शक्तिशाली अरब देशों के बीच कई सालों में सामने आया यह सबसे बुरा विवाद है. एक देश के खिलाफ बाकियों की मिल कर की गयी यह कार्रवाई अपने आप में अनोखी है. कतर पर मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करने का आरोप लगा है, जो कि दुनिया का सबसे पुराना इस्लामी आंदोलन है. इसके अलावा दोहा पर अरब देशों के धुर विरोधी ईरान के एजेंडे का समर्थन करने का आरोप है.
कतर के साथ यातायात के रास्ते बंद करने की घोषणा करते हुए तीन खाड़ी देशों ने कतर के पर्यटकों और नागरिकों को अपने देशों से निकलने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाली सेना से भी कतर को निकाल दिया गया.
अबू धाबी से चलने वाली सरकारी एयरलाइंस इत्तिहाद एयरवेज ने अगले दिन से दोहा को जाने और वहां से आने वाली सभी उड़ानें स्थगित करने की घोषणा की है. सऊदी अरब का मानना है कि कतर आतंकी समूहों का समर्थन करता है और उनके आदर्शों का प्रचार करता है. माना जा रहा है कि उनका इशारा कतर के प्रभावशाली सरकारी चैनल अल जजीरा की ओर है. 2011 में अरब वसंत के दौरान भी कतर ने अपने मीडिया का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के समर्थन में आवाज ऊंची की थी.
इंटरनेट ने समाज को लोकतांत्रिक बनाने का काम किया है और ब्लॉगरों ने लोकतांत्रिक बहस को नई दिशा दी है. लेकिन आलोचना सरकारों को रास नहीं आ रही है और ब्लॉगरों को हर कहीं दमन का शिकार बनाया जा रहा है.
तस्वीर: DW/H. Kieselसउदी ब्लॉगर रइफ बदावी को इस्लाम के कथित अपमान के लिए सुनाई गई 1,000 कोड़ों की सजा जनता में शासन का डर बनाए रखने का एक क्रूर तरीका है. मई 2014 में सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए सउदी कोर्ट ने बदावी को हर हफ्ते सार्वजनिक रूप से 50 कोड़े मारे जाने के अलावा 10 साल की जेल की सजा भी सुनाई है.
तस्वीर: privatपहली बार जनवरी 2015 में बदावी को जेद्दाह में सार्वजनिक रूप से 50 कोड़े मारे गए. इसके विरोध में नीदरलैंड्स के द हेग में प्रदर्शन हुए. दुनिया भर में सजा का विरोध हुआ. अब इस सजा के खिलाफ किसी कोर्ट में अपील करना संभव नहीं है. अब केवल सउदी किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ही 31 साल के बदावी को क्षमादान दे सकते हैं.
तस्वीर: Beekman/AFP/Getty Imagesब्लॉगर रइफ बदावी 2012 से सउदी अरब में कैद हैं. उनकी वेबसाइट को बंद कर दिया गया है. बदावी पर धर्मनिरपेक्षता की तारीफ करने का आरोप है.
तस्वीर: Beekman/AFP/Getty Imagesबदावी की सजा के खिलाफ मॉन्ट्रियल में हुए प्रदर्शन में उनकी पत्नी इंसाफ हैदर ने भी भाग लिया. उन्होंने कोड़ों की सजा की तुलना मुस्लिम आतंकवादियों के हमलों से की.
तस्वीर: picture alliance/empicsबदावी अपने इंटरनेट पेज पर सउदी अरब में वहाबी इस्लाम का कड़ाई का पालन करवाने के लिए धार्मिक पुलिस की नियमित रूप से आलोचना करते थे. एमनेस्टी इंटरनेशनल सजा के खिलाफ अभियान चला रहा है.
तस्वीर: DW/A.-S. Philippiईरान के सोहैल अराबी को फेसबुक पर टिप्पणियों के लिए इमामों के अपमान का आरोप लगाकर सजा दी गई है. वे अभी भी जेल में हैं.
तस्वीर: Privatबांग्लादेश के रसेल परवेज ने भौतिकी की पढ़ाई कर देश में धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देने की कोशिश की. ईशनिंदा के आरोप में उन्हें जेल की सजा मिली.
तस्वीर: Sharat Choudhuryमिस्र के प्रमुख ब्लॉगर अला अब्देल फतह पिछले साल एक मुकदमे के दौरान अदालत के पिंजड़े में. उन पर देश के विरोध प्रदर्शन कानून को तोड़ने के लिए मुकदमा चलाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Ravy Shakerब्लॉगरों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा बर्ताव सिर्फ इस्लामी देशों में ही नहीं होता. पुतिन विरोधी अलेक्सी नवाल्नी को भी सरकार की ताकत का दंश झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Reuters/Tatyana Makeyeva 2013 में मिस्र में सेना के सत्ता अपने हाथ में ले लेने के बाद से वहां मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थक संकट में हैं. पूर्व सेना प्रमुख और अब देश के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के अलावा, सऊदी अरब और यूएई ने भी ब्रदरहुड को एक आतंकवादी संगठन के रूप में ब्लैकलिस्ट कर दिया है.
2014 में भी सऊदी अरब, बहरीन और यूएई के साथ करीब आठ महीने तक कतर का विवाद चला था. तब भी आतंकी गुटों का समर्थन करने के आरोप में इन देशों ने दोहा से अपने राजदूत वापस बुला लिए थे. लेकिन यात्रा के रास्ते बंद नहीं हुए थे और ना ही इन देशों से कतरी नागरिकों को वापस लौटाने का आदेश जारी हुआ था.
मध्यपूर्व के देशों में इस विवाद का पूरे इलाके पर असर होगा. खाड़ी देश अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर लीबिया, मिस्र, सीरिया, इराक और यमन में हिंसा और युद्ध की स्थिति को प्रभावित करते हैं. कतर में 2022 का फुटबॉल विश्व कप भी आयोजित होना है, इस घटना से उसकी अंतरराष्ट्रीय साख को भी नुकसान पहुंचेगा.
आरपी/एमजे (रॉयटर्स)
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तस्वीर: Getty Images/Courtesy Staley-Wise Gallery New York1938 में पेरिस में लॉन्गचैंप रेसकोर्स पर एक दिन. यहां शहर के रईस सिर्फ घुड़दौड़ देखने ही नहीं आते थे बल्कि खुद को दिखाने और अपने नए फैशन की नुमाइश करने भी आते थे. फैशन फोटोग्राफर रेगिना रेलांग ने इस तस्वीर में उस समय के फैशन को कैमरे में कैद कर दिया है.
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तस्वीर: Max Schelerअपने ब्लॉग रिच किड्स ऑफ इंस्टाग्राम में एरकोई 2012 से युवा करोड़पतियों की तस्वीर देते हैं जो अपनी तस्वीरें फोटो शेयरिंग पोर्टल पर खुद डालते हैं. वे इन तस्वीरों में सोने का फ्रेम डाल लेते हैं और इसके अलावा उस पर कोई टिप्पणी नहीं करते. तस्वीरों का टेक्स्ट धनी बच्चों ने खुद चुना है.
तस्वीर: venetosoberanesखुद अपनी नुमाइश के लिए एक और सोने का फ्रेम. इंटरनेट के युग में यह मुश्किल नहीं है. मोबाइल फोन की मदद से किसी भी समय कोई भी अपनी तस्वीर इंटरनेट पर डाल सकता है और हर कोई अपनी मर्जी से अपनी दौलत का प्रदर्शन कर सकता है.
तस्वीर: groverlightजनवरी 2014 में अमेरिकी टेलीविजन शो में कैलिफोर्निया के छह करोड़पति नौनिहालों के बारे में दिखाया गया. रिच किड्स ऑफ बेवर्ली हिल्स शो में इन नौजवानों को खर्च करते हुए दिखाया गया है. यह प्रोग्राम लोगों में बड़ा लोकप्रिय हुआ. 2015 अप्रैल में तीसरा एपीसोड भी दिखाया गया.
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तस्वीर: Anna Skladmannगहनों से लदा बच्चा. ये कोई अचानक ली गई तस्वीर नहीं है बल्कि एक नियोजित कैम्पेन का हिस्सा है. विज्ञापन फोटोग्राफर युर्गेन टेलर ने 2005 में लंदन के नीलामीगृह फिलिप्स डे पूरी कंपनी का कैटालॉग तैयार किया. इसके लिए उन्होंने किसी मॉडल की नहीं बल्कि अपने बेटे की तस्वीर ली.
तस्वीर: Juergen Teller, Courtesy Lehmann Maupin, New Yorkचीन का आर्थिक विकास खासकर अफ्रीका में दिखता है. वैश्वीकरण के दौर में बहुत सी चीनी कंपनियों ने अफ्रीका में काम शुरू किया है. पाओलो वुड्स ने चीन के विस्तार पर 2010 में फोटो दस्तावेज तैयार किया. उनकी तस्वीरें सामाजिक और आर्थिक अंतर दिखाती हैं.
तस्वीर: Paolo Woods/INSTITUTE