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सड़क से संसद तक निर्विरोध लुकाशेंको

२४ सितम्बर २०१२

कुछ भी अप्रत्याशित नहीं. बेलारूस के संसदीय चुनावों में कोई विपक्ष नहीं. यूरोप के आखिरी तानाशाह, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको सत्ता में निरंकुश बने हुए हैं.

तस्वीर: dapd

लोगों ने महत्वपूर्ण काम पूरा कर दिया. रविवार, 23 सितंबर को कई मतदाताओं ने अपना मत कर्तव्य मान कर दिया. पूर्व सोवियत संघ में मतदान एक कर्तव्य था. मतदाता ने किसे वोट दिया है यह बताना गलत माना जाता था.

बेलारूस के सत्तर लाख वोटरों के लिए उम्मीदवारों की संख्या 293 थी. उन्हें संसद के लिए कुल 110 प्रतिनिधि चुनने थे. मिंस्क के एक स्कूल में जहां एक वृद्ध मतदाता ने वोट दिया, वहां पांच उम्मीदवारों के फोटो हैं, दो उद्योगपति, एक सांसद, एक भाषाविद और एक बेरोजगार. साथ ही एक छोटा सा नोट भी है कि एक उम्मीदवार ने अपना नाम वापिस ले लिया है. इस बारे में कुछ नहीं लिखा है कि जिसने नाम वापस लिया है वह विपक्षी पार्टी का सदस्य था. उसकी पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की थी. चुनाव के फैसले के दौरान टीवी चैनल या रेडियो पर बहिष्कार या विपक्षी पार्टी जैसा कोई शब्द सुनाई नहीं दिया. इसकी बजाए संसदीय लोकतंत्र के उत्सव की बात की जा रही थी.

तस्वीर: REUTERS

वोटर सत्ता की ताकत पर निर्भर

बताया जा रहा है कि 74 फीसदी लोगों ने मतदान का इस्तेमाल किया. हालांकि यह आंकड़ा सही है कि नहीं इस पर शंका है. विपक्ष, चुनाव पर्यवेक्षक और गैर सरकारी संगठन पहले हुए मतदान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. एक चौथाई वोटरों ने तय तिथि से एक सप्ताह पहले ही मतदान कर दिया था. पर्यवेक्षकों को आशंका है कि इसमें धांधली हुई हो सकती है.

कितने लोग खुद मतदान करने आए थे यह नहीं बताया जा सकता. बेलारूस की अधिकतर जनता सरकारी ऑफिस में काम करती है और सरकार पर निर्भर है. मिंस्क के राजनीति विशेषज्ञ वालेरी कार्बालेविच का कहना है कि अधिकतर लोगों को जबरदस्ती भेजा गया. वह इन चुनावों को निष्पक्ष नहीं मानते. वहीं केंद्रीय चुनाव आयोग की प्रमुख लिडिया जर्मोशिना इस तरह के आरोपों का खंडन करती हैं. उन्होंने टीवी में कहा कि इस तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.

तस्वीर: DW/A.Petrowitsch

चुनाव के मुख्य विजेता तो वैसे चुनाव में नहीं खड़े थे लेकिन उनकी जीत काफी पहले से तय हो गई थी. अलेक्जैंडर लुकाशेंको. 58 साल के नेता पूर्वी यूरोप के इस देश को पिछले बीस साल से चला रहे हैं. उनका दबदबा इतना है कि मीडिया में उन्हें यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है. यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन ओएससीई के पर्यवेक्षकों का मानना है कि बेलारूस में 1990 के मध्य के बाद से कोई निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है.

लुकाशेंको के बेलारूस की संसद सिर्फ पश्चिम से ही नहीं बल्कि रूस और यूक्रेन से भी अलग है. न तो यहां सत्ताधारी पार्टी है न ही धड़े. संसद में किसी पार्टी के नेता नहीं बैठते बल्कि सरकारी अधिकारी या फिर सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि होते हैं. न तो यहां गरमागरम बहसें होती हैं न ही सरकार की आलोचना. संविधान का राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं होता. राजनीतिशास्त्री कार्बालेविच का कहना है कि जनता यह जानती है. 'संसद को सत्ता की ताकत के तौर पर नहीं देखा जाता.'

तस्वीर: DW/A.Petrowitsch

तो बेलारूसी संसद में विपक्षी धड़ा भी नहीं होगा. दो विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए अपने उम्मीदवार हटा लिए. इनमें उदारवादी रुढ़िवादी पार्टी के प्रमुख अनातोली लेबेद्को ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया कि संसदीय चुनाव उनके लिए सिर्फ एक नाटक था. हालांकि चुनाव में छोटी पार्टियों ने हिस्सा लिया. पर्यवेक्षकों के लिए यह एक संकेत था कि विपक्षी पार्टियों में कितना मतभेद है.

रूसी दीवार का सहारा

यूरोपीय संघ और बेलारूस के बीच संबंध कैसे बनाए जा सकते हैं इस बारे में मतभेद हैं. 2010 के राष्ट्रपति चुनावों में लुकाशेंको की विवादास्पद जीत के बाद पश्चिम के साथ बेलारूस के संबंध थोड़े तनावपूर्ण हैं. उस समय विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों को बुरी तरह दबा दिया गया था. आज भी 16 विपक्षी नेता जेल में हैं. यूरोपीय संघ ने बेलारूस पर प्रतिबंध लगाए हैं और करीब 240 अधिकारियों, जजों और उद्योगपतियों को यूरोपीय संघ में आने की इजाजत नहीं है साथ ही उनके विदेशी खाते भी सील कर दिए गए हैं.

यूरोप के पास कोई योजना नहीं है कि वह इस तानाशाह सरकार के साथ कौन सी नीतियां अपनाए. कार्बालेविच का मानना है कि यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से सरकार को कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि लुकाशेंको रूस पर पूरी तरह भरोसा कर सकता है. सिर्फ अरबों के कर्ज नहीं बल्कि सस्ते तेल और गैस आपूर्ति के मामले में भी. मिंस्क में पश्चिमी पर्यवेक्षक स्थिति को कुछ ऐसे समझाते हैं, लुकाशेंकों हमेशा एक दीवार के पीछे छिप सकते हैं. "जब तक यह दीवार रूसी है तब तक उन्हें कोई चिंता नहीं कि कौन सा पेड़ बाहरी हिस्से से उससे टकरा रहा है."

रिपोर्टः रोमान गोंचारेंको आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन

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