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"सचिन तेंदुलकर से सावधान रहना"

१४ जुलाई २०११

इंग्लैंड के कई पूर्व क्रिकेट कप्तानों ने अपनी टीम को सावधान किया है कि सचिन तेंदुलकर भले ही अपने करियर के आखिरी पड़ाव में हों लेकिन उनसे सावधान रहने की जरूरत है. आगामी सीरीज के लिए सबसे बड़ा खतरा सचिन ही हो सकते हैं.

Mumbai Indians Sachin Tendulkar bats during the Indian Premier League (IPL) cricket match against Pune Warriors in Mumbai, India, Wednesday, May 4, 2011.(AP Photo/Rajanish Kakade)
तस्वीर: AP

पूर्व कप्तानों नासिर हुसैन, माइकल वॉन, माइक अथर्टन और ग्राहम गूच मानते हैं कि सचिन तेंदुलकर का बल्ला लाजवाब है और वह किसी भी मैच का रुख बदल देने की क्षमता रखते हैं.

वॉन का कहना है, "सचिन 2007 के मुकाबले अब अलग तरह के खिलाड़ी हैं. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी अपने अंदर थोड़ा बदलाव लाते रहते हैं ताकि वह सबसे बेहतर बने रहें. पिछले दो साल में वह फिर से आक्रामक बन गए हैं. यह उनका पुराना खेल था. बीच में वह टिक कर खेलने वाले खिलाड़ी बन गए थे." वॉन का कहना है कि आम तौर पर हम क्रिकेटर की कोई न कोई कमजोरी होती है लेकिन सचिन इस मामले में अलग हैं. उनमें कोई कमी नहीं दिखती. उनका कहना है, "इंग्लैंड उनके खिलाफ आक्रामक रवैया अपना सकता है. कुछ शॉर्ट गेंदें फेंक कर परेशान करने की कोशिश कर सकता है. लेकिन मैंने देखा है कि पिछले दो सालों में इन चीजों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है."

तस्वीर: AP

हुसैन का भी मानना है कि हाल के सालों में सचिन ने अपने हमलावर हथियार को तेज कर लिया है. उनका कहना है, "तकनीकी और मानसिक तौर पर सचिन ने थोड़ा बहुत ही बदलाव किया है लेकिन उन्होंने अपना गेम प्लान बिलकुल से बदल दिया है. वह एक ऐसे हमलावर और भड़कीले बल्लेबाज बन गए हैं, जिनके पास हर तरह के शॉट हैं."

उनका कहना है, "किसी वक्त वह अपने विकेट के बारे में सोचते थे. लेकिन सहवाग के आने के बाद से चीजें बदल गई हैं. पिछले दो साल में वह बिलकुल बदल गए हैं और ताबड़तोड़ शॉट्स लगाने वाले बल्लेबाज बन गए हैं."

अथर्टन याद करते हैं कि किस तरह से अगर सचिन तेंदुलकर को जीवनदान मिल जाए तो वह कहर बरपा सकते हैं. उन्होंने कहा, "1996 में मैंने गली में उनका कैच टपका दिया. उस मैच में उन्होंने बड़ा शतक ठोंक दिया. वह शुरू से ही जम जाते हैं. उन्हें ललाचाया नहीं जा सकता है. उनके अंदर किसी तरह की कमी नही है. वह एक ठोस खिलाड़ी हैं. शानदार खिलाड़ी हैं."

उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी बात यह है कि उनके अंदर ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. वह अभी भी उसी एकाग्रचित्तता से खेलते हैं. वह अपनी तकनीक और ताकत पर भरोसा रखते हैं."

ग्राहम गूच यादों के झरोखे में जाकर युवा तेंदुलकर को याद करते हैं. उनका कहना है, "1990 के बारे में तो किसी को याद भी नहीं होगा. उस वक्त तेंदुलकर 17 साल के थे. लेकिन इतना उसी वक्त तय था कि उनके अंदर गजब की प्रतिभा थी. वह संतुलित खिलाड़ी थे और गेंद पर पैनी नजर रखते थे. उनके अंदर उसी वक्त दिख रहा था कि वह महान खिलाड़ी बनेंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ए कुमार

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