दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर समझे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का कहना है कि उनके गुरु रमाकांत अचरेकर के एक थप्पड़ ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया. अचरेकर को नागपुर में सम्मानित किया गया, जहां सचिन भी मौजूद थे.
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इस मौक़े पर सचिन तेंदुलकर ने बचपन का एक क़िस्सा बहुत चाव से सुनाया. उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें अपने स्कूल की 'बी' टीम से खेलने को कहा गया लेकिन वह खेलने की जगह गैलरी में जा बैठे और साथी खिलाड़ियों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए तालियां बजाने लगे.
शाम को जब वह अपने गुरु रमाकांत अचरेकर के पास पहुंचे तो उनसे पूछा गया कि उन्होंने कितने रन बनाए. इस सवाल से भौंचक्के सचिन ने कहा कि वह तो गैलरी में बैठे तालियां बजा रहे थे. फिर क्या था, लगा एक ज़ोरदार तमाचा और टिफ़िन बॉक्स नीचे गिर पड़ा. लेकिन इस तमाचे ने सचिन की पूरी दुनिया ही बदल कर रख दी. उन्हें समझ आ गया कि उनसे कितनी बड़ी ग़लती हुई है.
तेंदुलकर ने बताया कि अचरेकर 'सर' ने इसके बाद उनसे कहा कि 'दूसरों के लिए ताली बजाना बंद करो. अपना खेल खेलो और अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान दो.'
सचिन तेंदुलकर ने कहा, "उस घटना ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी. मैं आज जो कुछ भी हूं, उनकी कोचिंग की वजह से हूं और अचरेकर सर की हिदायतों से की गई मैच प्रैक्टिस की वजह से हूं."
मास्टर ब्लास्टर का यादगार सफर
अपने समय के महानतम बल्लेबाज माने गए सचिन रमेश तेंदुलकर ने भारतीय क्रिकेट को अपने 24 साल दिए हैं. इन्हीं सालों का ब्योरा दिया है उन्होंने नई किताब में, जो इन दिनों काफी चर्चा में है.
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बल्ले की भाषा
100 शतक, 163 अर्धशतक, 34,000 रन. लगता है कि किसी पूरी टीम का ब्योरा है. लेकिन यह सिर्फ एक खिलाड़ी के आंकड़े हैं. नाम बताने की जरूरत नहीं.
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16 बरस का
सिर्फ इतनी ही उम्र थी, जब पाकिस्तान के खिलाफ सचिन को टीम में चुना गया. सामने वकार यूनुस और वसीम अकरम जैसे खूंखार गेंदबाज. पहले तो भारतीय बोर्ड ने उनकी सुरक्षा का जिम्मा लेने से ही मना कर दिया. लेकिन फिर टीम में शामिल कर लिया गया.
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गेंदबाजी की चाहत
डेनिस लिली और सचिन तेंदुलकर के रिश्ते पर काफी बात हुई है. लिली ने ही सचिन को गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाजी पर ध्यान देने की सलाह दी थी. क्रिकेट की दुनिया को लिली से भी कहना चाहिएः शुक्रिया.
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100 के सचिन
टेस्ट मैचों का यह आंकड़ा बड़े बड़े क्रिकेटरों का सपना होता है. लेकिन सचिन ने 2002 में यह मील का पत्थर हासिल किया, तो किसी को भी शक नहीं था कि अभी यह सितारा लंबे वक्त तक चमकने वाला है.
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हर कोई दीवाना
भले ही भारत की महिलाएं क्रिकेट के नाम से कुढ़ती हों लेकिन सचिन उनका भी दुलारा है. यही वह क्रिकेटर है, जिसने क्रिकेट को घर घर पहुंचा दिया. कहा जाता है कि सचिन के आउट होते ही आधा भारत टीवी बंद कर देता है.
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क्रिकेट का 'भगवान'
कभी मैथ्यू हेडन ने कहा था कि मैंने भगवान को देखा है, वह भारत में चौथे नंबर पर बैटिंग करता है. फिर तो क्रिकेट के दीवाने भी सचिन को भगवान मानने लगे. हालांकि सचिन सिर्फ अच्छे इंसान बने रहना चाहते हैं.
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सबसे बड़ा दीवाना
ये सुधीर कुमार चौधरी हैं, जिन्हें क्रिकेट की दुनिया भी पहचानती है और खुद सचिन तेंदुलकर भी. सचिन के प्यार में उन्होंने नौकरी नहीं की, शादी नहीं की. हर जगह मैच देखने जाते हैं और सचिन के नाम से शंख फूंकते हैं.
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बच्चों के प्यारे
सचिन तेंदुलकर को बच्चों से बेइम्तिहां प्यार है. वह मैचों के बीच वक्त निकाल कर बच्चों से जरूर मिलते हैं. कोई 10 साल पुरानी इस तस्वीर में सचिन बैंगलोर में गरीब बच्चों से मुलाकात करते हुए.
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परिवार का साथ
भारत के लिए क्रिकेट खेलने के अलावा कहते हैं कि सचिन का सबसे बड़ा सपना वर्ल्ड कप जीतना था. दो साल पहले उनका यह सपना भी पूरा हुआ, जब भारत ने वानखेड़े स्टेडियम में ही वर्ल्ड कप जीता. इसके बाद उन्होंने कुछ लम्हे अपने परिवार के साथ भी बिताए.
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खुद से हैरान
शायद अपने रिकॉर्डों और बल्लेबाजी को देख कर खुद सचिन तेंदुलकर भी हैरान होते होंगे. आखिर कैसे कोई बल्लेबाज 24 साल तक क्रीज पर उसी मुस्तैदी से गेंदबाजों की धुनाई करता हुआ टिका रह सकता है. यह उनकी हूबहू मोम की मूर्ति है.
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झलक दिखला जा
आखिरी मैच के पहले तो क्रिकेट के दीवानों की एक ही ख्वाहिश थी कि सचिन तेंदुलकर बस एक बार झलक दिखला जाएं. उनके ऑटोग्राफ के लिए मुंबई में लोगों की लाइन लगी थी. किसी के हाथ में पोस्टर, तो किसी के हाथ में उनके नाम का मेडल.
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खरा सोना
पिछले साल सोने का एक सिक्का जारी किया गया, जिसमें सचिन की तस्वीर है. करीब 10 ग्राम के ऐसे एक लाख सिक्के गढ़े गए और 34,000 रुपये की कीमत के बावजूद हाथों हाथ बिक गए.
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तेंदुलकर ने अचरेकर की तारीफ़ करते हुए कहा कि उनके गुरु ने सभी खिलाड़ियों को बराबर नज़र से देखा. तेंदुलकर के साथ इस कार्यक्रम में उनके बचपन के दोस्त विनोद कांबली, प्रवीण आमरे और समीर दिघे भी शामिल हुए.
नागपुर के इस कार्यक्रम में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने भी हिस्सा लिया और उन्होंने अचरेकर और तेंदुलकर की तुलना आधुनिक ज़माने के द्रोणाचार्य और अर्जुन से की. अचरेकर ने विदर्भ के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर प्रशांत वैद्य और विदर्भ के पूर्व रणजी क्रिकेट कप्तान प्रीतम गांधी को सम्मानित किया.
मुंबई के अंडर-16 क्रिकेट टीम के कप्तान हरमीत सिंह को वज़ीफ़े के तौर पर 50,000 रुपये देने का एलान किया गया. यह रक़म रमाकांत अचरेकर फ़ाउंडेशन की ओर से दिया जाएगा, जिसकी स्थापना पूर्व रणजी खिलाड़ी शरद ठाकरे ने की है.