सऊदी अरब में रिफाइनरी पर हमले के बाद बढ़ीं तेल की कीमतें
१६ सितम्बर २०१९
वाशिंगटन ने कहा कि उपग्रह से प्राप्त तस्वीरें दिखाती हैं कि हमला यमन से नहीं किया गया था. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि रिफाइनरी में नुकसान दिखाता है कि हमला इराक और ईरान की तरफ से किया गया.
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सऊदी अरब की तेल रिफाइनरी पर ड्रोन हमले के बाद सोमवार को तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है. शुरूआत में तेल की कीमतें 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हालांकि बाद में कुछ कमी दर्ज की गई. एक बैरल (159 लीटर) कच्चे तेल की कीमत करीब 11 प्रतिशत बढ़कर 66.81 डॉलर तक पहुंच गई. मध्य जुलाई के बाद से यह अब तक की सबसे ऊंची कीमत है.तेल की एक और किस्म, वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट की कीमत 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 5.34 डॉलर बढ़ गई और एक बैरल की कीमत 60.19 डॉलर तक पहुंची.
शनिवार को सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत बुक्याक में आरामको कंपनी की दो रिफाइनरियों पर ड्रोन से हमला हुआ था. यमन के हूथी विद्रोहियों ने यह हमला करने का दावा किया लेकिन अमेरिका ने इसके लिए ईरान को दोषी ठहराया. अरामको के अनुसार, बुक्याक में दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है.
रिफाइनरी पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने घोषणा किया कि यदि जरूरत पड़ती है तो अमेरिका के पेट्रोलियम रिजर्व से तेल निकाला जा सकता है. इसके लिए उन्होंने अनुमति दे दी है. ट्रंप ने टि्वटर पर लिखा, "सऊदी अरब में हुए हमले के बाद तेल की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है. जरूरत पड़ने पर मैंने पेट्रोलियम रिजर्व से तेल निकालने की अनुमति दे दी है. यहां बाजार में आपूर्ति बनाए रखने के लिए यहां पर्याप्त मात्रा में तेल का भंडार है."
ट्रंप ने ट्वीट कर यह भी कहा कि अमेरिका पूरी तरह से तैयार है और सऊदी अरब के उस बयान का इंतजार कर रहा है कि सहयोगियों को इस हमले पर किस तरह से प्रतिक्रिया देना चाहिए.
अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ ही वॉशिंगटन ने तय किया था कि अफगानिस्तान में घुसकर अल कायदा और तालिबान को साफ कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. क्या है अफगान युद्ध का लेखा जोखा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Usyan
आम अफगान नागरिक
2009 से अगस्त 2019 तक 32,000 आम नागरिक मारे गए. 60,000 से ज्यादा घायल हुए. विस्थापितों की तादाद लाखों में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/J. Rezayee
अमेरिकी और गठबंधन सेना की क्षति
अफगान युद्ध में अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय सहयोग सेना (आईसैफ) के 3,459 सैनिक मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अफगान आर्मी लहूलुहान
2014 से अगस्त 2019 तक अफगान सेना के 45,000 जवान इस युद्ध में मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/O. Sobhani
अमेरिका का खर्च
अक्टूबर 2001 से मार्च 2019 तक अफगान युद्ध में अमेरिका ने 760 अरब डॉलर खर्च किए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/File/Lt. Col.. Leslie Pratt, US Air Force
तालिबान को कितना नुकसान
18 साल से जारी युद्ध में तालिबान के 31,000 से ज्यादा लड़ाके मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/T. Koene
बड़े निशाने
अफगान युद्ध में अमेरिका को अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने में सफलता मिली. बिन लादेन के अलावा तालिबान के कई बड़े कमांडर भी मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Ausaf
तालिबान अब भी मजबूत
अफगान सरकार और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अमेरिका की अगुवाई वाली गठबंधन सेनाओं के हमले में तालिबान से ज्यादा आम नागरिक मारे गए. ऐसे हमलों ने अमेरिका के प्रति नफरत और तालिबान के प्रति सहानुभूति पैदा करने का काम किया.
तस्वीर: picture-alliance/Getty Images/T. Watkins
इस्लामिक स्टेट का एंगल
अफगानिस्तान में अब इस्लामिक स्टेट भी सक्रिय है. देश के पूर्व में पाकिस्तान से सटी सीमा पर कुनार के जंगलों में इस्लामिक स्टेट की पकड़ मजबूत हो चुकी है. आईएस 2015 से वहां है. कहा जा रहा है कि तालिबान अगर कमजोर हुआ तो इस्लामिक स्टेट ताकतवर होगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Gul
अशांत भविष्य
युद्ध और गृह युद्ध में फंसे अफगानिस्तान का भविष्य डगमग ही दिखता है. देश में विदेशी ताकतों की छत्रछाया में सक्रिय रहने वाले कई धड़े हैं. इन धड़ों के बीच शांति की उम्मीदें कम ही हैं. भू-राजनीतिक स्थिति के चलते ये देश पाकिस्तान, भारत, चीन, रूस, अमेरिका और ईरान के लिए अहम बना रहता है.