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सचिन के ट्वीट पर दिल खोलकर दान मिला

२८ मई २०१०

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने ट्विटर पर अपनी एक अपील की जरिए दो हफ्तों में ही 1.25 करोड़ रुपये इकठ्ठा किए. सचिन के प्रशंसकों ने दिल खोलकर दिया योगदान. कैंसर पीड़ित गरीब बच्चों के इलाज में खर्च होंगे पैसे.

तस्वीर: AP

सचिन्स क्रूसेड अगेंस्ट कैंसर फाउंडेशन से जुड़े डॉ पी जगन्नाथ ने गुरुवार को बताया, "दो हफ्ते पहले सचिन तेंदुलकर ने ट्विटर पर एक संदेश भेजा और रातोंरात लाखों रुपये इकठ्ठा हो गए. अब तक 1.25 करोड़ रुपये हमें दानराशि के रूप में मिल चुके हैं. यह अविश्वसनीय है और शायद अब तक कोई भी सेलेब्रिटी धन एकत्र करने के उद्देश्य से हुए इवेंट में एक बार में ही इतना पैसा इकठ्ठा नहीं कर पाई है."

तस्वीर: twitter.com

यह प्रोजेक्ट मास्टर ब्लास्टर के दिल के बेहद करीब है और अपने एक बयान में तेंदुलकर ने कहा है कि इस योगदान से उन्हें बहुत संतुष्टि महसूस हो रही है. प्रोजेक्ट पर तेंदुलकर ने बताया, "हर बच्चा अमूल्य है. बच्चों के चेहरों पर मुस्कान वापस लाना और उनके जीवन में प्रकाश भरना असीम संतुष्टि कराने वाला अनुभव है. मैं उन लोगों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने कैंसर पीड़ित बच्चों की मदद करने में मेरा साथ दिया. इस योगदान से मुझे संतुष्टि का अनुभव हो रहा है."

डॉ जगन्नाथ का कहना है कि सचिन तेंदुलकर की पत्नी डॉ अंजलि तेंदुलकर को वह अपने कुछ मित्रों के माध्यम से जानते हैं. अंजलि ने ही सचिन को उनकी मदद करने के लिए तैयार किया.

डॉ जगन्नाथ के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में ही इस प्रोजेक्ट के लिए 30 से 40 लाख रुपये एकत्र हो चुके हैं और कुल मिलाकर दो हफ्तों में जमा हुई धनराशि लगभग 1.25 करोड़ रुपये है. सचिन्स क्रूसेड अगेंस्ट कैंसर फाउंडेशन कम आय वाले वर्ग की मेडिकल जरूरतों का आकलन करता है और कैंसर पीड़ित गरीब बच्चों को इलाज और दवाइयां मुहैया कराता है.

डॉ जगन्नाथ ने बताया है कि तेंदुलकर की अपील पर लाखों रुपये लेकर 100 रुपये तक की धनराशि दान के रूप में मिली. 100 रुपये और 200 रुपये को भी डॉ जगन्नाथ बेहद अहम मानते हैं.

"कारपोरेट जगत ने तो तेंदुलकर की अपील पर बढ़िया योगदान दिया लेकिन यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई कि लोगों ने 100 रुपये, 200 रुपये देकर भी इस काम में अपना हाथ बंटाया. यह दिखाता है कि लोग हमारे उद्देश्य में विश्वास करते हैं और जितनी मदद कर सकते थे उन्होंने की."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा मोंढे

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