इस्तांबुल से लापता हुए सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी के मामले का अंजाम पता नहीं क्या होगा, लेकिन इसकी वजह से सऊदी क्राउन प्रिंस दुनिया के सामने बेनकाब हो गए हैं.
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82 साल के सऊदी शाह सलमान ने पिछले साल अपने 58 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नाएफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बनाया, जिनकी उम्र उस समय 32 साल से भी कम थी. कई लोगों ने इसे पुत्रमोह में उठाया गया कदम बताया, लेकिन दूसरी तरफ इसे इस रुढ़िवादी देश में नई नस्ल के नेतृत्व के रूप में भी देखा गया.
नए क्राउन प्रिंस ने भी सुधारों की झड़ी लगा दी. जो अब तक सऊदी अरब में नामुमकिन सा लगता था, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने वह मुमकिन कर दिखाया. सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति दी गई, उन्हें स्टेडियम में बैठ कर मैच देखने का हक मिला, सिनेमा खोले गए और देश में म्यूजिक कंसर्ट होने लगे. कुछ कट्टरपंथियों ने इन बदलावों का विरोध भी किया, लेकिन क्राउन प्रिंस ने किसी की परवाह नहीं की. कुल मिलाकर इन बदलावों से संदेश गया कि दुनिया का सबसे रुढ़िवादी देश बदल रहा है.
इस बदलाव का पूरा श्रेय मोहम्मद बिन सलमान को दिया गया. लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है. दूसरा पहलू कट्टर, हिंसक और बर्बर है. इस्तांबुल से गायब हुए जमाल खशोगी के मामले में भी क्राउन प्रिंस पर सवाल उठ रहे हैं. तुर्की के अधिकारियों को संदेह है कि इस्तांबुल में स्थित सऊदी कंसुलेट में खशोगी की हत्या की गई और इस काम को एक स्पेशल दस्ते ने अंजाम दिया. मामला इसलिए इतना तूल पकड़ रहा है कि खशोगी सऊदी अरब और खासकर क्राउन प्रिंस के कड़े आलोचक थे.
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
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अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
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संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
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सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
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तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
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सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
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तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
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सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
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जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
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आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
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ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
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युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि उन्हें सऊदी क्राउन प्रिंस ने बताया गया है कि इस्तांबुल के कंसुलेट में क्या हुआ, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है. क्राउस प्रिंस की इस 'मासूमियत' पर भला कौन यकीन करेगा. पहली बात, किस देश के कंसुलेट में क्या हो रहा है, उसकी जानकारी उस देश की सरकार को नहीं होगी तो फिर किसे होगी. दूसरा, जिस मामले को लेकर आपके देश को पूरी दुनिया से टकराना पड़ रहा है, क्या उसके बारे में आपने कोई जानकारी नहीं ली होगी?
क्राउन प्रिंस मोहम्मद भले ही अनभिज्ञ बनने की कोशिश करें, लेकिन उनका ट्रैक रिकॉर्ड उनकी मासूमियत पर सवाल उठाता है. मोहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के चंद महीने बाद ही सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है. ये गिरफ्तारियां भ्रष्टाचार के आरोपों में हुईं, लेकिन आलोचक कहते हैं कि क्राउन प्रिंस ने सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है.
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा सऊदी अरब के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है. कहने वाले कहते हैं कि सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता और जो कोई उनके खिलाफ जाने की कोशिश करता है, उसका पत्ता काट दिया जाता है.
एक साल में कितना बदल गया सऊदी अरब
सऊदी अरब में 2017 बड़े बदलावों का साल रहा. एक तरफ जहां सऊदी समाज में कई बदलावों की आहट सुनाई दी, वहीं राजनीतिक और रणनीतिक रूप से भी कई उलटफेर हुए. डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
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युवा क्राउन प्रिंस
21 जून 2017 को सऊदी शाह सलमान ने अपने 31 वर्षीय बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बनाया. उन्होंने अपने भतीजे 57 वर्षीय मोहम्मद बिन नायेफ से क्राउन प्रिंस का ताज छीन कर अपने बेटे को शाही गद्दी का वारिस बनाया.
तस्वीर: Reuters/Saudi Press Agency
बड़ी गिरफ्तारियां
अक्टूबर महीने में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Balkis Press
सऊदी विजन 2030
सऊदी क्राउन प्रिंस तेल पर देश की निर्भरता को कम करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए विजन 2030 योजना पेश की. इसका एलान 2016 में हुआ लेकिन इससे जुड़े कई अहम फैसले 2017 में देखने को मिले.
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मुस्लिम नाटो
सऊदी अरब की देखरेख में 2017 में दुनिया के 40 साल से ज्यादा देशों ने आतंकवाद विरोधी एक सैन्य गठबंधन बनाया. मुस्लिम नाटो कहे जा रहे इस गठबंधन को आलोचकों ने शियाओं और खास कर ईरान के खिलाफ गठजोड़ बताया क्योंकि इसमें शामिल सभी देश सुन्नी हैं.
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कतर संकट
सऊदी अरब और उसके कई खाड़ी सहयोगियों ने 2017 में कतर से अपने रिश्ते तोड़ लिए जिससे मध्य पूर्व में एक नया संकट खड़ा हो गया. कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने समेत कई आरोप लगे जिनसे वह इनकार करता है.
तस्वीर: picture alliance/AA/Qatar Emirate Council
इस्राएल से नजदीकी
इस साल उस वक्त मध्य पूर्व में बदलते समीकरणों का संकेत भी मिला, जब सऊदी अरब और इस्राएल के बीच नजदीकियां बढ़ने की खबरें आईं. हालांकि इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया. जो भी संकेत मिले हैं, वे छन छन कर आई जानकारी पर आधारित हैं. दोनों ही देश ईरान को खतरा मानते हैं.
ड्राइविंग का हक
महिलाओं को ड्राइविंग का हक न देने के लिए सऊदी अरब की लंबे समय से आलोचना होती रही है. लेकिन 26 सितंबर 2017 को सऊदी शाह ने आदेश जारी किया कि 24 जून 2018 से सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
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मेगासिटी नियोम
सऊदी अरब ने 2017 में 500 अरब डॉलर की लागत से एक इंवेस्टमेंट मेगासिटी बनाने की योजना पेश की. नियोम के नाम से बसने वाला यह शहर एक निवेश और कारोबारी हब होगा. 26,500 वर्ग किलोमीटर में फैले नियोम की सीमाएं जॉर्डन और मिस्र को छूएंगी.
तस्वीर: NEOM
सऊदी अरब में सिनेमा
वर्ष 2017 में ही सऊदी अरब ने अपने यहां 35 साल से सिनेमाघरों पर लगी पाबंदी को हटाने का फैसला किया. सऊदी अरब के संस्कृति और सूचना मंत्रालय का कहना है कि मार्च 2018 में सऊदी अरब में सिनेमा खुल सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/R. Duvignau
सऊदी अरब में संगीत
कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा को मानने वाले सऊदी अरब में संगीत सुनने-सुनाने का चलन नहीं है. लेकिन फरवरी 2017 में जेद्दाह में आठ हजार लोग संगीत की धुनों पर झूमते नजर आए. जेद्दाह में सात साल में पहली बार कोई बड़ा संगीत कंसर्ट हुआ.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hilabi
टूरिस्ट वीजा
सामाजिक और आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहे सऊदी अरब ने 2017 में ही दुनिया भर के सैलानियों को टूरिस्ट वीजा देने का फैसला किया. 2018 की पहली तिमाही से यह काम शुरू हो जाएगा. अभी सऊदी अरब चुनिंदा देशों के लोगों को पर्यटन वीजा देता है.
तस्वीर: Reuters/N. Laula
शतरंज प्रतियोगिता
सऊदी अरब ने 2017 में पहली बार अपने यहां शतरंज टूर्नामेंट आयोजित कराने का फैसला किया. दो साल पहले सऊदी अरब से सबसे बड़े मौलवी ने शतरंज को समय की बर्बादी कहते हुए इसे इस्लाम में इसकी मनाही बताई.
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तो क्या खशोगी का भी पत्ता काट दिया गया है? खशोगी ने अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने लेखों में क्राउन प्रिंस मोहम्मद के कई कदमों पर सवाल उठाए. इनमें यमन की जंग और कनाडा के साथ हुई कूटनीतिक तनातनी और महिलाओं की ड्राइविंग पर रोक हटाने के बाद महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी जैसे कई मुद्दे शामिल हैं.
खशोगी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि वह भी क्राउन प्रिंस को एक सुधारक के तौर पर देखते हैं, लेकिन समस्या यह है कि वह सारी सत्ता अपने हाथ में रखना चाहते हैं. किसी जमाने में अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू करने वाले खशोगी सऊदी शाही परिवार पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप भी लगाते थे.
'महिला ड्राइविंग से इस्लाम का कोई लेना देना नहीं'
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इन सब वजहों के चलते खशोगी की गुमशुदगी की वजह तलाशने वालों का ध्यान सऊदी सरकार और खास कर क्राउन प्रिंस मोहम्मद की तरफ चला जाता है. इस बारे में उठ रहे सवालों के जवाब भी उनसे ही मांगे जा रहे हैं क्योंकि आधिकारिक रूप से सऊदी अरब के राजा भले ही शाह सलमान हैं, लेकिन सब जानते हैं कि देश की दिशा और दशा सऊदी क्राउन प्रिंस ही तय कर रहे हैं.
सऊदी अधिकारियों ने शायद यह नहीं सोचा होगा कि एक पत्रकार उन पर इतना भारी पड़ेगा कि अमेरिका जैसा उनका दोस्त आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी देने लगेगा. वहीं दुनिया की कई दिग्गज कंपनियों ने सऊदी अरब में होने वाले निवेशक सम्मेलन में हिस्सा ना लेने का फैसला किया है. यह सऊदी क्राउन प्रिंस के लिए बड़ा झटका है. इससे सऊदी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का उनका सपना बिखर सकता है, जो तेल उद्योग पर सऊदी अरब की निर्भरता खत्म करना चाहते हैं. इसलिए खशोगी की गुमशुदगी पर सऊदी अधिकारियों को जवाब देना ही होगा.
यह बात सही है कि रातों रात सब कुछ नहीं बदलता. और सऊदी क्राउन प्रिंस शायद 'सब कुछ' बदलना भी नहीं चाहते. सुधारों की शुरुआती फुलझड़ियों के बावजूद वह लगातार अपनी कट्टर शासक की छवि को गढ़ रहे हैं, जिसमें आलोचना के लिए तो बिल्कुल जगह नहीं है. इसलिए दुनिया को भी सऊदी व्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए.
सऊदी अरब में महिलाओं के योग स्टूडियो
महिलाओं के लिए सऊदी अरब पिछले एक साल में तेजी से बदला है. अब देश की महिलाएं खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग को अपना रहीं हैं. आज से कुछ साल पहले तक सऊदी में योग को गैर-इस्लामिक माना जाता था.
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योग अब खेल है
लंबे वक्त तक सऊदी अरब में योग को हिंदू धार्मिक परंपराओं का हिस्सा माना जाता रहा. इसे करना गैर इस्लामिक माना जाता था, लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को एक खेल के रूप मान्यता दी है. जिसके बाद से देश के बड़े शहरों में योग लोकप्रिय हो रहा है.
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योग के लिए नफरत!
कई सौ लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी 38 साल की नौफ मारवाई, देश में अरब योगा फाउंडेशन के नाम से एक संस्था चलाती हैं. वह योग के प्रचार-प्रसार के लिए कई सालों से काम कर रहीं हैं. उन्होंने बताया, "मुझे बहुत परेशान किया जाता था, नफरत और घृणा भरे संदेश भेजे जाते थे. पांच साल पहले तक यहां योग के बारे में सोचना भी असंभव था."
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उद्योग बन रहा है योग
महिलाएं मानती हैं कि रोजाना योग करने से उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं. मारवाई बताती हैं, "योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने के भीतर ही मक्का, मदीना सहित देश के कई शहरों में योगा स्टूडियो और योग प्रशिक्षकों का एक नया उद्योग खड़ा हो गया है."
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मौलवियों की आपत्ति
मारवाई ने बताया कि मौलवियों को सबसे बड़ी आपत्ति "सूर्य नमस्कार" से थी. इस आसन में मंत्रों के साथ सूर्य का अभिवादन किया जाता है. एक मौलवी का तर्क था कि मुस्लिम प्रार्थनाओं में जिस तरह की शारीरिक क्रियाएं होती हैं वह शरीर के लिए पर्याप्त हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Hilabi
योग करने वाले हिंदू हैं?
मारवाई से योग सीखने वाले कई छात्र कहते हैं कि उन पर मजहब को धोखा देने का आरोप लगता है. कई लोगों से सोशल मीडिया पर पूछा जाता है कि क्या वे हिंदू हैं? या क्या वे हिंदू हो गए हैं? लेकिन इसे सीखने वाले मानते हैं कि योग एक खेल है, और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Hilabi
बदलता सऊदी अरब
योग के साथ-साथ पिछले एक साल में सऊदी महिलाओं को कई अधिकार मिले हैं. अब वे अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हैं, गाड़ी ड्राइव कर सकती हैं, फ्लाइंग स्कूल, सिनेमाघरों के अलावा महिलाओं के लिए जिम के दरवाजे भी खुल गए हैं.