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सचिन के लिए बहुत खराब और बहुत अच्छा 2011

२९ दिसम्बर २०११

क्रिकेट की पहचान सचिन तेंदुलकर से है, जिनके लिए साल 2011 बहुत अच्छा रहा कि भारत ने वर्ल्ड कप जीत लिया, लेकिन बहुत खराब कि इतने इंतजार के बाद भी वह सौवां शतक नहीं बना पाए. और पाकिस्तान के लिए तो बस भूलने के लिए रहा साल.

तस्वीर: AP

क्रिकेट को मामूली रूप से भी जानने समझने वालों के लिए वह लम्हा भुलाए नहीं भूलता है, जब महेंद्र सिंह धोनी ने मुंबई के स्टेडियम में छक्का जड़ा और जिसके बाद आंसुओं से लबरेज भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बिठा कर घुमा दिया. विराट कोहली तो यहां तक कह गए, "जिस शख्स ने अपने कंधे पर भारतीय क्रिकेट को 22 साल तक ढोया है, क्या हम उसे आज अपने कंधे पर नहीं ढो सकते."

सिर्फ सचिन और भारत के लिए ही नहीं, वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप की कामयाबी आईसीसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेर गई. शरद पवार ने इस मौके पर कहा, "कुछ लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि 50 ओवर का क्रिकेट खत्म हो जाएगा. इस वर्ल्ड कप ने उन्हें गलत साबित कर दिया है. टेलीविजन और क्रिकेट के दर्शक कुछ और ही कह रहे हैं."

तस्वीर: AP

सचिन तेंदुलकर ने कभी कहा था कि उनके लिए सबसे बड़ा सपना अपने देश के लिए वर्ल्ड कप जीतने का है. उनका यह सपना पूरा हो गया लेकिन उनके बहाने करोड़ों भारतीय और उससे भी कहीं ज्यादा दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों ने उनसे एक सपना लगा रखा है. वह है उनके सौवें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शतक का. लेकिन साल जाते जाते सचिन यह पूरा नहीं कर पाए. लगातार अच्छे फॉर्म में रहने के बाद भी वह सौवां शतक नहीं लगा पाए. इस तरह उन्होंने पूरे साल टेस्ट मैच में सिर्फ एक शतक लगाया. उन्होंने आखिरी बार वर्ल्ड कप में मार्च में कोई सैकड़ा जड़ा है. वह वर्ल्ड कप की जीत कामयाब साल के रूप में याद करेंगे, जबकि सैकड़े के मामले में इस साल को भूल जाना चाहेंगे.

फिक्सिंग में फंसे

अभी क्रिकेट की दुनिया वर्ल्ड कप की कामयाबी का जश्न मना ही रही थी कि क्रिकेट में ऐसा हो गया, जो पहले कभी नहीं हुआ था. भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पाकिस्तान के तीन क्रिकेटरों को लंदन में जेल हो गई. पूर्व कप्तान सलमान बट सबसे ज्यादा ढाई साल के लिए अंदर चले गए, जबकि मोहम्मद आसिफ डेढ़ साल और मोहम्मद आमिर छह महीने के लिए. इन तीनों को आईसीसी पहले ही स्पॉट फिक्सिंग का दोषी बता चुका है और जिसके लिए उनके क्रिकेट खेलने पर लंबी पाबंदी लगी हुई है.

तस्वीर: AP

आईसीसी के अंदर भ्रष्टाचार निरोधी शाखा के पॉल कॉनडन ने यह कह कर आग में और हवा झोंक दी कि 1990 में पहली बार क्रिकेट में मैच फिक्सिंग की खबरें आईं लेकिन उसके बाद भी कुछ खास नहीं किया गया. उन्होंने कहा, "कई देशों की टीमें उस वक्त भी मैच फिक्सिंग में लगी थीं. और ये टीमें भारतीय उप महाद्वीप के बाहर की भी थीं."

खाली खाली कुर्सियां

इन बातों के अलावा इस साल क्रिकेट के खाली स्टेडियम ने भी आयोजकों को काफी निराश किया. क्रिकेट का सीजन होने के बाद भी दर्शक ग्राउंड तक नहीं पहुंचे. भारत के महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ का कहना है कि क्रिकेट क्रिकेट और क्रिकेट से इस पर असर पड़ रहा है और ज्यादा मैच खेलने के चक्कर में अच्छा क्रिकेट नहीं हो पा रहा है.

द्रविड़ की बात से श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा भी इत्तिफाक रखते हैं. उनकी टीम पर भी साल 2011 में खासी ज्यादती हुई, जब उनका क्रिकेट बोर्ड दीवालिया हो गया और उनके खिलाड़ियों को नौ महीने तक बिना वेतन के ही काम करना पड़ा.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान हमेशा से बुरी वजहों से ही क्रिकेट की सुर्खियों में रहता है. चाहे मैच फिक्सिंग की बात हो या फिर बोर्ड के अंदर चल रह रस्साकशी की. इस साल भी पाकिस्तान इन्हीं बातों में फंसा रहा और बोर्ड का नियंत्रण नए हाथों में दिया गया. इन सबके बीच करिश्माई क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने कुछ दिनों के लिए ही सही, पाकिस्तान क्रिकेट का नाम रोशन किया और औसत टीम को वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचा दिया. हालांकि यहां उन्हें भारत से हार कर बाहर होना पड़ा.

पाकिस्तान नहीं जाएंगे

पाकिस्तान में अभी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं हो पा रहा है. श्रीलंका की राष्ट्रीय टीम पर 2009 में हुए कातिलाना हमले के बाद से कोई भी देश वहां नहीं जा रहा है. इस साल उसे अपने घरेलू मैच खाड़ी देशों में खेलने पड़े. हालांकि इस दौरान टीम का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा.

तस्वीर: AP

भारत ने वनडे मैचों में भले ही अपना पताका फहरा दिया हो लेकिन टेस्ट मैचों में वह नौसिखुवा ही लगा. इंग्लैंड में खेली गई चार टेस्ट मैचों की सीरीज वह हर हाल में भूलना चाहेगा, जिसके चारों मैच वह हार गया. इसके साथ ही पहले नंबर की पदवी भी हाथ से निकल गई. साल जाते जाते ऑस्ट्रेलिया ने भी उसे मेलबर्न में बुरी तरह हरा दिया.

इंग्लैंड चमका

इंग्लैंड के लिए साल अच्छा रहा, जिसने एशेज में ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हरा दिया और भारत पर जीत के साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट का सिरमौर बन बैठा. 1979 के बाद यह पहला मौका है, जब इंग्लैंड क्रिकेट में नंबर वन बना है.

तस्वीर: AP

ऑस्ट्रेलिया के लिए भी यह साल बहुत अच्छा नहीं रहा. लगातार तीन बार वर्ल्ड कप जीतने के बाद उसे भारत के हाथों हार कर इस साल बाहर होना पड़ा. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में 21 रन पर नौ विकेट गंवाने के बाद लगने लगा कि वह क्रिकेट इतिहास के सबसे कम 26 रन के स्कोर से भी आगे निकल जाएगा लेकिन आखिरकार वह 47 रन बनाने में कामयाब रहा. बाद में अपने ही घर में न्यूजीलैंड से हार गया लेकिन साल के आखिर में भारत को हराने में कामयाब रहा.

रिपोर्टः एपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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