24 जून से महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगी पाबंदी बंद हो जाएगी. इससे करीब तीन हफ्ते पहले सऊदी अरब ने दस महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए हैं.
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राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब को बदल रहे हैं. उनके द्वारा किए गए कई बदलावों में से एक बड़ा बदलाव है महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार देना. सऊदी अरब अब तक दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां महिलाओं के गाड़ी चलाने पर मनाही है. 24 जून से ऐसा नहीं रहेगा. फिलहाल दस महिलाओं को लाइसेंस दिए गए हैं. सऊदी सरकार के अनुसार अगले हफ्ते 2,000 और ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे. सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए के अनुसार, "यातायात महानिदेशालय ने आज महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति देने के लिए सऊदी अरब में मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस की जगह सऊदी लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है."
कई महिलाएं ब्रिटेन, कनाडा या लेबनान जैसे देशों में जा कर अपने लिए अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया करती थीं. इनमें से कुछ ने सोमवार को एक छोटा सा ड्राइविंग टेस्ट दिया, जिसके बाद इन्हें सऊदी अरब के नए लाइसेंस दिए गए. ड्राइविंग लाइसेंस पाने वाली पहली महिलाओं में से एक रेमा जवदात का कहना है, "सऊदी अरब में ड्राइव करने का मेरा सपना पूरा होने जा रहा है." उन्होंने आगे कहा, "मेरे लिए ड्राइविंग का मतलब है अपनी पसंद से कुछ करना, आजाद होना. अब हमारे पास विकल्प हैं."
जहां एक तरफ महिलाओं को उनके अधिकार मिल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों को कैद भी हो रही है. पिछले हफ्ते 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन सभी पर सऊदी अरब को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है. सरकार का कहना है कि आठ लोगों को अस्थाई रूप से छोड़ दिया गया है लेकिन उनकी जांच जारी है. बाकी के नौ लोगों में चार महिलाएं हैं. सरकारी एजेंसी के अनुसार इन लोगों ने अपने पर लगे आरोपों को स्वीकारा है कि वे देश के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं के साथ मिल कर काम कर रहे थे.
आईबी/ओएसजो (एएफपी, डीपीए)
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/H. Ammar
अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
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संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
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सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
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तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
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सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
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तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
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सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
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जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
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आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
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ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
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युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.