1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सचिन पर लगता राजनीति का लेबल

२८ अप्रैल २०१२

सचिन तेंदुलकर को सांसद बनाए जाने के साथ इसका विरोध करने वालों की आवाज तेज होती जा रही है. पूर्व क्रिकेटर सचिन के इस फैसले से ताज्जुब में पड़ गए हैं, जबकि कुछ का कहना है कि उन्हें खुद पर राजनीतिक लेबल नहीं लगाना चाहिए.

तस्वीर: AP

तेंदुलकर को भारतीय संसद में राज्यसभा का सदस्य बनाए जाने के बाद क्रिकेट जगत से पहली प्रतिक्रिया उनके पुराने साथी संजय मांजरेकर की आई. जाने माने क्रिकेट कमेंटेटेर मांजरेकर इस फैसले से स्तब्ध हैं. उन्होंने कहा, "मेरे पास तो इसके लिए कोई शब्द ही नहीं हैं. मुझे कभी नहीं लगा था कि इस तरह की चीज उसे कभी पसंद आ सकती है. उसने कभी भी अपनी बातों को सार्वजनिक तौर पर नहीं कहा है और यह उसके लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा. मैं तो सिर्फ उम्मीद कर सकता हूं कि वह संसद की स्थिति को बेहतर बना पाए."

क्रिकेट की दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर ने 188 टेस्ट मैच खेले हैं और सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या क्रिकेट में सक्रिय रहते हुए उनके पास संसद जाने का वक्त मिलेगा. हाल में उनके रिटायरमेंट की भी खूब अफवाहें उठीं लेकिन 100 शतक बनाने के बाद भी सचिन ने खेलते रहने का फैसला किया है. उनके पुराने साथी क्रिकेटर आकाश चोपड़ा सोच रहे हैं कि सचिन के पास संसद के लिए समय कहां है, "वह तो पूरे साल क्रिकेट खेलते रहते हैं. उनके पास संसद जाने के लिए वक्त कहां है. मुझे इस बात का बेहद अफसोस होगा कि अगर वह संसद में अपनी पहचान न बना पाएं."

क्रिकेट के मशहूर कमेंटेटर हर्षा भोगले का कहना है कि उनका नामांकन सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए किया गया है. भोगले का कहना है कि सचिन ने कभी भी राजनीति से जुड़ी कोई बात नहीं कही है, "मुझे नहीं लगता है कि यह कोई महान फैसला है. उनके पास राजनीति करने या सामाजिक काम करने का कोई अनुभव नहीं है."

तस्वीर: AP

तेंदुलकर ने अभी तक इस पर टिप्पणी नहीं की है कि वह राज्यसभा सांसद का पद स्वीकार करेंगे या नहीं. लेकिन आम तौर पर किसी शख्स की सहमति के बाद ही राष्ट्रपति उसे सांसद के तौर पर नामांकित करता है. जिस दिन सचिन के नाम का एलान हुआ, उसी दिन उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, जिससे यह संकेत जाता है कि उन्होंने कांग्रेस के सामने अपने नाम के लिए हामी भर दी होगी.

भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके और खुद भी सांसद रह चुके चेतन चौहान भी इस फैसले से बहुत खुश नहीं दिखे. उन्होंने कहा, "मुझे सिर्फ इस बात का डर है कि कहीं उनके साथ किसी एक पार्टी के नाम की मुहर न लग जाए. जिस वक्त उनका नाम किसी पार्टी के साथ जुड़ जाएगा, लोग उनके बारे में अपनी सोच बदल लेंगे." वैसे भारतीय संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में कुछ पूर्व क्रिकेटर चुन कर पहुंचे हैं, जिनमें कीर्ति आजाद, नवजोत सिंह सिद्धू और मोहम्मद अजहरुद्दीन शामिल हैं.

सचिन के नाम का एलान होने के बाद हिन्दुस्तान टाइम्स ने एक सर्वे कराया, जिसमें 68 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सचिन को सांसद बनाए जाने के फैसले से खुश नहीं हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी लिखा है कि इसका कोई मतलब ही नहीं है क्योंकि सचिन ने पिछले सीजन में 216 दिन क्रिकेट खेला. और इस तरह किसी सक्रिय खिलाड़ी को राज्यसभा में बुलाने से कोई फायदा नहीं हो सकता है.

इसने लिखा, "उन्हें नई भूमिका में चुनना होगा कि वह टीम के साथ न्याय करें या संसद के साथ. यह अजीब तरह का फैसला होगा."

एजेए/एमजे (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें