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सच की खातिर मौत को चुनौती देता शख्स

१४ अप्रैल २०१७

मेक्सिको के रिपोर्टर नोई सवालेटा ने कत्ल हुए अपने साथियों को दफन किया है, उनके लिए शोक मनाया है और खुद भी धमकियां पायी हैं. वे भी इंसान हैं, उन्हें भी डर लगता है, लेकिन डर के बावजूद काम रोकना उनके लिए विकल्प नहीं है.

Gewalt in Aguascalientes in Mexiko
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press/u78

किसी युद्ध क्षेत्र से बाहर पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक मुल्क है मेक्सिको. लेकिन नोई सवालेटा का कहना है कि भ्रष्टाचार और हिंसा के बावजूद देश में इतनी सारी कहानियां हैं कि वे काम छोड़ नहीं सकते. वे बताते हैं, "मुझे अपने साथियों को दफनाना पड़ा है, दूसरों को मैंने देश छोड़ते देखा है. लेकिन यह आपके साथ होता है तो आप भी घबरा जाते हैं." देश के दूसरे बहुत सारे पत्रकारों की तरह वेराक्रूज प्रांत के शलापा शहर के नोई को भी संगठित अपराध के बारे में लिखने के लिए जान से मार डालने की धमकियां मिली हैं. लेकिन 36 वर्षीय नोई अपनी खोजी पत्रिका 'प्रोसेको' के लिए कहानियां तलाशते ही रहते हैं, राजनीतिज्ञों, संगठित अपराध गिरोहों, भ्रष्टाचार, लोगों के लापता होने और सामूहिक कब्रगाहों के बारे में.

सवालेटा को राष्ट्रीय ख्याति तब मिली जब वेराक्रूज के तत्कालीन गवर्नर खावियर दुआर्ते पर उनकी एक स्टोरी राष्ट्रीय पत्रिका प्रोसेको के कवर पेज पर आई. खावियर दुआर्ते अपनी सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ बोलते रहे थे. सवालेटा की स्टोरी ने यही किया था. उन्होंने सरकार के भ्रष्टाचार कांडों, संगठित अपराध के कारण होने वाली मौतों और पत्रकार ग्रेगोरियो खिमेनेज की हत्या के बारे में लिखा था, जिनका अपहरण कर लिया गया था और बाद में उनकी लाश एक कब्र में मिली.

सवालेटा जब पेशे में आये तो उन्हें पता था कि वे क्या कर रहे हैं. 2012 में उन्होंने मार डाली गयी पत्रकार रेगिना मार्टिनेज की जगह प्रोसेको ज्वाइन किया था. उन्होंने भ्रष्टाचार और वेराक्रूज के अधिकारियों के अपराधों के बारे में लिखा था. मार्टिनेज के हत्यारे का अभी तक पता नहीं चला है. सवालेटा फोटोग्राफर रूबेन एसपिनोसा के साथ भी काम करते थे, जो अधिकारियों की धमकियों के बाद शहर छोड़कर भाग गये थे. उनकी भी 2015 में मेक्सिको सिटी में हत्या कर दी गयी.

तस्वीर: Getty Images/S. Platt

सवालेटा को पिछले साल एक पूर्व गवर्नर के बारे में लिखने पर धमकियां मिलीं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे. अनजान लोगों को उन्होंने दफ्तर और घर में अपना और अपनी गर्लफ्रेंड का पीछा करते हुए पाया. "आप घबरा जाते हैं, आपको समझ में नहीं आता कि आपको क्या करना चाहिए." वे भागकर राजधानी चले गये और वहां उन्होंने केंद्रीय अधिकारियों से शिकायत की. वहां से उन्हें दो सुरक्षा गार्ड मिले जो उनके साथ छह महीने तक रहे.

अभी भी सवालेटा के पास एक पैनिक बटन है ताकि खतरे में होने पर वे संघीय अधिकारियों को एलर्ट कर सकें. लेकिन सभी पत्रकारों को बॉडीगार्ड भी नहीं मिलता. इसके अलावा बॉडीगार्ड की जान पर भी खतरा होता है. सवालेटा कहते हैं कि उनका एक पूर्व बॉडीगार्ड एक दूसरे पत्रकार की सुरक्षा करने के दौरान मारा गया. वे कहते हैं, "मैं अभी भी काम कर रहा हूं. यदि मुझे और धमकियां मिलती हैं, और मुझे बाहर निकलना पड़ता है, लोगों को बताना पड़ता है तो मैं फिर करूंगा."

मीडिया अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' के अनुसार सीरिया और अफगानिस्तान के बाद मेक्सिको पत्रकारों के लिए तीसरी सबसे खतरनाक जगह है. साल 2000 के बाद से मेक्सिको में 102 पत्रकारों की हत्या हुई है, जिनमें से 20 केवल वेराक्रूज में ही मारे गये. इस साल मार्च का महीना खास तौर पर घातक था. तीन पत्रकारों की हत्या हुई जबकि चौथे को गोली मारे जाने के बाद घायल अवस्था में अस्पताल में दाखिल करना पड़ा. एक क्षेत्रीय अखबार को तो सुरक्षा के अभाव में बंद करना पड़ा है. 2016 में मेक्सिको में 400 पत्रकारों पर हमले हुए और 11 की जान गई.

एमजे/आरपी (एएफपी)

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