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सऊदी को हथियार देने पर बवाल

११ फ़रवरी २०१३

सऊदी अरब जर्मनी से डेढ़ अरब यूरो के पेट्रोलिंग बोट खरीदना चाहता है और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सरकार का रुख इस पर सकारात्मक है. इस खबर के आने के बाद जर्मनी में विपक्ष हथियारों के कारोबार की कड़ी आलोचना कर रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अखबार बिल्ड अम जोंटाग के अनुसार जर्मनी की संघीय सुरक्षा परिषद ने ब्रेमेन की लुरसेन शिपयार्ड की पेट्रोलिंग बोट बेचने की अर्जी मंजूर कर दी है. परिषद की अध्यक्ष चांसलर अंगेला मैर्केल हैं. उनके अलावा परिषद में 8 केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. इन नावों की कीमत एक करोड़ से ढ़ाई करोड़ यूरो है और बिक्री के आयाम को देखते हुए 60 से 80 नावों की बिक्री होगी. अखबार ने कहा है कि ऑर्डर को पूरा करने में दो साल लगेंगे. जर्मनी में सुरक्षा क्षेत्र में काम आने वाली चीजों की बिक्री की अनुमति राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद देती है, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जाता.

लुरसेन शिपयार्ड की प्रदर्शनीतस्वीर: picture-alliance/dpa

सार्वजनिक आलोचना

जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के अतीत के कारण शांति आंदोलन बहुत मजबूत है और खासकर विवादित इलाकों में हथियारों की बिक्री का सार्वजनिक विरोध होता है. संसदीय चुनावों के आठ महीने पहले सऊदी अरब को अरबों यूरो की हथियार बिक्री भी विवादों के घेरे में है. मानवाधिकारों पर सऊदी अरब के खराब रिकॉर्ड के कारण उसे हथियार बेचने के सरकार के फैसले की आलोचना शुरू हो गई है.

आम तौर पर हथियारों की बिक्री के बारे में सरकार सार्वजनिक रूप से कोई घोषणा नहीं करती. इसके बारे में एक वार्षिक रिपोर्ट जारी होती है, जिससे कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि सरकार की हथियार बिक्री रिपोर्ट में पारदर्शिता का अभाव होता है. उसमें हथियार बेचने वाली कंपनियों का नाम नहीं बताया जाता और सरकारी बिक्री का सार संक्षेप में ही दिया जाता है. फिर भी सरकार का दावा है कि यह रिपोर्ट गहराई और विस्तार से तैयार की गई है.

सऊदी अरब को हथियारों की बिक्री का विरोध करने वालों में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी सहित सभी विपक्षी पार्टियां शामिल हैं. एसपीडी सांसद थोमस ऑपरमन कहते हैं, "ऐसा लगता है कि सरकार सऊदी अरब को पूरी तरह से हथियारों से लैस करना चाहती है और उसने इस देश को हथियारों की बिक्री के व्यापक विरोध से कुछ सीखा नहीं है." ग्रीन पार्टी के नेता युर्गेन ट्रिटिन ने भी मैर्केल की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी सरकार के तहत जर्मनी के हथियार निर्यात में काफी तेजी आई है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब को हथियार बेचना जर्मनी के हित में नहीं है.

लियोपार्ड युद्धक टैंकतस्वीर: imago

सऊदी दिलचस्पी

सऊदी अरब जर्मनी से अत्याधुनिक हथियार खरीदना चाहता है. उसने एबीसी हथियारों का पता करने वाले टैंकों, लियोपार्ड लड़ाकू टैंकों और बॉक्सर टैंकों को खरीदने के बारे में काफी दिलचस्पी दिखाई है. पिछले दिसंबर में बिल्ड अम जोंटाग ने रिपोर्ट दी थी कि जर्मनी सऊदी अरब को डिंगो आर्मर्ड वाहनों की 10 करोड़ यूरो की डील को अंतिम रूप देने में लगा है. डेअ श्पीगेल समाचार पत्रिका के अनुसार सऊदी अरब जर्मनी से कई सौ बॉक्सर बख्तरबंद गाड़ियां भी खरीदना चाहता है.

वामपंथी डी लिंके पार्टी के सांसद यान फान आकेन ने मांग की है, "सऊदी अरब को सभी तरह के हथियारों की बिक्री रोकने का समय आ गया है." उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी यह मुद्दा संसद में उठाएगी. फान आकेन का कहना है कि टैंक, बंदूक, युद्धपोत, शस्त्र फैक्टरी, जर्मनी सऊदी अरब को हर तरह के हथियारों से लैस कर रहा है.

विवादों में सऊदी अरब का मानवाधिकार रिकॉर्ड भी है. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी सरकार द्वारा सरकार की आलोचना करने वाले नागरिकों के दमन की आलोचना की है. संस्था के पश्चिम एशिया डाइरेक्टर एरिक गोल्डश्टाइन ने पिछले महीने कहा, "सऊदी सरकार ने सरकारी लाइन से अलग विचार व्यक्त करने वाले लोगों को सजा देने, धमकाने और तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है." गोल्डश्टाइन का कहना है कि सरकारी दमन की वजह से ज्यादा आजादी की मांग दबने के बदले बढ़ गई है.

टायरों वाले बॉक्सर टैंकतस्वीर: dapd

संवेदनशील मुद्दा

जर्मनी में देश के नाजी अतीत और 19वीं तथा 20वीं सदी में हुई लड़ाईयों में हथियार बनाने वाली कंपनियों की भूमिका के कारण हथियारों की बिक्री का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की सरकार ने हथियारों की बिक्री पर कड़े नियम लागू किए हैं. ताजा नियम एसपीडी और ग्रीन पार्टी की सरकार के दौरान बनाए गए थे. खासकर ऐसे देशों में हथियारों की बिक्री पर सख्ती है जो या तो पड़ोसी के साथ विवाद में हैं या जहां मानवाधिकारों का पालन नहीं होता और हथियारों का इस्तेमाल सरकार का विरोध करने वाली अपनी ही जनता पर हो सकता है.

एस सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2011 में जर्मन सरकार ने विभिन्न देशों को 5.4 अरब यूरो के हथियारों की बिक्री की अनुमति दी. यह एक साल पहले के मुकाबले 14 प्रतिशत ज्यादा थी. लेकिन असली बिक्री अनुमति से कम रही. 2011 में जर्मन कंपनियों ने 1.3 अरब यूरो के हथियार बेचे जबकि एक साल पहले 2.1 अरब यूरो के हथियार बेचे गए. इनमें से 42 फीसदी हथियार यूरोपीय संघ और नाटो के देशों के बाहर बेचे गए. इस रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी से हथियार पाने वाले देशों की सूची में सऊदी अरब बारहवें नंबर पर था.

जर्मन हथियार उद्योग के साथ करीब सवा 3 लाख कर्मचारी सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के सांसद योआखिम फाइफर के अनुसार रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश के लिहाज से यह जर्मन उद्योगों में पांचवें स्थान पर है और आर्थिक और टेकनॉलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कारक है. सीडीयू सांसद के अनुसार सुरक्षा से जुड़ी सामग्रियों में ऐसी चीजें भी बनाई जाती हैं जिनका युद्ध से सीधा लेना देना नहीं है. इनमें बारूदी सुरंगें खोजने वाली गाड़ियां, सैनिकों का ट्रांसपोर्ट करने वाली बख्तरबंद गाड़ियां और फील्ड में लगाए जाने वाले अस्पताल भी शामिल हैं.

एमजे/ओएसजे (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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