सजा ए फेसबुक
३१ जुलाई २०१३नई तकनीक के जरिए इंटरनेट पर नियंत्रण रखना आसान हो गया है लेकिन अगर यह चोरों के हाथ लग जाए तो इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है. कैदी के बाहरी दुनिया से संपर्क पर नियंत्रण रखा जाता है या यूं कहें कि उनका सामाजिक जीवन ना के बराबर होता है. 1998 से जर्मन जेलों में टीवी लाया गया और टेलिफोन के लिए कुछ कानून ढीले किए गए हैं लेकिन जर्मनी के कुछ ही राज्यों में कैदियों को इंटरनेट इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है.
जर्मन राज्य थ्यूरिंगिया के गेरा शहर में कैदी इंटरनेट पर कुछ वेबसाइट ब्राउज कर सकते हैं. राज्य के न्याय मंत्रालय का कहना है कि रोजगार एजेंसियां और कैदियों की मदद करने वाले संगठनों की वेबसाइट पर कैदी जा सकते हैं और इससे उन्हें सजा खत्म होने पर आगे के बारे में सोचने में मदद मिलती है. कुछ कैदी अपनी जिंदगी के बारे में पॉडकास्ट भी बनाते हैं ताकि लोगों को पता चले कि उनकी गलतियों का क्या नतीजा हो सकता है. कुछ मामलों में ईमेल करने की भी इजाजत है लेकिन यूट्यूब और सोशल नेटवर्क वाली वेबसाइटें बंद हैं.
खास कंप्यूटर
हैम्बर्ग में एक खास कंपनी कैदियों के लिए कंप्यूटर बनाती है. कंपनी का कहना है कि जानकारी और संपर्क मनुष्यों की मूल जरूरतें हैं और न्याय अधिकारियों को नहीं सोचना चाहिए कि कैदियों को यह हक देना उन पर एहसान करना होगा. कंपनी ने मल्टियो नाम का कंप्यूटर बनाया है. इसमें इंटरनेट पर नियंत्रण रखा जा सकता है. कैदी रेडियो सुन सकते हैं और टीवी देख सकते हैं. गेरा के जेल अधिकारियों ने इस साल जून से यह सिस्टम शुरू किया है. थ्यूरिंगिया में दो और कैदखानों ने भी इस कंप्यूटर को काम पर लगाया है. एक योजना के तहत कैदियों के अपने कंप्यूटर होंगे जिसपर वह इंटरनेट पर जा सकेंगे और पत्राचार से पढ़ाई सकेंगे.
थ्यूरिंगिया न्याय मंत्रालय के हर्बर्ट विंडमिलर कहते हैं कि वह कैदियों के लिए इंटरनेट लाना चाहते हैं क्योंकि इंटरनेट से इतने बदलाव आ रहे हैं और कैदी इसका हिस्सा नहीं बन रहे, "यह एक बड़ी समस्या है. अगर किसी कैदी को बड़े समय के लिए बंद किया जाए तो जब वह रिहा होकर बाहर निकलेगा, उसे समाज में घुलने मिलने में बहुत परेशानी होगी." ज्यादातर जर्मन कैदी फेसबुक पर अपने दोस्तों से नहीं जुड़ पाते हैं.
बच्चों की अश्लील तस्वीरें
जर्मन राज्य नॉर्थराइन वेस्टफेलिया का जेल इस मामले में थोड़ा अलग है. यहां कैदियों को पत्राचार से पढ़ाई करने की इजाजत दी गई लेकिन 2006 में इसे बंद कर दिया गया. न्याय मंत्रालय के डेटलेफ फाइगे कहते हैं, "सारे कंप्यूटरों पर हार्डवेयर बदल दिया गया और जाली सॉफ्टवेयर लगाया गया. पाइरेटड गाने और फिल्में भी मिलीं. एक कंप्यूटर में बच्चों की अश्लील तस्वीरें भी मिलीं. कैदखाने में कंप्यूटर का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए खतरा है खासकर इंटरनेट अपराधों के संदर्भ में."
जेल की जिंदगी यूट्यूब पर
लेकिन जिन कैदखानों में इंटरनेट नहीं है, वहां स्मार्टफोन की तस्करी खूब चलती है. थ्यूरिंगिया न्याय मंत्रालय के विंडमिलर कहते हैं कि कुछ कैदखानों में कैदी का जानकार जेल की दीवारों के बाहर से फोन अंदर फेंक देता है. यह सबसे आसान तरीका है. विंडमिलर कहते हैं कि स्मार्टफोन की मदद से इंटरनेट में फिल्में भी डाली जा चुकी हैं. हालांकि इंटरनेट पाने पर हर कैदी गैर कानूनी काम नहीं करता. ज्यादातर लोग अपने घर परिवार से संपर्क करते हैं. वकील श्टेफेन लिंडबर्ग एक मामला बताते हैं जिसमें एक व्यक्ति को करोड़ों के घोटाले में अंदर भेजा गया. अब उसके पास अपने घरवालों से संपर्क का तरीका नहीं और पहले वह हमेशा इंटरनेट पर रहता था. सारे कैदी एक तरह के नहीं होते, न्याय प्रणाली को यह समझने की जरूरत है.
रिपोर्टः सिल्के वुंश/एमजी
संपादनः एन रंजन