कतर और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने खाड़ी देशों के संकट पर अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से की मुलाकात.
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सऊदी अरब ने कतर संकट को लेकर अपना रुख कायम रखते हुए कहा है कि वह मांगों में कोई बदलाव नहीं करेगा. सऊदी अरब के बातचीत के रास्ते बंद करने पर कतर ने सऊदी के इस फैसले की निंदा की है. कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने वॉशिंगटन में कहा कि सऊदी की मांगें अस्वीकार्य थीं. कतर के विदेश मंत्री खाड़ी देशों के संकट पर बात करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से मुलाकात करने पहुंचे थे. अल थानी ने कहा कि सऊदी अरब उन सिद्धांतों के विपरीत जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करते हैं. उन्होंने कहा कि सऊदी केवल अपने मांगों की सूची पेश कर उस पर आगे बातचीत के लिए इंकार नहीं कर सकता.
सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल अल-जुबेर भी वाशिंगटन में थे और विवाद सुलझाने के लिए अमेरिका तथा कुवैत के राजनयिकों के प्रयासों के बीच अपनी मांगों पर कायम रहे. खाड़ी देशों के इस विवाद ने अमेरिकी सहयोगी कतर को बिल्कुल अलग थलग छोड़ दिया है. कतर अपने पड़ोसी देशों द्वारा लगाए गये व्यापारिक और कूटनीतिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल अल-जुबेर ने कहा कि कतर से हमारी मांगों पर कोई बातचीत नहीं की जा सकती है. उसने यह कतर पर छोड़ा है कि वह कट्टरपंथियों और आतंकियों को समर्थन देना बंद करे.
आखिर क्यों इतना खास है कतर
आबादी और क्षेत्रफल से हिसाब से कतर बहुत छोटा सा देश है. लेकिन उसकी वजह से पूरी अरब दनिया में हलचल मची है. सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने उससे संबंध तोड़ लिए. जानते हैं क्यों अहम है कतर.
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तेल और गैस
कतर कभी अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था. लेकिन वह इस क्षेत्र के सबसे अमीर देशों में शामिल है. इसकी वजह उसके यहां मिले तेल और गैस के बड़े भंडार.
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हिस्सेदारी
दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में कतर की हिस्सेदारी है. इनमें लंदन का नामी डिपार्टमेंटल स्टोर हैरड्स, लग्जरी उत्पाद बनाने वाली फ्रांस की कंपनी एलवीएमएच मोएत एनसी लुई वितौं और पैरी सां जर्मेन फुटबॉल क्लब भी शामिल है.
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राजनीतिक महत्वाकांक्षा
कतर ने जहां सूडान के दारफूर में शांति प्रयासों में मध्यस्थ की भूमिका अदा की, वहीं फलस्तीनी गुटों में भी वह बीच बचाव करता रहा है. अफगान तालिबान से शांतिवार्ता में भी कतर ही मध्यस्थ है.
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अल जजीरा
कतर की सरकार ने 1996 में अल जजीरा के नाम से एक टेलीविजन नेटवर्क बनाया जिसने अरब दुनिया में खबरों की कवरेज और प्रसारण के तौर तरीकों को ही बदल दिया. दुनिया के दूसरे हिस्सों में अल जजीरा ने अपनी जगह बनायी है.
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कतर एयरवेज
कतर की सरकारी एयरलाइंस कतर एयरवेज दुनिया की चुनिंदा एयरलाइंस में शुमार होती है. इसके बेड़े में 192 विमान हैं और यह दुनिया के 151 शहरों को जोड़ती है.
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वर्ल्ड कप
कतर में 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन होगा. अरब दुनिया का वह पहला देश है जो इस टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है. हालांकि इस आयोजन के निर्माण कार्यों में विदेशी कामगारों के शोषण की खबरें भी लगातार मीडिया में रहती हैं.
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जनसंख्या
कतर अरब दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 11,437 वर्ग किलोमीटर है. कतर की आबादी लगभग 25 लाख है, जिनमें से 90 प्रतिशत विदेशी हैं.
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1971 में अलग देश
कतर 55 साल ब्रिटेन के संरक्षण में रहा है. 1971 में जब उसने संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया तो एक अलग देश के तौर पर वह अस्तित्व में आया.
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शाही परिवार
कतर में 19वीं सदी के मध्य से ही अल-थानी परिवार का शासन है. कतर के मौजूदा अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने 2013 में अपने पिता शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के गद्दी छोड़ने के बाद सत्ता संभाली.
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मतभेदों की खाई
सऊदी अरब समेत सात देशों ने कतर से रिश्ते तोड़ लिए हैं, जिससे पहले ही कई संकटों से जूझ रहे मध्य पू्र्व में एक नया विवाद शुरू हो गया है. कतर पर आतंकवादी गुटों का समर्थन करने के आरोप लग रहे हैं जिनसे वह इनकार करता है.
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इसी साल 5 जून को सऊदी अरब ने संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन के साथ मिल कतर पर कट्टरपंथियों और आतंकी समूहों की मदद के आरोप लगाते हुए संबंध रद्द कर लिए थे. विरोधी देशों ने कतर के लिए सभी हवाई और समुद्री रास्ते बंद कर दिये थे. उन्होंने बाकी खाड़ी देशों में रह रहे कतर के नागरिकों को घर छोड़कर वापस अपने देश लौट जाने के भी आदेश दिये थे. इस बीच सऊदी अरब ने कतर के सामने सभी प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए 13 शर्तें रखी थीं. इसमें समाचार चैनल अल-जजीरा को बंद करने, ईरान के साथ राजनयिक संबंधों को तोड़ने और अमीरात में तुर्की का सैन्य अड्डा बंद करने समेत कई बातें शामिल थीं.
संयुक्त अरब अमीरात ने कतर को चेतावनी दी है कि कतर सऊदी की इन मांगों को गंभीरता से ले वरना उसे खाड़ी देशों से अलगाव का सामना करना पड़ेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री टिलरसन ने दोनों पक्षों के साथ साथ मध्यस्थों कुवैत और संयुक्त राष्ट्र के साथ भी दोबारा बैठकें की हैं.