, इसका मतलब है कि मानवता ने हमारे ग्रह के प्राकृतिक साधनों का इस्तेमाल 1.75 गुना तेजी से किया है, यह रफ्तार इकोसिस्टम के प्राकृतिक रूप से पुर्नजीवित होने की दर से तेज है." दूसरे शब्दों में कहें तो इंसान इस साल इतने पेड़ों और जीवों का सफाया कर चुका है, जितने प्राकृतिक रूप से पैदा ही नहीं होते. यह प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का सबूत है.
अर्थ ओवरशूट डे, उस दिन को कहा जाता है, जिस दिन इंसान साल भर के प्राकृतिक संसाधनों का कोटा खत्म कर लेता है. सन 1986 से लेकर अब तक हर साल अर्थ ओवरशूट डे का एलान किया जाता है. दुनिया भर में पर्यावरण पर नजर रखने वाली संस्थाओं की रिपोर्टों के जरिए ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क अर्थ ओवरशूट डे का एलान करता है.
सन 1986 से 1999 के बीच अर्थ ओवरशूट डे आम तौर पर अक्टूबर या उसके बाद पड़ता था. लेकिन बीते 20 सालों से यह दिन लगातार और पहले पड़ने लगा है. सन 1993 में अर्थ ओवरशूट डे 21 अक्टूबर को पड़ा. वहीं 2003 में 22 सितंबर को अर्थ ओवरशूट डे घोषित हुआ. सन 2017 में ऐसा मंजर दो अगस्त को सामने आ गया.
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के मुताबिक, "प्राकृतिक संसाधनों के अथाह दोहन के सबूत घटते जंगलों, बढ़ते भूक्षरण, जैवविविधता के नुकसान और वातावरण में बढ़ती कार्बन डाय ऑक्साइड के रूप में देखे जा रहे हैं." धरती पर मौजूद इंसान की आबादी जुलाई 2019 तक 7.7 अरब पहुंच चुकी है. इस आबादी को ऊर्जा और ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने में सबसे ज्यादा सीओटू का उत्सर्जन हो रहा है.
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के संस्थापक मैथिस वैकेरनैगेल कहते हैं, "हमारे पास सिर्फ एक ही पृथ्वी है- इंसान का अस्तित्व यही तय करती है. घातक नतीजों के बिना हम 1.75 गुना पृथ्वी जितने संसाधन इस्तेमाल नहीं कर सकते."
ऊर्जा की लगातार बढ़ रही जरूरत पूरा करने के लिए जितना ज्यादा अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल हो अच्छा है. हमारे आसपास मौजूद पेड़ पौधे ऐसे में बड़े काम के हैं. जानिए ऐसे पेड़-पौधों के बारे में.
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बहुगुणी सूरजमुखी
प्रकृति में अक्षय ऊर्जा के कई स्रोत मौजूद हैं. पेड़ पौधों के शौकीन लोग सूरजमुखी को सुंदरता और तेल के लिए जानते हैं, औद्योगिक स्तर पर इसका इस्तेमाल खाद्य तेल, ल्यूब्रिकेंट और बायोडीजल बनाने में होता है. जर्मनी में चार लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में सूरजमुखी की खेती होती है.
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पुराना स्रोत
जंगलों से मिलने वाली लकड़ी का इस्तेमाल मनुष्य ऊर्जा के लिए हमेशा से कर रहा है. जर्मनी में बन रही नई इमारतों में से 15 प्रतिशत लकड़ी से बनाई जाती हैं.
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कच्चे माल से ऊष्मा
पिछले एक दशक में लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल स्टोव जलाने के लिए बढ़ा है. तेल बचाकर लकड़ी से आग जलाना एक अच्छा विकल्प है.
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स्टीम इंजन का रहस्य
रेपसीड यानी सफेद सरसों का इस्तेमाल मनुष्य सदियों से कर रहा है. मध्यकाल से ही यह दीया जलाने के लिए तेल का भी स्रोत है. 19वीं सदी में रेपसीड के तेल का इस्तेमाल इंजन में चिकनाई पैदा करने वाले ल्यूब्रिकेंट के रूप में हुआ.
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बायोगैस के नुकसान
बायोगैस प्लांट के लिए बड़े पैमाने पर मक्के और सरसों की पैदावार बढ़ाई जा रही है. लेकिन खेती के लिए जर्मनी के कई इलाकों का नक्शा ही बदल गया है, इससे कई जंगली पौधों और जानवरों के आवास पर भी असर पड़ा है.
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मक्का एक काम अनेक
मक्का दुनिया भर में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है. इसकी पैदावार सिर्फ अक्षय ऊर्जा के मकसद से नहीं, बल्कि पशुओं और इंसानों के आहार कि लिए भी होती है. मक्के से गोंद और चिपकाने के दूसरे पदार्थ बनाए जाते हैं.
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पौधे से प्लास्टिक
मक्के, आलू और गन्ने के पौधों से प्लास्टिक बनाई जाती है. इन दिनों कई उत्पाद बायोप्लास्टिक से तैयार हो रहे हैं, जैसे थैलियां, डेयरी उत्पादों के डब्बे और रेजर जैसी सामग्री. पर्यावरण संरक्षक बायोप्लास्टिक के इस्तेमाल का समर्थन करते हैं.
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बिस्कुट भी, बायोडीजल भी
ताड़ के फल से निकाला गया तेल खाना पकाने में इस्तेमाल होता है. पिज्जा से लेकर बिस्कुट तक यह तेल तरह तरह के खानों में इस्तेमाल होता है. इस तेल का इस्तेमाल साबुन, डिटर्जेंट और मोमबत्ती बनाने में भी होता है. इससे बायोडीजल भी तैयार होता है.
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वर्षावनों की जगह लेते ताड़
ताड़ के पेड़ों के विस्तार से नुकसान भी हो रहा है. गर्मी और नमी वाले वातावरण में पैदा होने वाले ताड़ के लिए वर्षावनों का माहौल उपयुक्त है. पिछले कुछ सालों में मलेशिया और इंडोनेशिया में वर्षावनों को काट कर इन्हें उगाया जा रहा है. इससे वर्षावनों में रह रहे जीवों के लिए दिक्कत पैदा हो रही है.
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भांग बुनाई के लिए
भांग का इस्तेमाल नशे के लिए होता आया है, लेकिन इसके कई औद्योगिक फायदे भी हैं. फ्रांस में इसके रेशे से खास तरह का कागज और कपड़े भी तैयार किए जा रहे हैं.
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ताकि गर्मी बनी रहे
भांग के रेशों का इस्तेमाल ऊष्मारोधी कवच बनाने में भी किया जाता है. ये ठंडक को रोकते हैं लेकिन नमी से इनका बैर है. इसलिए इनका इस्तेमाल घरों की दीवारों और छतों को गर्म रखने के लिए घरों के अंदर परत लगाकर होता है. गर्मियों में इसकी मदद से घर ठंडा रहता है.