अपने कट्टर रुख में नरमी ला रहा सऊदी अरब अब भी अपराधियों को लेकर नरम नहीं पड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले चार महीने में करीब 48 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है. इनमें से अधिकतर मामले ड्रग्स से जुड़े थे.
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अमेरिका की मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी अरब को अपनी न्याय प्रणाली में सुधार लाने चाहिए. संस्था ने मौजूदा न्याय प्रणाली को अनुचित करार दिया है. संस्था के मुताबिक सऊदी अरब में पिछले चार महीने के दौरान 48 लोगों को मौत की सजा दी गई. इनमें से अधिकतर मामले के दोषी ड्रग्स अपराधों से जुड़े थे. मौत की सजा देने के मामले में सऊदी अरब दुनिया में काफी आगे है. यहां आतंकवाद, बलात्कार, हत्या, लूटपाट, ड्रग्स की तस्करी जैसे मामलों में अपराधी साबित होने पर मौत की सजा दिया जाना आम बात है.
इस्लामिक कानून को मानने वाले सऊदी अरब की न्याय प्रणाली के खिलाफ मानवाधिकार समूह हमेशा से आवाज उठाते आए हैं. लेकिन सरकार का दावा है कि मौत की सजा अपराधों को लेकर डर पैदा करती है. और, लोग ऐसा कुछ भी करने से हिचकते हैं. एचआरडब्ल्यू में मध्यपूर्व क्षेत्र की निदेशक सारा लेह व्हिटसन कहती हैं, "सऊदी अरब में इतने लोगों को मौत की सजा दे दी जाती है, तब भी जब वे किसी जघन्य अपराध में शामिल नहीं होते."
एचआरडब्ल्यू के मुताबिक सऊदी अरब में साल 2014 के बाद से अब तक लगभग 600 लोगों को मौत की सजा दी गई है. सजा पाने वालों में हर तीसरा व्यक्ति ड्रग्स मामलों में शामिल था.
पिछले साल करीब 150 लोगों को यहां मौत की सजा दी गई. इसमें दोषियों के सिर कलम करने के आदेश दिए गए. लेकिन अब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से कुछ उम्मीद नजर आती है. टाइम मैग्जीन को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि देश में मौत की सजा जैसे प्रावधानों को बदलने पर विचार किया जाएगा.
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
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अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
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संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
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सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
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तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
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सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
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तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
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सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
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जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
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आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
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ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
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युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.