रिश्तों में आई दरार को पाटने के लिए पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब के दौरे पर हैं. लेकिन दोनों देशों के समीकरण जिस तरह उलझे हैं, उन्हें सुलझाना आसान काम नहीं है.
विज्ञापन
पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने सोमवार को रियाद में वरिष्ठ सऊदी अधिकारियों से मुलाकात की और दोतरफा रिश्तों में आए तनाव को दूर करने की कोशिश की. कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान से सऊदी अरब बेहद नाराज है. कुरैशी ने कहा कि अगर कश्मीर पर सऊदी अरब साथ नहीं दे रहा है तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को दूसरे मुस्लिम देशों की बैठक बुलानी चाहिए.
हालांकि पाकिस्तानी सेना का कहना है कि बाजवा के दौरे का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना है, लेकिन इस वक्त दोतरफा तनाव को दूर करना सबसे अहम हो गया है. पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि बाजवा स्थिति को संभालने की कोशिश करेंगे.
सऊदी अरब पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी रहा है. दो साल पहले जब इमरान खान ने सत्ता संभाली तो पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए सऊदी अरब छह अरब डॉलर की मदद देने को सहमत हुआ. इसमें से तीन अरब की रकम सीधे पाकिस्तान के खाते में आई जबकि बाकी पैसा उधार पर तेल के लिए था. माना जाता है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने ही इस मदद को संभव बनाया था.
ये भी पढ़िए: दुनिया के नए नवेले राजा
दुनिया के नए नवेले राजा
दुनिया में 40 से भी ज्यादा देश हैं जहां राजशाही चलती है. ब्रिटेन में तो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 68 साल से गद्दी पर बैठी हैं. लेकिन कई देशों में हाल के सालों में राजा बदले हैं. डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
तस्वीर: E. Pickles/Fairfax Media/Getty Images
01. ओमान
अरब देश ओमान में हायथाम बिन तारिक अल सैद ने 11 जनवरी 2020 तो सुल्तान की गद्दी संभाली. उन्होंने कबूस बिन सैद की जगह ली है जिनका 10 जनवरी 2020 को निधन हो गया. वह लगभग 50 साल तक ओमान के सुल्तान रहे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
02. मलेशिया
यांग दी पेरतुआन आगोंग मलेशिया के मौजूदा राजा हैं. उन्होंने 31 जनवरी 2019 को अपना पदभार संभाला है. मलेशिया में लोकतांत्रिक राजशाही है जहां राजा का चुनाव होता है. दुनिया में कुछ ही देश है जहां एक प्रक्रिया के तहत राजा को चुना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Hadziq
03. जापान
नारुहीतो जापान के नए सम्राट हैं. उनके पिता सम्राट अकीहीतो ने तीस साल गद्दी पर रहने के बाद स्वास्थ्य कारणों से 2019 में पद छोड़ने का फैसला किया. नारुहीतो सम्राट अकीहीतो के सबसे बड़े बेटे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Hoshiko
04. थाईलैंड
थाईलैंड में 70 साल तक राजगद्दी पर रहने वाले भूमिबोल अदुल्यादेज का जब 2016 में निधन हुआ तो उनके बेटे महा वाजिरालोंगकोर्न को उनका उत्तराधिकारी चुना गया. शुरू में कयास लगा रहे थे कि क्या अदुल्यादेज की बेटी को राजगद्दी सौंपी जाएगी क्योंकि जनता में उन्हें ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त है.
तस्वीर: Getty Images/P. Changchai
05. सऊदी अरब
साल 2015 में सऊदी अरब की बागडोर शाह सलमान के हाथों में आई जिन्होंने शाह अब्दुल्ला की जगह ली. शाह अब्दुल्ला का शासनकाल एक अगस्त 2005 से उनके निधन यानी 23 जनवरी 2015 तक चला. शाह अब्दुल्ला ने 90 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा. मौजूद शाह सलमान अभी 84 साल के हैं.
तस्वीर: AFP/Saudi Royal Palace/B. al-Jaloud
06. स्पेन
फिलिप पंचम स्पेन के मौजूदा राजा हैं जिन्होंने 19 जून 2014 को राजगद्दी संभाली. उन्होंने अपने पिता खुआन कार्सोल प्रथम का स्थान लिया, जो 39 साल तक स्पेन के राजा रहे. स्पेन के संविधान के मुताबिक राजा ही राष्ट्र प्रमुख और सशस्त्र बलों का कमांडर इन चीफ होता है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/A. Andrews
07. बेल्जियम
यूरोप के जिन देशों में राजशाही है बेल्जियम भी उनमें से एक है. अभी फिलिप बेल्जियम के राजा हैं जिन्होंने 21 जुलाई 2013 को गद्दी संभाली थी. इससे पहले उनके पिता एल्बर्ट द्वितीय लगभग बीस साल तक बेल्जियम के राजा रहे. स्वास्थ्य कारणों ने उन्होंने अपनी गद्दी छोड़ने का फैसला किया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Belga/D. Waem
08. नीदरलैंड्स
बेल्जियम के पड़ोसी नीदरलैंड्स में भी 2013 में नए राजा के तौर पर विलेम एलेक्जांडर ने राजगद्दी संभाली. उन्होंने अपनी मां महारानी बेआट्रिक्स का स्थान लिया, जिन्होंने 33 साल तक राज किया. इतिहास के छात्र रहे विलेम एलेक्जांडर ने इससे पहले नीदरलैंड्स रॉयल नेवी में भी अपनी सेवाएं दी हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. van Katwijk
09. कतर
शेख तमीम बिन हमद अली थानी कतर के मौजूदा अमीर हैं जिन्होंने 25 जून 2013 को शासन की बागडोर संभाली. अमीर बनने से पहले वह कतर में कई पदों पर रह चुके हैं और देश में खेल गतिविधियों को बढ़ाने के लिए काम करते रहे हैं. 39 साल के तमीम दुनिया के सबसे युवा राजाओं में से एक हैं.
तस्वीर: Getty Images/S. Gallup
10. किंगडम ऑफ टोंगा
प्रशांत महासागर में 169 द्वीपों को मिला कर बने देश किंगडॉम ऑफ टोंगा में संवैधानिक राजशाही है और फिलहाल एहोइतु टोपू षष्ठम वहां के राजा हैं. इससे पहले उनके बड़े भाई टोपू पंचम लगभग छह साल तक गद्दी पर रहे.
तस्वीर: E. Pickles/Fairfax Media/Getty Images
10 तस्वीरें1 | 10
क्या चाहता है सऊदी अरब
आलोचकों का मानना है कि सऊदी अरब के बारे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की नीतियां डांवाडोल रही हैं. कभी उन्होंने सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता करने की बातें कीं, तो कभी तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर सऊदी अरब को चुनौती देने की कोशिश की. ताजा तल्खी पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस बयान से पैदा हुई जिसमें उन्होंने कश्मीर समस्या को लेकर सऊदी अरब पर निशाना साधा.
सवाल यह है कि पाकिस्तान से आखिर सऊदी अरब क्या चाहता है? इस्लामाबाद की साइंस एंड टेक्नॉलोजी यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. बकारे नजमुद्दीन कहते हैं कि सऊदी अरब चाहता है कि पाकिस्तान साफ तौर पर ईरान विरोधी रुख अख्तियार करे. वह कहते हैं, "सऊदी अरब के मौजूदा नेतृत्व ने कई मामलों पर आक्रामक रवैया अपनाया है और वह जोर शोर से अपना असर बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसमें सबसे बड़ी रुकावट ईरान है. इसीलिए वह यकीनन चाहेगा कि ईरान के मुकाबले पाकिस्तान सऊदी अरब के साथ खड़ा हो. लेकिन पाकिस्तान के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल है."
डॉ. बकारे नजमुद्दीन कहते हैं कि आने वाले समय में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रहेगी. वह कहते हैं, "हमें सऊदी अरब से अब किसी भलाई की उम्मीद नहीं करनी चाहिए लेकिन संभव है कि सऊदी अरब पाकिस्तान के खिलाफ और कड़े कदम उठाए."
तटस्थता
इसी तरह, पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषक रिटायर्ड जनरल गुलाम मुस्तफा ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "सऊदी अरब की यह ख्वाहिश हो सकती है कि हम ईरान विरोधी नीतियां अपनाएं, लेकिन पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकता है. इराक-ईरान युद्ध के दौरान भी हमने अपनी नीति तटस्थ रखी थी और पाकिस्तान अब भी यही चाहेगा. वह अपनी तटस्थ नीति पर चलता रहेगा."
ये भी पढ़िए: सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/H. Ammar
अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Balkis Press
संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
तस्वीर: Reuters/Saudi Press Agency
सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Al-Ekhbariya
तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Jensen
सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
तस्वीर: Fotolia/eugenesergeev
सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/H. Ammar
तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Balkis Press
जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Y. Arhab
आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
तस्वीर: picture-alliance /ZUMAPRESS/P. Golovkin
ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/E. Vucci
युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.
दूसरी तरफ, पाकिस्तान के कुछ विश्लेषक यह भी कहते हैं कि स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी पेश की जा रही है. रक्षा विश्लेषक जनरल अमजद शोएब का मानना है कि वही लोग इस मुद्दे को उछाल रहे हैं जो शाह महमूद कुरैशी से खफा हैं कि विदेश मंत्रालय उनको क्यों मिल गया."
उनके मुताबिक, "मेरे ख्याल में हमें यह भी देखना चाहिए कि अगर सऊदी अरब ने हमें कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन नहीं दिया तो हमने भी तो यमन में फौज भेजने से इनकार किया था. हर देश के अपने हित होते हैं और इसी बात को ध्यान में रखकर वे नीतियां बनाते हैं."
बेहतरी की आस?
दूसरी तरफ, इस्लामाबाद की कायदे आजम यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग से जुड़े डॉ जफर नवाज जसपाल को उम्मीद है कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहतर होंगे. वह कहते हैं, "मैं नहीं समझता कि सऊदी अरब पाकिस्तान से ईरान विरोधी रुख अपनाने के लिए कह रहा है. पाकिस्तान ऐसा रुख अपना भी नहीं सकता क्योंकि ईरान भी चीन के करीब है और पाकिस्तान भी. दोनों देशों के रिश्ते वास्तविकताओं पर आधारित हैं और सऊदी अधिकारी जानते हैं कि पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते उनके हित में हैं."
लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने जिस तरह मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के बहाने सऊदी अरब को निशाना बनाया, उसे अनदेखा करना सऊदी अधिकारियों के लिए आसान नहीं. उन्होंने कह दिया कि सऊदी अरब साथ नहीं देता है, तो उसे छोड़िए और ओआईसी के जो मुस्लिम देश कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को उनकी बैठक बुलानी चाहिए. सऊदी अरब ने इसे एक चुनौती के तौर पर देखा. सऊदी अरब इस बात को कतई पसंद नहीं करेगा कि कोई ओआईसी में उसके नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश करे.
रिपोर्ट: अब्दुलसत्तार, इस्लामाबाद से (एएफपी इनपुट के साथ)