सऊदी अरब में इन दिनों बदलाव की हवा चल रही है, लेकिन पिछले दिनों वहां महिलाओं के एक जिम को अधिकारियों ने बंद कर दिया. इसकी वजह जिम का एक प्रमोशनल वीडियो है जो काफी वायरल हुआ.
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इस वीडियो में एक महिला ने जिम में कसरत करने वाले तंग कपड़े पहने हुए हैं, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. इसके बाद सऊदी स्पोर्ट्स अथॉरिटी के प्रमुख तुर्की अल शेख ने जिम का लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया है. उन्होंने ट्वीट किया, "हम इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे."
शेख सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सलाहकार हैं. उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया है कि इस मामले की जांच की जाए और जो लोग भी इस वीडियो के पीछे हैं उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाए. आप भी यह वीडियो देखिए.
यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है लेकिन समाचार एजेंसी एएफपी इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाई है. वीडियो में खुले बालों वाली एक महिला को देखा जा सकता है जिसे जिम जैसी जगह पर पंचिंग बैग में किक मारते देखा जा सकता है. स्पोर्ट्स अथॉरिटी का कहना है कि वीडियो में ऐसे दृश्य हैं जो "सार्वजनिक नैतिक मूल्यों को भ्रष्ट" कर सकते हैं.
एक शाही अदालत के मीडिया सलाहकार सउद अल-काहतानी ने अथॉरिटी के कदम को बिल्कुल सही ठहराया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सऊदी अरब "नैतिक मूल्यों से भटके बिना" आधुनिकीकरण के रास्ते बढ़ रहा है.
महिलाओं को याद रहेगा साल 2017
गुलाबी हैट में लाखों की तादाद में मार्च करते प्रदर्शनकारी, शोषण करने वालों को "सूअर" कहती दुनिया की मशहूर हस्तियां और चिली से लेकर सऊदी अरब और भारत में महिलाओं के हक में बनते कानूनों से महिलाओं के लिए 2017 यादगार बन गया.
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गर्भपात
साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दुनिया भर में गर्भपात की वकालत करने वाली स्वास्थ्य संस्थाओं की आर्थिक मदद रोकने के लिए कदम बढ़ाया. ट्रंप ने रीगन के जमाने की नीति का विस्तार किया. अमेरिका में गर्भपात का विरोध दुनिया के बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा बड़ा था. मध्यपूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों ने भी इसमें ज्यादा तेजी दिखाई.
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बाल विवाह
मलावी, होंडुरास, त्रिनिदाद और टोबैगो, अल सल्वाडोर और ग्वाटेमाला ने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए या तो कानून बनाया या फिर कानून में संशोधन किया.
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बलात्कारियों से शादी
लेबनान, ट्यूनीशिया और जॉर्डन ने 2017 में उन कानूनों को खत्म कर दिया जिसमें बलात्कारियों को पीड़ित महिला से शादी करने पर सजा से छूट मिल जाती थी. सामाजिक कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अरब देश भी इस राह पर चलेंगे.
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नाबालिग से सेक्स, बलात्कार
भारत में बाल विवाह तो पहले से ही गैरकानूनी है, अब 15-18 साल की उम्र वाली पत्नी के साथ सेक्स को भी बलात्कार घोषित कर दिया गया है और इसके लिए भी वही सजा होगी.
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तीन तलाक
भारत में अल्पसंख्यक मुसलमान महिलाओं को एक बार में तीन बार तलाक कहकर विवाह तोड़ने की परंपरा पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. संसद में इस पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का बिल भी पेश कर दिया गया.
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गर्भपात का अधिकार
चिली ने कुछ परिस्थितियों में गर्भपात को कानूनी मंजूरी देने के लिए कदम उठाया. अब दुनिया में मुट्ठी भर देश ही ऐसे बचे हैं जहां गर्भपात पर पूरी तरह से मनाही है.
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ड्राइविंग
सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस देने का फैसला किया गया. इतना ही नहीं यहां नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अलग से वेबसाइट बनाई गई है. सऊदी अरब में महिलाओं को स्टेडियम जाकर मैच देखने का भी अधिकार मिला.
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सेक्सिज्म
जिस दिन अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली उस दिन लाखों की तादाद में महिलाओं ने गुलाबी पुसीहैट पहन कर प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन ट्रंप की महिलाओं के गुप्तांगों को लेकर की गई टीका टिप्पणी के विरोध में था जो एक पुराने वीडियो में दिखा था.
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पिंक प्रोटेस्ट
जिस दिन अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली उस दिन लाखों की तादाद में महिलाओं ने गुलाबी पुसीहैट पहन कर प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन महिलाओं के गुप्तांगों को लेकर की गई ट्रंप की टीका टिप्पणी के विरोध में था जो एक पुराने वीडियो में दिखा था.
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यौन शोषण
इसके कुछ महीनों बाद दुनिया की लाखों महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहारों की कहानियों को शेयर कर अहम पदों पर बैठे लोगों को शर्मसार हो कर इस्तीफा देने पर विवश कर दिया.
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बेहद रुढ़िवादी सऊदी समाज में महिलाओं को पूरा शरीर ढकने के लिए अबाया पहनना जरूरी है. साथ ही उन्हें अपने बाल भी ढंकने होते हैं. पिछले साल जुलाई में एक वीडियो में टॉप और मिनी स्कर्ट में दिखने वाली महिला से भी सऊदी अरब में पूछताछ की गई थी.
सऊदी अरब इन दिनों अपने कई आर्थिक और सामाजिक सुधारों को लेकर चर्चा में है. इसके तहत जून से महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति दी जा रही है. उन्हें पुरूषों के साथ स्टेडियम में बैठकर मैच देखने की इजाजत भी मिल गई है. सरकार खेलों में महिलाओं को बढ़ावा देने में भी जुटी है. लेकिन सऊदी अरब में महिलाएं अब भी अपने पुरूष सरपस्त से पूछे बिना पढ़ने, काम करने या यात्रा पर जाने जैसे अहम फैसले खुद नहीं कर सकती हैं. यह पुरूष सरपरस्त पिता, पति, भाई या फिर बेटा भी हो सकता है.
एके/एमजे (एएफपी)
इन हकों के लिए अब भी तरस रही हैं सऊदी महिलाएं
सऊदी अरब में लंबी जद्दोजहद के बाद महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार तो मिल गया है. लेकिन कई बुनियादी हकों के लिए वे अब भी जूझ रही हैं.
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पुरुषों के बगैर नहीं
सऊदी अरब में औरतें किसी मर्द के बगैर घर में भी नहीं रह सकती हैं. अगर घर के मर्द नहीं हैं तो गार्ड का होना जरूरी है. बाहर जाने के लिए घर के किसी मर्द का साथ होना जरूरी है, फिर चाहे डॉक्टर के यहां जाना हो या खरीदारी करने.
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फैशन और मेकअप
देश भर में महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए कपड़ों के तौर तरीकों के कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. बाहर निकलने वाले कपड़े तंग नहीं होने चाहिए. पूरा शरीर सिर से पांव तक ढका होना चाहिए, जिसके लिए बुर्के को उपयुक्त माना जाता है. हालांकि चेहरे को ढकने के नियम नहीं हैं लेकिन इसकी मांग उठती रहती है. महिलाओं को बहुत ज्यादा मेकअप होने पर भी टोका जाता है.
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मर्दों से संपर्क
ऐसी महिला और पुरुष का साथ होना जिनके बीच खून का संबंध नहीं है, अच्छा नहीं माना जाता. डेली टेलीग्राफ के मुताबिक सामाजिक स्थलों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार भी अलग अलग होते हैं. सामाजिक स्थलों जैसे पार्कों, समुद्र किनारे और यातायात के दौरान भी महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था होती है. अगर उन्हें अनुमति के बगैर साथ पाया गया तो भारी हर्जाना देना पड़ सकता है.
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रोजगार
सऊदी सरकार चाहती है कि महिलाएं कामकाजी बनें. कई सऊदी महिलाएं रिटेल सेक्टर के अलावा ट्रैफिक कंट्रोल और इमरजेंसी कॉल सेंटर में नौकरी कर रही हैं. लेकिन उच्च पदों पर महिलाएं ना के बराबर हैं और दफ्तर में उनके लिए खास सुविधाएं भी नहीं है.
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आधी गवाही
सऊदी अरब में महिलाएं अदालत में जाकर गवाही दे सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी गवाही को पुरुषों के मुकाबले आधा ही माना जाता है. सऊदी अरब में पहली बार 2013 में एक महिला वकील को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला था.
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खेलकूद में
सऊदी अरब में लोगों के लिए यह स्वीकारना मुश्किल है कि महिलाएं भी खेलकूद में हिस्सा ले सकती हैं. जब सऊदी अरब ने 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन भेजा तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें "यौनकर्मी" कह कर पुकारा. महिलाओं के कसरत करने को भी कई लोग अच्छा नहीं मानते हैं. रियो ओलंपिक में सऊदी अरब ने चार महिला खिलाड़ियों को भेजा था.
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संपत्ति खरीदने का हक
ऐसी औपचारिक बंदिश तो नहीं है जो सऊदी अरब में महिलाओं को संपत्ति खरीदने या किराये पर लेने से रोकती हो, लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं के लिए ऐसा करना खासा मुश्किल काम है.