सऊदी अरब का कहना है कि उसने 100 अरब डॉलर के घपले और भ्रष्टाचार के मामलों में 201 लोगों को हिरासत में लिया है. सऊदी अरब के आधुनिक इतिहास में इसे प्रभावशाली लोगों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है.
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पिछले दिनों अपने पदों से हटाये गये या हिरासत में लिये गये लोगों में शाही परिवार के कई सदस्य, अरबपति कारोबारी और मंत्री शामिल हैं. जानकार इसे देश की सत्ता पर युवा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मजबूत होती पकड़ के तौर पर देखते हैं.
सऊदी सूचना मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल शेख सऊद अल मोजेब के हवाले से एक बयान में कहा, "अब तक कुल 208 लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.. इनमें से सात लोगों को बिना आरोपों के रिहा कर दिया गया है." सरकार ने हिरासत में लिये गये लोगों के बैंक खाते भी सील कर दिये हैं और साथ ही चेतावनी दी है कि कथित भ्रष्टाचार से जुड़ी उनकी संपत्तियां सरकारी संपत्ति के तौर पर जब्त कर ली जाएंगी.
मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ सकते हैं. पिछले तीन साल के दौरान चली जांच के आधार पर हमारा अनुमान है कि व्यवस्थित तरीके से पिछले कई दशकों में भ्रष्टाचार के जरिए कम के सम 100 अरब डॉलर की हेराफेरी की गयी है." हिरासत में लिये गये लोगों मे अरबपति कारोबारी और शाही परिवार के सदस्य प्रिंस अल-वलीद बिन तलाल भी शामिल हैं.
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
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अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
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संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
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सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
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तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
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सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
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तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
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सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
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जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
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आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
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ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
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युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद 81 वर्षीय सऊदी शाह सलमान के बेटे हैं और माना जाता है कि वही इस समय सऊदी अरब को चला रहे हैं क्योंकि सभी अहम फैसले उनकी मर्जी से हो रहे हैं. वह 2030 तक देश की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव लाकर तेल पर उसकी निर्भरता को कम से कम करना चाहते हैं. हालांकि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ हालिया कार्रवाई को कई जानकार सत्ता का खतरनाक खेल मानते हैं क्योंकि जिस तरह से क्राउन प्रिंस ने लगभग सारी शक्तियां अपने हाथ में ले ली हैं, उसकी मिसाल सऊदी अरब के हालिया इतिहास में शायद ही देखने को मिलती हो.
सऊदी अरब में यह उठापटक ऐसे समय में देखने को मिली है जब वह क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. यमन में जारी लड़ाई के मद्देनजर जहां ईरान से उसका तनाव लगातार बढ़ रहा है, वहीं कतर को अलग थलग करने का मामला भी अभी तक अनसुलझा है.