सऊदी अरब में महिला कार्यकर्ता को किस बात की सजा
२९ दिसम्बर २०२०महिला अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने वाली लुजैन अल हथलौल की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा है. 31 साल की हथलौल को मई 2018 में दर्जन भर दूसरी महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया. ये महिलाएं देश में ड्राइविंग और दूसरे महिला अधिकारों के लिए अभियान चला रही थीं. इन महिलाओं की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. ऐसे में इनकी गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विरोध हुआ.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनने के बाद हथलौल की आधी सजा को निलंबित करने का फैसला लिया गया. आंशिक रूप से सजा निलंबित होने के कारण उन्हें कुछ महीनों में रिहा कर दिए जाने की उम्मीद है. उनकी बहन ने ट्विटर पर लिखा है कि दो महीने में उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि यह निलंबन अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के अगले महीने पदभार संभालने को देखते हुए किया गया है. जो बाइडेन सऊदी अरब में मानवाधिकारों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की बात कह चुके हैं. बाइडेन का मानना है कि ट्रंप के शासन में मानवाधिकारों के मामले में सऊदी अरब को खुली छूट मिल गई.
आतंकवाद निरोधी अदालत ने हथलौल को हुई पांच साल आठ महीने की सजा में से दो साल 10 महीने की सजा निलंबित की है, अगर वो अगले तीन साल में "कोई अपराध नहीं करतीं." सरकार समर्थक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सब्क और दूसरे मीडिया संस्थानों को इस मुकदमे की सुनवाई देखने की अनुमति मिली थी. उन्होंने ही यह जानकारी दी है.
सरकार विरोधी संगठनों से सहयोग का आरोप
महिला अधिकार कार्यकर्ता को सऊदी सरकार के आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत आपराधिक करार दिए गए संगठनों के साथ सहयोग करने का दोषी माना गया. यह भी कहा गया कि ये संगठन देश में सत्ता परिवर्तन की मांग करते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालते हैं. हिरासत में ली गई एक और महिला कार्यकर्ता माया अल जाहरानी को भी इसी तरह के आरोपों में इतनी ही सजा सुनाई गई है. हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्हें कब रिहा किया जाएगा. अदालत ने हथलौल को सऊदी अरब से बाहर जाने पर पांच साल की रोक लगा दी है.
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने हथलौल को तुरंत रिहा करने की मांग की है. जर्मनी की मानवाधिकार आयुक्त बैर्बेल कोफलर ने भी यही मांग रखी है. जो बाइडेन के प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभालने जा रहे जेक सलिवन ने ट्वीट किया है, "सऊदी अरब का लुजैन अल हथलौल को सामान्य रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए सजा दिया जाना अनुचित और परेशान करने वाला है." इसके उलट ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया थोड़ी हल्की रही है. विदेश विभाग के उप प्रवक्ता केल पब्राहु ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका चिंतित है और हमें 2021 में उनकी संभावित जल्द रिहाई का इंतजार है.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन मानवाधिकार के मामलों में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नाकामियों पर दबाव बनाने की बात कह चुके हैं. माना जा रहा है कि पद संभालने के बाद वे अमेरिका -सऊदी अरब के दोहरे नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शाही परिवार के उन सदस्यों के रिहाई के लिए दबाव बनाएंगे जिन्हें बिना औपचारिक आरोपों के गिरफ्तार किया गया है.
दबाई जा रही है आलोचना की आवाज
रियाद की अपराध अलादत में सुनवाई के बाद पिछले महीने हथलौल का मामला विशेष अपराध अदालत या आतंकवाद निरोधी अदालत में सुनवाई के लिए लाया गया. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर आलोचना की आवाज दबाई जा रही है.
इसी महीने विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान ने कहा था कि हथलौल "अप्रिय" देशों के संपर्क में थीं और गुप्त सूचनाएं पहुंचा रही थीं. हालांकि हथलौल के परिवार का कहना है कि इन आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. कई महिला कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया लेकिन हथलौल और कुछ दूसरी महिलाएं को जेल में ही रखा गया.
सरकार समर्थक सऊदी मीडिया उन्हें "गद्दार" बताने में जुटा है. हथलौल के परिवार का कहना है कि उन्होंने हिरासत में यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का भी सामना किया है. सऊदी अदालत इन आरोपों से इनकार करती है.
महिला कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर सऊदी अरब की काफी आलोचना हुई है. 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी सरकार पहले ही आलोचनाएं झेल रही है.
एनआर/एके(एएफपी)
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